साल 1962 जब इंडियन नेशनल कांग्रेस लोकसभा की 493 सीट में से 361 सीट पर जीत हासिल करती है और जवाहरलाल नेहरू को भारत का प्रधानमंत्री बनाया जाता है इसके महज 2 साल बाद ही मई 1964 में दिल का दौरा पड़ने से नेहरू जी की मौत हो जाती है जिसके बाद केवल कांग्रेस पार्टी ही नहीं बल्कि देश की जनता और इंटरनेशनल लेवल पर एक सवाल खड़ा हो जाता है कि अब कौन है जो कांग्रेस पार्टी को लीड करेगा इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि यूएस के फेमस जर्नलिस्ट वॉलेन हेगन ने उस समय एक बुक पब्लिश की थी जिसका टाइटल था आफ्टर नेहरू हु लेकिन आज हम इस घटना के बारे में बात क्यों कर रहे हैं

क्योंकि कुछ ऐसा ही एक सवाल आज बीजेपी पार्टी के सामने खड़ा दिखाई दे रहा है कि हु विल बी द सक्सेसर ऑफ नरेंद्र मोदी यानी कि मोदी के जाने के बाद बीजेपी पार्टी के लिए पीएम का चेहरा किसका होगा मोदी नहीं तो कौन तो आज इस पॉलिटिकल एनालिसिस में हम जानेंगे अगर बीजेपी की सत्ता बरकरार रहती है साहब तो मोदी की गद्दी पर कौन बैठेगा क्या योगी ही अगले मोदी होंगे या फिर कोई और मैं आपको गारंटी दे कह रहा हूं 2024 में हम बीजेपी को हरा द एक अकेला को भारी प र दोस्तों 2024 चुनाव का साल है तो इस तरह के सवालों का आना बहुत लाजमी है वैसे तो बीजेपी पार्टी में कई ऐसे चेहरे हैं जो मोदी जी की जगह ले सकते हैं लेकिन क्वेश्चन तो उस चेहरे के लिए है जो सच में पीएम की कुर्सी पर बैठ सकता है क्योंकि बीजेपी को एक ऐसा चेहरा चूज करने की जरूरत है जो पार्टी को एक अच्छी दिशा में लेकर जाए ठीक उसी तरह जैसे लाल कृष्ण आडवाणी के बाद बीजेपी के कमान नरेंद्र मोदी ने संभाली थी नरेंद्र दामोदर दास मोदी का नाम आज चुनिंदा प्राइम मिनिस्टर्स के साथ लिया जाता है जो जनता के बीच में लोकप्रिय रहे इनकी पॉपुलर की तुलना पीएम नेहरू और इंदिरा गांधी के साथ की जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि लंबे समय तक पीएम के पद पर रहने में मोदी का नाम जवाहरलाल नेहरू इंदिरा गांधी और डॉक मनमोहन सिंह के बाद चौथे नंबर पर आता है वहीं कुछ दावे यह कहते हैं कि 2024 में नरेंद्र मोदी डॉ मनमोहन सिंह का रिकॉर्ड तोड़कर थर्ड लांगेस्ट सर्विंग प्राइम मिनिस्टर बन सकते हैं लेकिन हमारा सवाल तो यहां पर यह है कि भाई 2024 तक तो ठीक ठीक है लेकिन इसके बाद बीजेपी का पीएम चेहरा कौन होगा क्योंकि अगर बीजेपी लीडर्स की हिस्ट्री को देखें तो 75 साल के बाद सभी लीडर्स एक्टिव पॉलिटिक्स से हटकर गाइडेंस विंग की तरफ बढ़ गए थे अगर बात इस आधार पर करें तो 2024 की पंचवर्षीय मोदी के लिए एक्टिव पॉलिटिक्स की लास्ट स्टेज हो सकती है तो पॉलिटिकल एनालिसिस और पॉपुलर को देखें तो कुछ चेहरे ही हैं जो टॉप पर दिखाई देते हैं जिसमें उत्तर प्रदेश के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ सेंटर मिनिस्टर फॉर रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज नितिन गडकरी जो बीजेपी के पूर्व प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले सेंट्रल होम मिनिस्टर यानी अमित शाह का चेहरा शामिल है वहीं अगर इन तीनों में से किसी एक का चेहरा आने पर आपस में मतभेद होती है तो इन तीनों का नाम इस लिस्ट से हटाकर किसी और को भी पेश किया जा सकता है

जिसके लिए फॉरेन अफेयर्स मिनिस्टर एस जयशंकर या फिर किसी और दूसरे चेहरे को इस लिस्ट में शामिल किया जा सकता है अब आप सोच रहे होंगे कि यह क्या बात हुई तो भाई यह बीजेपी पार्टी है यहां कुछ भी हो सकता है 2014 में तो यही हुआ था कांग्रेस की सरकार में सुषमा स्वराज विपक्ष की नेता थी जिनको पीएम बनाने के लिए आडवाणी और उनके सहयोगी सपोर्ट कर रहे थे दूसरे नितिन गडकरी थे जो 2009 से 2013 तक बीजेपी पार्टी के अध्यक्ष थे और तीसरे उस समय के पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह थे और ये तीनों ही एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे लेकिन नरेंद्र मोदी को लेकर तीनों में सहमती थी जिसके बाद नरेंद्र मोदी को प्राइम मिनिस्टर पद के लिए चुना गया था इतना ही नहीं हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव तो आपको याद ही होंगे किसने सोचा था कि मध्य प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार ज्योतिर आदित्य सिंध्या और मोदी जी के करीबी सेंट्रल मिनिस्टर नरेंद्र सिंह तोमर जैसे दिग्गज नेताओं के होते हुए भी मोहन यादव को मुख्यमंत्री का पद दे दिया जाएगा किसको पता था कि राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे प्रबल दावेदार बाबा बालकनाथ और राजस्थान में बीजेपी पार्टी का प्रमुख चेहरा गजेंद्र सिंह शेरावत को दरकिनार करते हुए भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा यह भारतीय जनता पार्टी है भाई इनका तो मानना है कि मोदी है तो मुमकिन है पर मेरा मानना है कि मोदी है तो कुछ भी मुमकिन है वैसे तो बीजेपी को पीएम का नया चेहरा उतारने में कोई परेशानी नहीं होने वाली अगर पार्टी के लोगों में आपस में मतभेद ना हो तो लेकिन अगर सच में मतभेद होता है तो पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स के अकॉर्डिंग ट्रांजीशन ऑफ पावर की स्थिति पैदा हो सकती है और अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी के लिए एक संकट खड़ा हो जाएगा जिसके चलते हो सकता है कि बीजेपी भी दो अलग-अलग गुट में बट जाए लेकिन अब यहां पर आपसी मतभेद की बात क्यों कर रहे हैं यह बताएंगे वीडियो में लेकिन उससे पहले ट्रांजीशन ऑफ पावर को समझने के लिए चलते हैं 1907 के सूरत अधिवेशन में जब इंडियन नेशनल कांग्रेस नरम दल और गर्म दल में बंट गई थी जहां एक और गोपाल कृष्ण गोखले सुरेंद्र नाथ बनर्जी और दादा भाई नरोजी जैसे नरम दल के नेता थे जो राज बिहारी घोष को सपोर्ट कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर लाल बहाद शास्त्री बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्रपाल जैसे गर्म दल के नेता थे

जो बाल गंगाधर तिलक को सपोर्ट कर रहे थे अगर ट्रांजीशन ऑफ पावर की सिचुएशन पैदा होती है तो ठीक इसी प्रकार का एक मंजर यहां भी देखने को मिल सकता है क्योंकि जहां एक और बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह और योगी आदित्यनाथ हैं जो खुलकर हिंदूवादी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ लिबरल लीडर के रूप में नितिन गडकरी और एस जे शंकर हैं पीएम मोदी के लिए नितिन गडकरी का नाम हमने क्यों जोड़ा है इसे समझने के लिए नितिन गडकरी का राजनीतिक सफर के साथ-साथ मोदी शाह और नितिन गडकरी के बीच रिलेशंस को समझना होगा और अगर आप गडकरी का राजनीतिक सफर डिटेल में जानना चाहते हैं तो कमेंट करके बताइए हम इस पर अलग से एक डिटेल वीडियो भी बनाएंगे फिलहाल मोदी शाह और नितिन गडकरी के बीच रिलेशंस को समझने के लिए 2009 में चलते हैं जब नितिन गडकरी को सर्वसम्मति से बीजेपी पार्टी का नेशनल प्रेसिडेंट बनाया गया था यह वही समय था जब कर्ज माफी का वादा करके यूपीए ने सरकार बनाई थी यूपीए यानी कि यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस यह कांग्रेस का दूसरा पार्टियों के साथ एक गठबंधन है जिसे 2004 में बनाया गया था लेकिन हाल ही में 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस लीडर सोनिया गांधी राहुल गांधी टीएमसी लीडर ममता बनर्जी जेडीयू लीडर नीतीश कुमार जैसे कद्दा वार नेताओं के साथ-साथ 24 अदर नॉन बीजेपी पार्टी लीडर्स ने मिलकर बैंगलर में एक मीटिंग की और यूपीए का नाम बदलकर इंडिया यानी कि इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस रख दिया जिसके बाद कई दिनों तक लोगों के बीच में इस बात को लेकर डिबेट छुड़ी कि हमारे देश का नाम इंडिया है या भारत ठीक उसी प्रकार बीजेपी का भी कुछ पार्टीज के साथ एक संगठन है जिसे एनडीए के नाम से जाना जाता है इसे 1998 में बनाया गया था होता क्या है कि जहां एक और 2009 के लोकसभा चुनाव में यूपीए को 262 सीट्स मिलती हैं जिसमें अकेली कांग्रेस पार्टी की 206 सीट्स थी तो वहीं एनडीए को 159 सीट्स मिलती हैं जिसमें से 116 सीट्स अकेले बीजेपी पार्टी की थी अब 262 सीट्स के साथ यूपीए अपनी सरकार बनाती है और कांग्रेस पार्टी के मनमोहन सिंह को पीएम बनाया जाता है जब एनडीए यह चुनाव हार जाती है तो राजनाथ सिंह बीजेपी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे देते हैं और फिर सभी की सहमति से अध्यक्ष बनाया जाता है नितिन गडकरी जी को अब नितिन गडकरी और मोदी के संबंधों को आप इस तरह से समझ सकते हैं कि जब नितिन गडकरी को बीजेपी पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया तो नरेंद्र मोदी अकेले ऐसे बीजेपी पार्टी के चीफ मिनिस्टर थे जो नितिन गडकरी को बधाई देने के लिए दिल्ली नहीं पहुंचे थे अब इसके बाद होता क्या है कि प्रेसिडेंट के पद पर रहते हुए नितिन गडकरी संजय जोशी को बीजेपी पार्टी में वापस लेकर आते हैं और यूपी इलेक्शन का संयोजक बना देते हैं इनका यह कारनामा मोदी और गडकरी के बीच में चल रहे संबंधों की खटास में आग में घी डालने का काम करता है बाद में नरेंद्र मोदी कहते हैं कि अगर संजय जोशी को यूपी इलेक्शन के संयोजक के पद से नहीं हटाया गया तो वह यूपी में प्रचार करने नहीं जाएंगे और जब गडकरी ने उनकी बात नहीं मानी तो मोदी जी यूपी में इलेक्शन का प्रचार करने नहीं गए अब आप सोच रहे होंगे कि यह संजय जोशी कौन है वैसे तो मोदी और संजय की दोस्ती थी लेकिन बाद में कुछ वजहों से इनके बीच की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई तो दरअसल हुआ क्या था कि 1979 से 90 के बीच में संजय जोशी को आरएसएस का संगठन मंत्री बनाकर गुजरात भेजा जाता है जबकि नरेंद्र मोदी पहले से यहां पर संगठन महामंत्री थे अब ये दोनों मिलकर पार्टी के लिए अच्छा काम करते हैं जिसे 1995 में गुजरात में बीजेपी की सरकार बनती है तो सुरेश मेहता को मुख्यमंत्री बनाया जाता है और नरेंद्र मोदी को दिल्ली भेज दिया जाता है जिससे संजय जोशी को फायदा होता है और यह गुजरात के संगठन महामंत्री बन जाते हैं 1998 में बीजेपी फिर से सत्ता में आती है तो अब नरेंद्र मोदी गुजरात वापस आना चाहते थे|

लेकिन जोशी इसके लिए मान नहीं रहे थे फिर यहां के समीकरण बदलते हैं और 2001 में कुछ सीटों पर उपचुनाव होता है जिसमें बीजेपी को हार का सामना करना पड़ता है जिस वजह से केशु भाई को सीएम पद से हटाकर नरेंद्र मोदी जी को चीफ मिनिस्टर बनाया जाता है और फिर सीएम बनते ही नरेंद्र मोदी संजय जोशी को दिल्ली की ओर रवाना कर देते हैं इसके बाद 2005 में संजय जोशी की एक सीढी बाजार में आती है जिसमें संजय जोशी को किसी महिला के साथ आपत्ति जनक हालात में देखा जा सकता था इस सीडी कांड के बाद संजय जोशी को बीजेपी पार्टी से बर्खास्त कर दिया जाता है जोशी समर्थकों का मानना था कि इस सीडी कांड के पीछे मोदी समर्थकों का हाथ है और फिर इस तरह की ही पार्टी के दो नेता दुश्मन बन जाते हैं लेकिन 80 के दशक में साहब आरएसएस के हेड क्वार्टर नागपुर में नितिन गडकरी और संजय जोशी दोनों साथ में काम कर रहे थे तो एक दूसरे को अच्छे से जानते थे तो नितिन गडकरी क्या करते हैं कि संजय को पार्टी में फिर से जगह देते हैं और कहीं ना कहीं मोती से पंगा ले लेते हैं तो यह तो थे मोदी गडकरी के रिलेशंस अब बात करते हैं शाह गडकरी के रिलेशंस के बारे में देखिए ऐसा सुनने में आता है कि जब नितिन गडकरी बीजेपी के अध्यक्ष थे तो अमित शाह को अदालत के आदेश की वजह से गुजरात राज्य को छोड़ना पड़ा और वह दिल्ली में रह रहे थे तो इस समय गडकरी से मुलाकात करने के लिए उन्हें घंटों बाहर इंतजार करना होता था कहा जाता है कि 2012 संशोधन भी नितिन गडकरी को लेकर हुआ था जब बीजेपी इन्हें दोबारा से प्रेसिडेंट बनाना चाहती थी अभी तक यह रूल था कि कोई भी व्यक्ति दो बार लगातार प्रेसिडेंट नहीं बन सकता था लेकिन पहली बार 2012 में नितिन गडकरी को फिर से प्रेसिडेंट बनाने के लिए इस रूल में बदलाव किया गया इसी बीच लॉयर राम जेठ मलानी ने आडवाणी को एक ओपन लेटर लिखा कि गडकरी को उन के ऊपर लगे करप्शन चार्जेस के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए जिसको यशवंत सिंह के साथ-साथ शत्रुघन सिन्हा ने भी सपोर्ट किया और फिर नितिन गडकरी को बीजेपी पार्लियामेंट वोट से ड्रॉप कर दिया जाता है और वह दोबारा प्रेसिडेंट नहीं बनते हैं इसके बाद 2013 से 14 तक पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाता है राजनाथ सिंह को 2014 के समय का चक्र घूमता है और अब बीजेपी पार्टी के अध्यक्ष बनते हैं अमित शाह यह वही अमित शाह हैं जो गडकरी के प्रेसिडेंट रहते हुए उनसे मिलने के लिए घंटों इंतजार करते थे अब यहां अमित शाह के पास मौका था अपना पुराना हिसाब किताब पूरा करने का इसी समय महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हुए थे और कुछ न्यूज़ एजेंसी की माने तो नितिन गडकरी महाराष्ट्र के सीएम बनना चाहते थे लेकिन उन्हें धक्का तब लगता है जब मोदी शाह की जोड़ी उस व्यक्ति को महाराष्ट्र की कमान सौंप देती है जिसे वे अपनी राजनीति के सामने बच्चा मानते थे यानी कि देवेंद्र फटन विस को महाराष्ट्र का सीएम बना देते हैं और फिर मोदी गवर्नमेंट में नितिन गडकरी को कैबिनेट मिनिस्टर का पद दिया जाता है नितिन गडकरी को पॉलिटिकल एक्यूमें स्ट्रांग लीडरशिप और टीम वर्क के लिए जाना जाता है ग्रेट लीडर होने के साथ-साथ एक अच्छे टास्क मास्टर भी हैं इनका डेवलपमेंट मॉडल गजब का है इन्होंने नेशनल हाईवेज और इनलैंड वाटर वेज का जाल बिछाकर देश को डेवलपमेंट में बहुत आगे खड़ा कर दिया है इतना ही नहीं बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच में नितिन गडकरी अभी भी लोकप्रिय बने हुए हैं अब वैसे तो गडकरी बीजेपी पार्टी के लीडर हैं लेकिन शिवसेना ठाकरे परिवार और कांग्रेस के साथ इनके पर्सनल रिलेशंस बहुत अच्छे हैं यही वजह है दोस्तों कि नितिन गडकरी बीजेपी और अदर पार्टीज के बीच ब्रिज का काम करते हैं इनको लेकर शिवसेना के सांसद संजय रावत ने कहा है कि नितिन गडकरी प्रधानमंत्री के दावेदार बनकर उभर सकते हैं और हमारी पार्टी उनका समर्थन करेगी अब जहां एक और बीजेपी प्रेसिडेंट के पद पर रहते हुए महाराष्ट्र सरकार और बीजेपी पार्टी दोनों के लिए एक अनोखा रोल प्ले किया है वहीं दूसरी ओर मोदी गवर्नमेंट में नितिन गडकरी रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज ऑफ इंडिया में मिनिस्टर रहते हुए लाइम लाइट पॉपुलर बने हुए हैं वो महाराष्ट्र में पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर भी रह चुके हैं जिसके लिए उन्हें महाराष्ट्र में फ्लाईओवर मिनिस्टर के नाम से जाना जाता है कैबिनेट मिनिस्ट्री में रहते हुए इनकी स्टाफ परफॉर्मेंस और पार्टी रूट्स इन्हें मजबूती प्रदान करती है जिसे देखते हुए सच में लगता है कि नितिन गडकरी मोदी के बाद पीएम का चेहरा भी हो सकते हैं लेकिन यह अकेला एक चेहरा नहीं है बल्कि और भी चेहरे हैं जो मोदी की गद्दी पर देखने को मिल सकते हैं नितिन गडकरी के बाद पीएम पद के लिए दूसरा पॉपुलर चेहरा बीजेपी के स्टार कैंपेनर योगी आदित्यनाथ का दिखा दिखाई देता है योगी जी का जन्म 5 जून 1972 को हुआ था इनका नाम अजय बिष्ट था हिंदुत्व का पोस्टर कहे जाने वाले और 1998 से लेकर 2014 तक लगातार जीत हासिल करने वाले योगी का चेहरा उस समय सामने आता है जब गोरखनाथ मंदिर के द्वारा चलाए जाने वाले इंटर कॉलेज का एक स्टूडेंट दुकान पर कपड़ा खरीदने जाता है और इस स्टूडेंट का दुकानदार से विवाद हो जाता है इस विवाद में दुकानदार रिवॉल्वर निकाल लेता है जिसके बाद योगी की लीडरशिप में स्टूडेंट्स के द्वारा एक उग्र प्रदर्शन किया जाता है जिसमें योगी एसएसपी यानी कि सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के आवाज की दीवार चढ़ जाते हैं जिसके बाद उनके बारे में लिखा जाता है गोरखपुर की राजनीति में एक एंग्री यंग मैन की एंट्री और फिर 15 फरवरी 1994 को इनके राजनीतिक विचारों को देखते हुए गोरखपुर पीठ के महंत वेदनाथ इन्हें अपना शिष्य बना लेते हैं और इनका नाम बदलकर आदित्यनाथ के रूप में एक नई पहचान देते हैं और फिर पहली बार 1998 में योगी ने गोरखपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा और सबसे युवा सांसद बने लोगों ने इनमें हिंदू महासभा के अध्यक्ष दिग्विजय नाथ की छवि देखी और उनके साथ जुड़ते चले गए जिसके बाद 1999 2004 2009 और फिर 2014 में इन्होंने लगातार पांच बार सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाया और फिर 12 सितंबर 2014 को महंत वैधनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ को गोरखनाथ मंदिर का महंत बना दिया जाता है अब तक योगी हिंदुत्व के सबसे बड़े फायर ब्रांड नेता बन चुके थे इसी इसी बीच इन्होंने 2002 में हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की थी और 18 जून 2008 में पुलिस द्वारा मना करने के बाद भी इन्होंने रैली की थी और भड़काऊ भाषण दिए जाने के चलते इन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया था खैर इसके बाद इन्हें गिरफ्तार करने वाले एसपी के साथ वहां के डीएम को भी सस्पेंड कर दिया गया था बावजूद इसके 2016 में गोरखनाथ मंदिर में भारतीय संत सभा की बैठक होती है जिसमें आरएसएस के बड़े नेताओं द्वारा योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना ने का फैसला लिया जाता है संतों का कहना था कि भाई मुलायम सिंह और मायावती की सरकार रहते हुए राम जन्मभूमि मंदिर नहीं बन पाएगा इसके लिए हमें योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना होगा और फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी पार्टी सत्ता में आती है 19 मार्च 2017 वो तारीख है जब 45 साल की उम्र में योगी जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन जाते हैं 5 साल तक राजनीति में जबरदस्त प्रदर्शन करने के बाद 2022 में यूपी में फिर से बीजेपी की सरकार आती है और फिर से योगी जी चीफ मिनिस्टर बनते हैं योगी जी 2017 से अब तक लगातार चीफ मिनिस्टर के पद पर बने हुए हैं इनके द्वारा किए गए काम और इनके द्वारा दी गई हॉट स्पीच से लेकर योगी जी हमेशा से ही सुर्खियों में बने हुए हैं इनके काम करने के तरीके और एनकाउंटर्स को लेकर इन पर क्वेश्चंस उठते आए हैं लेकिन इन्होंने अपने डेवलपमेंट मॉडल के साथ उत्तर प्रदेश को क्राइम एंड करप्शन फ्री स्टेट बना दिया है हिंदुत्व को लेकर इनकी आईडियोलॉजी के लिए जनता इन्हें काफी प्यार दे रही है और फिर जनता के इसी प्यार की वजह से हिंदुत्व आइडल जी के उत्तराधिकारी के रूप में योगी जी का नया चेहरा पीएम पद पर देखने को मिल सकता है अब इनके अलावा मोदी के चहीत और राजनीति के चाणक्य अमित शाह भी पीएम बन सकते हैं जी हां और अगर इन तीनों को सामने नहीं लाया गया तो कौन पीएम का चेहरा हो सकता है यह तो हम बता ही चुके हैं खैर फ्यूचर तो प्रिडिक्ट नहीं किया जा सकता |

By Naveen

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