भगवान शिव (Lord Shiva) को भोलेनाथ कहा जाता है. वे भक्तों से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और कृपा की बारिश कर देते हैं. भोले भंडारी की कृपा से भक्तों के सभी बिगड़े काज संवर जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव मात्र जल, फल, फूल और बेलपत्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं. सोमवार का व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा (Worship of Lord Shiva) करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. भगवान शिव से मनचाहा वरदान पूरा करवाने के लिए सोमवार को विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. भगवान की पूजा के दौरान उनकी स्तुति में किया गया जाप बहुत लाभदायक होता है. आइए जानते हैं भगवान शिव की पूजा के समय किस मंत्र के जाप (Shiv stuti mantra) से प्रभु झट हो जाते हैं प्रसन्न…
सोमवार का व्रत रखकर भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए और पूजा के दौरान भगवान शिव की स्तुति के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।
शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।
परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
जायते यतो पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।
न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।
प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवा शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।
शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।
देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।
पूजा के दौरान मंत्र के जाप से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है. इसके साथ ही मंत्रों के जाप से एकाग्रता बढ़ती है और मन में अच्छे विचार आते हैं. इससे नैतिक बल प्राप्त होता है.
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