दुनिया को जीतने वाला सिकंदर भारत को क्यों नहीं जीत सका
सिकंदर महान, जिसे अलेक्जेंडर द ग्रेट के नाम से भी जाना जाता है, इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से एक है। उसने ग्रीस से लेकर मिस्र और फ़ारस तक एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। लेकिन जब वह भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करने की कोशिश करता है, तो उसकी विजय यात्रा अचानक थम जाती है। सिकंदर की भारतीय अभियान की कहानी साहस, संघर्ष, और अपरिहार्य निराशा की कहानी है। आइए, जानते हैं क्यों सिकंदर भारत को नहीं जीत सका।
सिकंदर की विजय यात्रा
सिकंदर का जन्म 356 ईसा पूर्व मकदूनिया में हुआ था। उनके पिता, फिलिप द्वितीय, मकदूनिया के राजा थे और उन्होंने सिकंदर को एक महान योद्धा और शासक के रूप में तैयार किया। 20 वर्ष की आयु में, सिकंदर मकदूनिया के राजा बने और उन्होंने अपने पिता की योजना को आगे बढ़ाते हुए फारसी साम्राज्य को पराजित किया। 331 ईसा पूर्व में, उन्होंने फारसी राजा डेरियस तृतीय को गोगेमेला की लड़ाई में हरा कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
भारत की ओर अभियान
फारस विजय के बाद, सिकंदर की नजरें पूर्व की ओर मुड़ गईं। वह भारत की विशाल और संपन्न भूमि को जीतने के लिए तत्पर था। 326 ईसा पूर्व में, सिकंदर ने अपने सेना के साथ हिंदुकुश पर्वत पार किया और भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश किया। यहां उन्होंने राजा पोरस के खिलाफ झेलम नदी के किनारे युद्ध लड़ा, जिसे इतिहास में हाइडेस्पीज की लड़ाई के नाम से जाना जाता है।
हाइडेस्पीज की लड़ाई
हाइडेस्पीज की लड़ाई सिकंदर के भारतीय अभियान की सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई थी। राजा पोरस, जो पंजाब के एक शक्तिशाली शासक थे, ने अपने विशाल हाथी बल के साथ सिकंदर की सेना का मुकाबला किया। यह युद्ध अत्यंत कठिन और भीषण था। सिकंदर ने अपनी रणनीति और युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हुए पोरस की सेना को पराजित किया। हालांकि, इस लड़ाई के बाद सिकंदर ने पोरस को उसकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया और उसे उसका राज्य वापस दे दिया।
विजय यात्रा का अवरोध
हालांकि सिकंदर ने पोरस को हराया, लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप को पूरी तरह से जीतना उसके लिए संभव नहीं हो पाया। इसके पीछे कई कारण थे:
1. भूगोल और जलवायु
भारत का भूगोल और जलवायु सिकंदर की सेना के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हुए। भारतीय उपमहाद्वीप का विशाल और विविध भूभाग, जिसमें घने जंगल, विशाल नदियाँ और ऊँचे पर्वत शामिल थे, ने सिकंदर की सेना की गति को धीमा कर दिया। इसके अलावा, भारतीय मानसून की भारी बारिश ने उनके अभियान को और कठिन बना दिया।
2. स्थानीय शासकों का प्रतिरोध
भारत में अनेक स्वतंत्र और शक्तिशाली राज्य थे, जिनमें से हर एक का अपना मजबूत सैन्य बल था। सिकंदर को प्रत्येक राज्य के साथ अलग-अलग संघर्ष करना पड़ा। स्थानीय शासकों का दृढ़ प्रतिरोध और उनके सहयोग से सिकंदर की सेना थक गई और हताश हो गई।
3. सैनिकों की थकान और विद्रोह
लगातार युद्ध और लंबी दूरी की यात्रा के कारण सिकंदर की सेना थक चुकी थी। सैनिक अपने घरों से बहुत दूर थे और वे लगातार संघर्ष और असहनीय मौसम की स्थिति से परेशान थे। अंततः, उनके सैनिकों ने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया और लौटने की मांग की। सिकंदर ने अपने सैनिकों की मांग को मानते हुए वापस लौटने का निर्णय लिया।
4. भारतीय युद्ध कौशल और रणनीति
भारतीय युद्ध कौशल और रणनीति भी सिकंदर के लिए एक चुनौती थे। भारतीय सेनाओं के हाथी बल, उनके धनुर्धारियों की कुशलता, और उनकी युद्ध रणनीतियों ने सिकंदर की सेना के लिए कठिनाइयाँ पैदा कीं। भारतीय शासकों ने सिकंदर की सेना को अपने तरीके से मुकाबला किया, जिससे सिकंदर को भारी नुकसान हुआ।
सिकंदर महान एक अविस्मरणीय योद्धा और शासक थे जिन्होंने अनेकों युद्ध जीते और एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप की चुनौतीपूर्ण भूगोल, स्थानीय शासकों का दृढ़ प्रतिरोध, उनके सैनिकों की थकान और विद्रोह, और भारतीय युद्ध कौशल ने मिलकर उन्हें भारत को पूरी तरह से जीतने से रोक दिया। सिकंदर की भारतीय अभियान की कहानी इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जो हमें यह सिखाती है कि प्रत्येक युद्ध केवल ताकत और संख्या से नहीं, बल्कि रणनीति, स्थानीय ज्ञान और सैनिकों के मनोबल से भी जीता जाता है।
सिकंदर के बाद, उनके साम्राज्य का विघटन हो गया और उनके सेनापति अलग-अलग क्षेत्रों पर शासन करने लगे। उनकी मृत्यु के बाद भी, सिकंदर की विरासत और उनकी विजय यात्रा इतिहास में अमर है। भारत में उनका अभियान केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों के बीच का एक मिलन भी था, जिसने इतिहास को एक नया मोड़ दिया।
इस प्रकार, सिकंदर की विजय यात्रा के अंत में, भारतीय उपमहाद्वीप का उनका अधूरा सपना रह गया, जो इतिहास के पन्नों में एक महत्वपूर्ण और रोमांचक कथा के रूप में दर्ज है।