आप रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके धन कुबेर मालिक मुकेश अंबानी की बेइंतेहा कमाई के बारे में तो जानते होंगे लेकिन आज हम आपको गुजरात के एक ऐसे शख्स की कहानी बताएंगे जो दौलत के मामले में अंबानी इसको भी टक्कर दे रहा है हर दिन नए-नए बेंचमार्क सेट कर रहा है और न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अपना दबदबा बना रहा है जी हां सही समझे आप हम बात कर रहे हैं भारत के मशहूर बिजनेसमैन गौतम हटानी चाहिए जिन्हें एक वक्त था जब आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी लेकिन आशु एयरपोर्ट से लेकर बंदरगाह और कोई लें से लेकर घर में इस्तेमाल होने वाले तेल तक से पैसा कमा रहे हैं लेकिन कम ही ऐसे लोग हैं जो उनके बारे में बहुत ज्यादा जानते हैं तो जरा आप भी गौतम अदाणी की कामयाबी का राज जानना चाहते हैं उनकी जिंदगी और व्यापार का सफरनामा गौतम अडाणी यूं तो रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी की ही तरफ पहली पीढ़ी के स्नान है लेकिन आज उनकी नेटवर्थ बाकी उद्योगपतियों से कईं ज्यादा है क्योंकि एक डायलॉग है जिसे हटाने में प्रसिद्ध साबित किया है वह है कोई धंधा छोटा या बड़ा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता अब मैं ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि समय के साथ अटार्नी को जो भी धंधा मिला उन्होंने उसे पूरे मन से कि आप और परचम लहराते चले गए लेकिन उनके फर्श से अर्श तक पहुंचने का सफर काफी जद्दोजहद भरा रहा है उनका जन्म सन 1965 में अहमदाबाद के एक आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार में हुआ पिता का छोटा सा काम था लेकिन कुछ खास चल नहीं रहा था ऐसे मैं वक्त के साथ आर्थिक हालात और बिगड़ते चले गए जिसकी वजह से गौतम अडाणी को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी और काम के लिए हाथ-पैर मारने पड़े इसी बीच वह बड़े शहर से बड़ी उम्मीदें लेकर कम उम्र में ही मुंबई आ गए जहां शुरुआत में तो काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन कुछ वक्त के बाद उन्हें गारमेंट सप्लायर के यहां नौकरी मिल गई तीन सालों तक काम करने के बाद समझ में आया कि जिंदगी में करना क्या है इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ कर अपना काम शुरू किया और झवेरी बाज़ार में डायमंड ब्रोकरेज कंपनी की शुरुआत की गौतम अडाणी को अपनी जिंदगी का व्हाय पता था यानी वह काम क्यों कर रहे हैं इसलिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की और कम उम्र में ही धंधा दौड़ा दिया लेकिन उनकी किस्मत चमकी 1981 से जब उनके बड़े भाई ने उन्हें अहमदाबाद बुलाया दरअसल आईने सामानों को लपेटने वाली प्लास्टिक ही कंपनी खरीदें मगर वह चल नहीं रही थी क्योंकि जो कच्चा माल चाहिए था वह जरूरत
के हिसाब से नहीं मिल पा रहा था बाहर देशों से कच्चे माल को इंपोर्ट करना पड़ रहा था ऐसे में इसे एक अवसर के तौर पर देखते हुए ढ़ाणी में कांडला पोर्ट पर लास्टिक रेंस का आयात शुरू किया और 1988 में शुरू की ढ़ाणी एक्सपोर्ट्स जिसका नाम बदलकर बाद में अदानी एंटरप्राइजेस कर दिया गया इसमें धातु एग्रीकल्चर प्रोडक्ट और कपड़े की कमोडिटी ट्रेडिंग होती थी काम चल पड़ा तो कुछ ही साल में एक कंपनी और अड़ानी इस बिजनेस से अपना नाम बन गए और फिर 1994 में अदानी एंटरप्राइजेस को शेयर बाजार में लिस्टेड कर दिया गया फिर सामने आया 1995 का यह वह सा था जिसने आज उनके इस
मुकाम तक पहुंचने की नींव रखी क्योंकि इस वक्त गुजरात सरकार फॉर डेवलपमेंट के लिए प्राइवेट कंपनीज की तलाश कर रही थी ऐसे में जैसे ही यह खबर हटाने तक पहुंची उन्हें कमाई का एक और स्पोर्ट्स नजर आया इसलिए उन्होंने गुजरात के सबसे बड़े बंदरगाह मुंद्रा पोर्ट को ही खरीद दिया मुंद्रा पोर्ट को खरीदने के बाद 1998 में गौतम अडाणी ने अदानी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक कंपनी की शुरुआत की वैसे यह बंदरगाह की खासियत के बारे में बताएं तो करीब आठ हजार हेक्टेयर में फैला यह नोट आज भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है और स्पोर्ट्स से पूरे भारत के लगभग एक चौथाई माल की आवाजाही होती है साथ ही यह जगह स्पेशल इकोनॉमिक जोन के तहत बना है तो प्रमोटर कंपनी को कोई टैक्स भी नहीं देना पड़ता इस जोन में पावर प्लांट प्राइवेट रेल लाइन और एक प्राइवेट एयर कि है वैसे यहां गौर करने वाली बात है कि आज अदाणी समूह देश के प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रुप में से एक है उनकी अदानी पोर्ट्स देश की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी है और गुजरात महाराष्ट्र गोवा केरल आंध्र प्रदेश तमिलनाडु और उड़ीसा जैसे साथ समुद्री राज्यों में इनके 13 डोमेस्टिक एयरपोर्ट है खैर मुद्दे पर आते हैं अब जैसे-जैसे वक्त गुजरता गया ढ़ाणी खुद को ग्रो करते चले गए वह लोगों की रसोई तक में पहुंच गए फॉर्च्यूनर के थ्रू वहीं फार्च्यून जिसका रिफाइंड ऑयल आज हर घर में सुबह-शाम दिन-रात इस्तेमाल होता है अच्छी तरह 1999 में हटाने ग्रुप ने विल हेव इस रूप फिल्म और के साथ मिलाकर खाने के तेल के बिजनेस में कदम रखा था वैसे फॉर्च्यून तेल के अलावा अटारी ग्रुप आटा चावल दाल चीनी जैसी दर्जनों चीजों से भी आपकी रसोई का हिस्सा बना हुआ है जो उनके रखरखाव के लिए 2005 में अदानी ग्रुप में फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर अलग-अलग राज अरे बड़े-बड़े साहिल उस बनाए साइंस बेसिकली वह चीज होती है जिसमें बड़े पैमाने पर अनाज को रखा जाता है सालों की कनेक्टिविटी के लिए डालें ग्रुप ने नीची रिलाइंस भी बनाई ताकि अनाज को लाने-ले जाने में आसानी हो कहते हैं कि हीरे की परख जोहरी ही जानता है इसलिए डुमिनी को काले कोई ले में भी पैसा देखा उन्होंने डॉमेस्टिक इलेक्ट्रिसिटी का जनरेशन किया बड़े बड़े राज्यों को बिजली सप्लाई करनी शुरू की लेकिन इतने बड़े पावर प्लांट को चलाने के लिए जरूरत से ज्यादा कोयला चाहिए था इसलिए दिमाग चलाया और उस पीलिया के लिए कोल माइन को खरीद गाला फॉर्च्यून इंडिया मैग्जीन के मुताबिक 2010 में विटामिन ए लिंक एनर्जी से 12143 करोड़ में कोयला खदान खरीदी थी कि लिए वेस्ट मींस आल इन में मौजूद इस खदान में साथ पॉइंट 8 बिलीयन टन के खनिज भंडार है जो हर साल 60 मिलियन टन कोयला पैदा कर सकती है इसी तरह इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से इंडोनेशिया में मौजूद थे तेल गैस और कोई ने के लिए तुम्हारे ग्रुप में सा उच्च मात्रा से कोयला ढुलाई के लिए डेढ़ अरब डालर निवेश करने की घोषणा की उस समय इंटरनेशनल निवेश बॉर्डर ने बताया था कि अदानी समूह पांच करोड टन की क्षमता वाले एक कोल हैंडलिंग सपोर्ट का निर्माण करेगा और साफ-सुथरा लैंड की खदानों से कोयला निकालने के लिए ढाई सौ किलोमीटर रेल लाइन बिछाएगा खैर ढ़ाणी अपना कारोबार फैला आते गए और पैसा अकाउंट में आता चला गया जिस अडाणी साम्राज्य का कारोबार 2002 में 76 पॉइंट पांच करोड डालर था वह 2014 तक आते-आते बढ़कर 10 अरब डालर हो गया साथ ही वक्त की जरूरत को देखते हुए अदानी ग्रुप में नैचुरल गैस के क्षेत्र में भी बिजनेस को बढ़ाया और 2017 में सोलर पीवी पैनल बनाने शुरू किए है वह हर बंदरगाह और निजी रेल लाइन के बाद आडवाणी ने एयरपोर्ट की तरफ उड़ान भरी और 2019 में अहमदाबाद लखनऊ मंगलुरू जयपुर गुवाहाटी और तिरूवनंतपुरम जैसे छह हवाईअड्डों के मोड नोटिफिकेशन और ऑपरेशन की जिम्मेदार थ्री अब अगले 50 सालों तक अदानी ग्रुप इन सभी एयरपोर्ट्स का ऑपरेशन मैनेजमेंट और डेवलपमेंट संभालेगा वहीं मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में भी हटाने ग्रुप के पास 7000 की हिस्सेदारी है और यह किसी को बताने की जरूरत नहीं कि भारत में मुंबई एयरपोर्ट दिल्ली के बाद देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट है वैसे जिस तरह सुंदर आकार लेने से पहले सोने को खूब तपाया जाता है ठीक उसी तरह गौतम अडाणी को भी जीवन में कई तरह का ताप झेलना पड़ा उनका सामना कई तरह के विवादों से हुआ लेकिन उन्होंने सबसे पाया और एक अलग मुकाम हासिल किया जिसका नतीजा है कि आज गौतम हटाने का कारोबार पूरी दुनिया में फैला हुआ है |