है अगर आप भी 90 है तो आपको वो दिन जरूर याद होंगे जब आपके घर में पहली बार नोकिया मोबाइल आया था और मोबाइल आने के कुछ ही दिन बाद हमारी तरह शायद आपके भी कानों में बीएसएनएल नाम पड़ा था उम्र बढ़ाने के साथ साथ हम ना केवल फोन से रिलेटेड हर छोटी-बड़ी चीज जानते गए बल्कि हमें बीएसएनएल नेटवर्क जो की इंडिया की ही कंपनी है इसके बारे में भी ज्यादा जानने और समझने को मिला लेकिन सोचने वाली बात यह है की पहले भले ही बीएसएनएल का नाम और उसके नेटवर्क से जुड़ी हर छोटी-बड़ी इनफॉरमेशन और न्यूज़ हमें मिलती रहती थी लेकिन अब इस कंपनी का नाम तक नहीं सुनने को मिलता ऐसे में यह जानना जरूरी है की आखिर ऐसा क्या हुआ की बीएसएनएल का नामोनिशान मिट गया बीएसएनएल यानी भारत संचार निगम लिमिटेड नाम से मशहूर इंडियन कंपनी एक टाइम पर लोगों की जुबान पर टी रहती थी हालांकि बीएसएनएल का फुल फॉर्म उसे वक्त पूछने पर ज्यादातर लोग यही बोलते हुए नजर आते द की बीएसएनएल है तो अपनापन है खैर हसी मजाक को छोड़ दिया जाए तो बीएसएनएल के शिव कोई टेलीकॉम कंपनी उसके टक्कर की नहीं थी यही वजह है की बीएसएनएल ने 2004 के करीब 10000 करोड़ के करीब प्रॉफिट कमाया था इस प्रॉफिट का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है की पिछले साल जियो ने 12000 करोड़ का प्रॉफिट कमाया था और उसे वक्त ₹10000 करोड़ की वैल्यू क्या रही होगी आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं हालांकि बीएसएनएल आज की तारीख में 33000 करोड़ के घाटे में है माना जाता है की एक वक्त पर पूरे इंडिया पर राज करने वाली बीएसएनएल को जानकर डुबाया गया है 2001 से लेकर 2008 तक बीएसएनएल ना केवल अपना कम अच्छे से कर रही थी बल्कि आम जनता को खुश करने के साथ साथ यह टेलीकॉम कंपनी सरकार के खजाने को भी भर रही थी अब ज़ाहिर है की सरकारी खजाने को भरने की वजह से सरकार कोई छेड़छाड़ नहीं कर रही थी इस वजह से बीएसएनएल हर कम आजादी के साथ कर का रही थी

और इसी का नतीजा है की 2001 से लेकर 2008 तक इस कंपनी ने करीब 40 हजार करोड़ का मुनाफा कमाया था इतना ही नहीं इन वर्षों में बीएसएनएल के पास करीब 70% मार्केट शेयर भी था और इस मुनाफे के चलते ही एक कंपनी आम जनता को सस्ते दामों में हर तरह की सुविधाएं दे रही थी लेकिन बीएसएनएल के पाटन की शुरुआत कब हुई जिस वक्त सीबीआई ने तत्कालीन टेलीकॉम मिनिस्टर दया ने भी मारन से टेलीफोन एक्सचेंज के मामले में पूछता आज की और ये बात पब्लिकली लीक हो गई इसके अलावा एक खबर यह भी आई की मंत्री जी ने कुछ सीनियर ऑफिसर्स के साथ मिलकर करीब 330 हाई स्पीड लाइंस का पूरा सेटअप अपने ही घर में लगवा रखे हैं और इस बारे में कहा गया की हाई स्पीड लाइंस का इस्तेमाल बीएसएनएल के नेटवर्क के लिए नहीं बल्कि मारन के भाई के चैनल सन टीवी नेटवर्क के चैनल के सिग्नल्स को अपलोड करने के लिए किया जा रहा है यानी मारन चोरी छुपे इन इक्विपमेंट्स को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे द वो भी बिना किसी परमिशन के इस रोड के चलते ही मारन को मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा पर बात इतने पर ही खत्म नहीं हुए मारन के इस्तीफा देने के बाद भी बीएसएनएल के सभी tranzections की जांच की जाने लगी इसके अलावा बीएसएनएल की हर छोटी-बड़ी हरकत पर नज़र राखी जाने लगी और इस घटना के बाद 2007 में बीएसएनएल की बागडोर ए राजा के हाथ सेप गई इतने समय से मार्केट में राज कर रही बीएसएनएल अभी भी सबसे टॉप पर थी और इसी बात का फायदा उठाते हुए बीएसएनएल बाय एमएक्स टेक को इंडिया में लॉन्च करने की सोच रही थी इस नई टेक्नोलॉजी के चलते बिना किसी वायर या केबल की मदद से किसी भी तरह के डाटा को ट्रांसफर किया जा सकता था इस टेक्नोलॉजी की मदद से पूरे भारत को हाई स्पीड इंटरनेट भी मिल सकता था पर इसी बीच 2G स्पेक्ट्रम घोटाला हुआ और बीएसएनएल के सपने पर पानी फिर गया इस घोटाले ने राजनीति जगत में एक अजीब तरह की हलचल पैदा कर दी 2010 में हुए

घोटाले के साथ-साथ ये राजा पर कई सारे गंभीर आरोप लगाए गए इनमें सबसे बड़ा आरोप था की राजा ने इस स्पेक्ट्रम को बांटने के लिए घुस खाए और गुपचुप तरीके से कई सारी धांधली की बीएसएनएल पर पहले से ही नजर गया बैठी एजेंसीज को भी यही लगा की अंदरूनी तौर पर कई सारी dhandaliya हुई है पर की बात है कितना सब होने के बाद भी किसी तरह की इन्वेस्टिगेशन नहीं की गई हान इतना जरूर हुआ की इस दौरान सरकार ने हर छोटे-बड़े टेंडर पर नजर जरूर दौड़ आई आपको बता दे की जब भी सरकार को किसी भी तरह का कम करवाना होता है उसे वक्त एक तरह के अलर्ट यानी नोटिफिकेशन दिया जाता है यह कम जो भी कंपनी कम दम वह कम समय में अच्छे से कर सकती है उसी को टेंडर मिलता है खैर टेंडर की जांच के दौरान बीएसएनएल का नाम काफी स्लो रहा पर टेंडर को चेक करते समय गवर्नमेंट ने पाया की जो सेल कंपनी असल में है ही नहीं उन्होंने भी वेडिंग यानी बोली में हिस्सा लिया है इतना ही नहीं इन कंपनी को एक नहीं बल्कि कई-कई बार शॉर्टलिस्ट भी किया गया है इससे भी ज्यादा हैरानी वाली बात तो ये है की नोकिया जैसी जानी-मानी कंपनी को पहले ही राउंड में बाहर कर दिया जा रहा है जो कम दम में टेंडर लेने को रेडी थी और इसी वजह से सरकार को मजबूरन टेंडर के लिए ज्यादा पैसा देना पद रहा है इन्हीं कर्म के चलते इस केस में सीबीआई की मदद लेनी पड़ी सीबीआई की इंवॉल्वमेंट के चलते बीएसएनएल का कम और भी स्लो होने लगा बीएसएनएल का कम भले ही धीमा चल रहा था पर कंपनी ने अभी भी हर नहीं मणि थी इसका छोटा सा नमूना इस वक्त देखने को मिला जब 2009 में उन्होंने ऐलान किया की वो 9.

3 करोड़ gsmine डालने जा रहे हैं और इस प्रोजेक्ट की वैल्यू हजारों करोड़ में आकर गई पर वक्त बदल रहा था और इस वक्त मार्केट में आइडिया और एयरटेल जैसी कंपनी स्पेयर पसारने की कोशिश में लगी हुई थी बीएसएनएल किसी तरह एक बार फिर से मार्केट में वापसी करने को तैयार थी लेकिन 2010 में हुई बेड में बीएसएनएल ने एक बार फिर से बड़ी-बड़ी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाया इनमें से एक नोकिया भी थी लास्ट राउंड में एरिक्सन और हवाई जैसे कंपनी थी बची मतलब साफ था की एक बार फिर से बीएसएनएल के हाथ में टेंडर जा रहा था ऐसे में इंक्वारी के लिए ना सिर्फ एक टीम बिठाई गई बल्कि इस प्रोजेक्ट को भी बंद कर दिया गया ज़ाहिर है बीएसएनएल की गार्डन पर तलवार लटक रही थी इसका छोटा सा नमूना उसे वक्त देखने को मिला जब दूसरी कंपनी अपने आप को अपडेट लेकर तेजी से आगे बढ़ती चली गई वहीं बीएसएनएल का इतना बुरा दौर चल रहा था की उनके एम्पलाइज अभी भी पुराने इक्विपमेंट से किसी तरह अपना कम चला रहे द अपडेट करना तो दूर की बात है इतना सब होने के बाद भी बीएसएनएल की मुसीबतें कम नहीं हुई क्योंकि इसी बीच जिओ लॉन्च हुआ अब बताने की जरूरत नहीं है की जिओ के बाजार में उतरते ही किस तरह जनता लंबी लंबी लाइन में लगकर सिम कार्ड के लिए छीना झपट कर रही थी फ्री डाटा और फ्री कॉल के साथ साथ जिओ ने 4G लॉन्च करके भारत में आते ही पूरे भारत में एक अलग मकाम हासिल किया एक तरफ बीएसएनएल जहां कम इक्विपमेंट्स के चलते स्वच्छ सर्व भी नहीं लॉन्च कर पाया था वही जिओ ने कम इक्विपमेंट्स के बाद भी आते ही 4G लॉन्च कर दिया इसके अलावा जिओ ने बहुत ही स्मार्ट टैक्स का इस्तेमाल जिओ के दीवाने हो गए और बीएसएनएल हाथ मस्ती रह गई |

By Naveen

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