एक भूवैज्ञानिक अध्ययन का खुलासा
नई दिल्ली, 31 मई 2024: भूवैज्ञानिक अध्ययनों ने एक नया खुलासा किया है कि अफ्रीकी प्लेट धीरे-धीरे भारतीय प्लेट की ओर बढ़ रही है। इस घटना के प्रभाव से भारतीय उपमहाद्वीप में महत्वपूर्ण भूगर्भीय परिवर्तन होने की संभावना है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह प्रक्रिया बेहद धीमी है, लेकिन इसके प्रभाव दीर्घकालिक और व्यापक हो सकते हैं।
टेक्टोनिक प्लेटों की गति
टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण पृथ्वी की सतह में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं। अफ्रीकी और भारतीय प्लेटों के बीच की यह गति लगभग 2.5 सेमी प्रति वर्ष की दर से हो रही है। यद्यपि यह गति बहुत धीमी है, लेकिन लाखों वर्षों में इसका प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकता है।
संभावित प्रभाव
- भूकंप का खतरा: प्लेटों के टकराने से भूकंप की संभावना बढ़ जाती है। हिमालय क्षेत्र में विशेष रूप से उच्च तीव्रता वाले भूकंपों का खतरा बढ़ सकता है।
- पर्वतों का निर्माण: जैसे-जैसे प्लेटें टकराएंगी, हिमालय पर्वत श्रंखला में और ऊँचाई बढ़ सकती है। यह प्रक्रिया पहले भी इसी तरह से हुई है जब भारतीय प्लेट ने एशियाई प्लेट से टकराया था।
- जलवायु परिवर्तन: भूगर्भीय परिवर्तनों का जलवायु पर भी असर हो सकता है। पर्वतों की ऊँचाई में बदलाव से मानसून और अन्य मौसमी पैटर्न पर प्रभाव पड़ सकता है।
- समुद्री जल स्तर: प्लेटों के मूवमेंट से समुद्री जल स्तर में भी बदलाव आ सकता है। इससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
वैज्ञानिकों की राय
आईआईटी कानपुर के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर अरुण वर्मा कहते हैं, “यह एक बहुत ही धीमी प्रक्रिया है, लेकिन इसके प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें इसके संभावित परिणामों के लिए तैयार रहना होगा और उचित वैज्ञानिक और तकनीकी उपायों को अपनाना होगा।”
तैयारियाँ और समाधान
भारत सरकार और भूवैज्ञानिक संस्थान इस दिशा में कई कदम उठा रहे हैं। भूकंप-प्रतिरोधी इमारतों का निर्माण, चेतावनी प्रणाली का विकास और आपदा प्रबंधन की तैयारी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
अफ्रीकी और भारतीय प्लेटों की टक्कर एक लंबी अवधि की प्रक्रिया है, लेकिन इसके प्रभाव को समझना और इसके लिए तैयार रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विज्ञान और तकनीकी के उचित उपयोग से हम इस चुनौती का सामना करने में सक्षम हो सकते हैं।