भारतीय इतिहास में आने एक ऐसी घटनाएं घाटी है जिन्होंने संपूर्ण भारत में खलबली मचा दी थी इनमें से सबसे महत्वपूर्ण घटना थी भारत पर अर्बन का आक्रमण मोहम्मद बिन कासिम वो मुस्लिम आक्रमणकारी था जिसने 712 ई में भारत पर आक्रमण किया और सिंह प्रांत को जीत लिया आज हम आपको यही बताने की कोशिश करेंगे की अर्बन ने इस तरह भारत पर पहले आक्रमण किया और फिर यही अपने पर पास लिए साथी हम यह भी जानेंगे की इस्लाम धर्म का उदय कैसे हुआ था इस्लाम धर्म का उदय सबसे पहले हम यह जान लेते हैं की इस्लाम धर्म की नव कैसे पड़ी बताते हैं की अब के लोग कबीलों में रहते हैं और यह खानाबदोश जीवन व्यतीत करते थे प्रत्येक काबिले के अपने देवी देवता थे जिन्हें यह लोग पूछते थे इन सभी लोग का नेतृत्व एक शेख के द्वारा होता था जिसका चयन कुछ हद तक पारिवारिक संबंधों के आधार पर होता था लेकिन ज्यादातर बुद्धिमता व्यक्तिगत साहस और उदारता के आधार पर किया जाता था छठी शताब्दी के आते-आते इन कवियों ने व्यापार को अपना पैसा बनाया और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पश्चिम अब के मध्य भाग में देखने को मिला जिसे हिजा कहते हैं आपको बता दें की इस्लाम उदय के दो प्रमुख स्थान मक्का और मदीना इसी इलाके में आते हैं बाद में कुछ लोगों ने शेरों की और पलायन किया ये लोग खेती और व्यापार करके अपना जीवन व्यतीत करने लगे मक्का सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र होने के साथ-साथ एक मुख्य धार्मिक स्थल भी था इस्लाम धर्म का जन्म साध्वी साड़ी में अब देश में हुआ और इस धर्म के संस्थापक और प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब थे 612 ई के आसपास उन्होंने स्वयं को खुदा यानी अल्लाह का दूर बताया और अल्लाह के द्वारा बताए गए मार्ग को लोगों के सामने रखा बताते हैं की मोहम्मद साहब ने 15 वर्षों एक गुफा में रहकर चिंतन एवं मनन किया और उसके बाद उन्हें अल्लाह के दर्शन हुए उन्होंने खदीजा नमक एक 45 वर्षीय धनी विधवा महिला के साथ धर्म प्रचार का कम करना प्रारंभ किया कहते हैं की यह महिला विश्व की पहले ऐसी महिला थी जिसने मोहम्मद साहब के नवीन इस्लाम धर्म को स्वीकार किया बाद में मोहम्मद साहब ने खदीजा से विवाह कर लिया था इस्लाम की स्थापना के बाद मोहम्मद साहब ने सहारा जीवन खुदा के संदेशों और इस्लाम का प्रचार करने में लगाया जी समय मोहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म की नीव राखी उससे पहले अब के लोग प्राचीन अरबी धर्म का पालनपुर करते थे मक्का में कोई स्थाई राज्य या शासन नहीं था यहां के लोगों में नशा करने और युवा खेलने की बुरी आदतें थी वैवाहिक संबंधों में भी स्थायित्व नहीं था और बेहूदे वाद प्रचलित था मोहम्मद साहब ने अब में प्रचलित विश्वास और 300 से अधिक देवी देवताओं की मूर्ति पूजा की घर निंदा की यह मूर्तियां या चिन्ह कब में रखें हुए थे उन्होंने कहा की हमें सिर्फ अल्लाह की आराधना करनी चाहिए इस्लाम की शुरुआती समय में मोहम्मद साहब का मक्का और उसके इबादत ग पर कब्जा था मोहम्मद साहब का इस्लाम धर्म प्राचीन अरबी धर्म का विरोधी था मक्का के समृद्ध लोगों को देवी देवताओं को ठुकराना बहुत बड़ा लगा ये लोग इस्लाम जैसे नए धर्म को मक्का की प्रतिष्ठा और समृद्धि के लिए खतरा समझना लगे इसीलिए लोगों ने मोहम्मद साहब का खूब मजाक बनाया और भारी विरोध किया तब मोहम्मद साहब को भाग कर मदीना में शरण लेनी पड़ी मोहम्मद साहब की इस यात्रा को कहा जाता है और इसी दिन से मुसलमान के हिजरी कैलेंडर की शुरुआत हुई यह घटना 24 सितंबर 622 ई की है मोहम्मद साहब ने खुदा को केंद्र में रखकर मदीना में अपने एक राज्य की स्थापना नहीं करते थे उनके शासन का आधार कुरान थी मोहम्मद साहब ने मदीना में इस्लाम धर्म को एक व्यवस्थित स्वरूप प्रधान किया साथ ही उन्होंने अपने विरोधियों का भी दत कर मुकाबला किया जानकारी के लिए बता दे की इस्लाम धर्म में दो ग्रंथ सबसे प्रमुख है पहले कुरान और दूसरा हदीस कुरान में वह ज्ञान संग्रहित है जो खुदा ने अपने दूध मोहम्मद साहब को दिया और हदीस में स्वयं मोहम्मद साहब के द्वारा दिए गए उपदेशों का संग्रह है मोहम्मद साहब अपने धर्म के विरोधियों के लिए युद्ध और राजनैतिक संगठनों दोनों का सहारा लेते थे मदीना पर क्यूरेशन के आक्रमण के बाद तीन युद्ध हुए और इन सभी में मोहम्मद साहब की विजय हुई और वे कुश काबिले के शासन बन बैठे इस तरह मोहम्मद साहब ने इस्लाम का प्रचार किया और हमेशा पैगंबर ही कहलाए उन्होंने कभी भी किसी अन्य पर दिया स्थिति को स्वीकार नहीं किया 632 ई में उनकी मृत्यु हो गई हजरत मोहम्मद की प्रमुख शिक्षाएं क्या थी

हजरत मोहम्मद ने अपने अनुयायियों पांच मुख्य शिक्षा दी थी जो की इस तरह नंबर एक हजरत मोहम्मद का कहना था की प्रत्येक मुसलमान को इस बात में विश्वास रखना चाहिए की अल्लाह एकमात्र पूजनीय है और पैगंबर मोहम्मद उनके पैगंबर है ना वो हर एक मुसलमान को दिन में पांच बार नमाज अदा करना अनिवार्य है नंबर तीन निर्धनों को जकात देना चाहिए जकात एक प्रकार का दान है नंबर कर इस्लाम को माने वालों को रमजान के महीने में रोजी रखती चाहिए नंबर पांच प्रत्येक मुसलमान को अपने जीवन कल में एक बार जरूर हाई यात्रा करनी चाहिए जनसाधारण ने उनकी मृत्यु के बाद आबू वक्र को उनका उत्तराधिकारी बनाया जिसे खलीफा कहा गया हजरत मोहम्मद के बाद खलीफाओं ने इस्लाम धर्म को आगे बढ़ाया उनके नेतृत्व में अब के बाद मिस्र ईरान इराक और सीरिया जैसे देश तक इस्लाम धर्म का विस्तार किया इस्लाम इतिहास इसमें अब्बास वंश के शासको ने सबसे अधिक समय तक शासन किया भारत पर अर्बन का आक्रमण और इस्लाम धर्म का प्रविश भारत पर अर्बन का पहले आक्रमण करीब सातवीं शताब्दी में हुआ था और इसके बाद इस्लामी आक्रमणकारियों ने बार-बार भारत पर हमला कर यहां की मूल संस्कृति पर आघात किया और यहां इस्लाम धर्म की स्थापना की इराक के हकीम अल हज्ज ने मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में अर्बन को सिंह पर आक्रमण करने के लिए भेजो था मोहम्मद बिन कासिम हज्ज बिन युसूफ का भतीजा और दामाद था 712 ई में अब आक्रमणकारी ने सिंह पर विजय हासिल की थी हज्ज उसे वक्त इराक का राज्यपाल था हज्ज ने ही मोहम्मद बिन कासिम को 17 वर्ष की आयु में मकान तट के रास्ते सिंह भेजो था दरअसल को कई अरबी व्यापारियों से सूचना मिली थी की भारत के राजाओं के पास ख़ज़ाने के असीम भंडार है यह सुनकर उसके मां में लाना छह गया था तब उसने भारतीय ख़ज़ाने को लूटने और इस्लाम धर्म की जेड मजबूत करने के मकसद से मोहम्मद बिन कासिम को सिंह पर हमला करने के लिए राजी किया था एक मत यह भी सुनने को आता है की कासिम को सिंह भेजना का करण यह था की समुद्री लुटेरे अल हजरत के जहाज को जी क्षेत्र में ल रहे थे वह क्षेत्र दाहिर के राज्य में आता था जब आजाद ने दाहिर के इस बड़े में जांच पड़ताल के लिए कहा तो उन्होंने इस बात से साफ इनकार कर दिया की लुटेरे से उनके राज्य का कोई संबंध नहीं है और हज्ज ने दाहिर से अपने लूटेंगे जहाज के बदले जर्मन की मांग की थी मगर दाहिन ने आज समर्थता जताते हुए कहा की उनका उन लुटेरे पर कोई नियंत्रण नहीं है दाहिर कई जवाब से खड़ा किया.

और उसने सिंह पर आक्रमण करने का निश्चय किया पारसी ग्रंथ चचनामा में अर्बन की सिंह पर जीत की जानकारी मिलती है बताते हैं की मोहम्मद बिन कासिम अपने सैया सिपहिया को लेकर राजा दाहिर से युद्ध करने के लिए जब भारत आया है तो उसने दाहिर के विरोधियों को बड़ी चालाकी से अपने साथ मिला लिया इस तरह उसके पास सैनिकों की कोई कमी नहीं थी युद्ध की घोषणा होते ही मोहम्मद बिन कासिम के सी ने जिंदगी सी पर जबरदस्त आक्रमण कर दिया राजा दाहिर हाथी पर बने लकड़ी की गाड़ी पर बैठकर बड़ी वीरता से कासिम के सैनिकों से लाड रहे थे राजा दाहिर की सी कासिम की सी पर भारी पड़ती नजर ए रही थी और कासिम से ये बर्दाश्त कर पन मुश्किल हो रहा था तब उसने बड़ी चालाकी से राजा दाहिर के हाथी पर जलते हुए तीरों से हमला करना शुरू कर दिया जिसका एन लकड़ी के ढांचे में आज ग गई और देखते ही देखते यह आज इतनी भीषण हो गई की दाहिर राजा का हाथी बेकाबू हो गया बयान को बुझने के लिए सिंधु नदी के पानी में चला गया जैसे ही राजा ताहिर हाथी से उतारकर नीचे आए तो हसीन ने उन पर हमला कर दिया उन्हें मार दिया इस तरह सिंह पर अपना कर्ज कर लिया युद्ध में राजा दाहिर की मृत्यु के बाद मोहम्मद बिन कासिम ने उनकी दो बेटियों को खलीफा के पास भेज दिया था इसके बाद मोहम्मद बिन कासिम नहीं रुक और उसने लगातार कई आक्रमण किया उसने अपने नेतृत्व में जितने भी अभियान चलाएं उन सभी में लगभग उसे विजय प्राप्त हुई जिम से कुछ इस तरह है ब्राह्मणवाद पर अधिकार ब्राह्मणवाद की सुरक्षा का दायित्व दाहिर के बेटे जय सिंह के ऊपर था उसने कासिम के आक्रमण का बहादुर के साथ सामना किया लेकिन कुछ लोगों के विश्वासघात के करण वह पराजित हो गया ब्राह्मणवाद पर कासिम ने अपना अधिकार स्थापित कर लिया आलोक विजय ब्राह्मणवाद पर अधिकार के बाद काशी माल और पहुंच शुरुआत में ऑल ओवर के निवासियों ने कासिम का सामना किया लेकिन अंत में उसकी ताकत की वजह से विवश होकर आत्म समर्पण करना पड़ा मुल्तान विजय अलवर पर विजय प्राप्त करने के बाद कासिम ने मुल्तान की और रुख किया यहां पर आंतरिक कल के करण विश्वास घाटियों ने कासिम की सहायता की उन्होंने नगर के जल स्रोतों की जानकारी अर्बन को दे दी जहां से दुर्ग निवासियों को जल की आपूर्ति की जाति थी बाद में दुर्ग के सैनिकों ने आत्म समर्पण कर दिया और कासिम का नगर पर अधिकार हो गया इस नगर में मीर कासिम को इतना धन मिला की उसने इसे स्वर्ण नगर नाम दिया इस तरह बी यानी मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर अपना पहले आक्रमण कर यहां धीरे धीरे अपने पर जमाने शुरू कर दिए थे उन्होंने भारतीय धर्म और संस्कृति को तहसनहज करने में कोई कसार नहीं छोड़ी |

By Naveen

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