बाबा राम रहीम, जो स्वयं को ‘गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा’ के नाम से जानते हैं, डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख रहे हैं। उनके अनुयायियों की संख्या लाखों में है और वे अपने अनुयायियों के लिए एक दिव्य पुरुष माने जाते थे। लेकिन इस बाबा की चकाचौंध भरी दुनिया के पीछे छिपे कई गहरे रहस्यों और आपराधिक गतिविधियों का पर्दाफाश तब हुआ जब कुछ साहसी व्यक्तियों ने न्याय के लिए लड़ाई शुरू की।
शुरुआती विवाद और आरोप
साध्वियों के यौन शोषण का मामला
2002 में, एक गुमनाम पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा गया था, जिसमें एक साध्वी ने बाबा राम रहीम पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। यह पत्र मीडिया में लीक हो गया और इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इसकी जांच के आदेश दिए। इस पत्र में साध्वी ने बताया कि उसे और अन्य साध्वियों को बाबा द्वारा यौन शोषण का शिकार बनाया गया था।
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति, जो स्थानीय समाचार पत्र ‘पूरा सच’ के संपादक थे, ने साध्वियों के यौन शोषण की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद 24 अक्टूबर 2002 को छत्रपति पर जानलेवा हमला हुआ और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। एक महीने बाद, 21 नवंबर 2002 को उन्होंने दम तोड़ दिया। जांच में खुलासा हुआ कि यह हमला बाबा राम रहीम के आदेश पर किया गया था।
रंजीत सिंह की हत्या
डेरा सच्चा सौदा के एक पूर्व मैनेजर रंजीत सिंह, जो बाबा के खिलाफ आवाज उठा रहे थे और साध्वियों के समर्थन में खड़े थे, उनकी भी 2002 में हत्या कर दी गई थी। यह मामला भी सीबीआई ने जांच में पाया कि बाबा राम रहीम के निर्देश पर अंजाम दिया गया था।
सीबीआई की जांच और अदालत की कार्यवाही
सीबीआई ने लंबे समय तक जांच की और बाबा राम रहीम के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए। 2007 में, सीबीआई ने बाबा राम रहीम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। लेकिन बाबा के प्रभाव और राजनीतिक संबंधों के कारण मामला कई वर्षों तक खिंचता रहा। अंततः 2017 में पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने बाबा राम रहीम को साध्वियों के यौन शोषण के मामले में दोषी ठहराया।
दोष सिद्धि और सजा
25 अगस्त 2017 को बाबा राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद हरियाणा और पंजाब में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी। बाबा के अनुयायियों ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया और कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएँ हुईं। 28 अगस्त 2017 को, अदालत ने बाबा राम रहीम को 20 साल के कारावास की सजा सुनाई।
बाबा का जीवन और उनका साम्राज्य
बाबा राम रहीम का असली नाम गुरमीत सिंह है। वे हरियाणा के श्री गंगानगर जिले के गुरुसर मोडिया गाँव में 1967 में जन्मे थे। 1990 में, डेरा सच्चा सौदा के तत्कालीन प्रमुख शाह सतनाम सिंह ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। इसके बाद राम रहीम ने डेरा का नेतृत्व संभाला और इसे एक बड़े धार्मिक और सामाजिक संगठन के रूप में विकसित किया।
डेरा सच्चा सौदा का साम्राज्य
डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय सिरसा, हरियाणा में है। डेरा के पास हजारों एकड़ जमीन, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और कई उद्योग हैं। बाबा राम रहीम ने अपने अनुयायियों को ‘इंसान’ नामक उपनाम देकर एकता और भाईचारे का संदेश दिया। उन्होंने कई सामाजिक कार्यक्रम भी चलाए, जैसे रक्तदान शिविर, स्वच्छता अभियान आदि।
फिल्में और ग्लैमर
बाबा राम रहीम ने अपने जीवन पर आधारित कई फिल्में भी बनाई, जिनमें वे स्वयं मुख्य भूमिका में थे। इन फिल्मों में उन्होंने खुद को एक मसीहा और सुपरहीरो के रूप में प्रस्तुत किया। बाबा ने गायन, अभिनय और निर्देशन में भी हाथ आजमाया और खुद को एक बहुमुखी प्रतिभा के रूप में प्रस्तुत किया।
अन्य आपराधिक गतिविधियाँ और आरोप
बाबा राम रहीम के खिलाफ सिर्फ यौन शोषण और हत्या के ही नहीं, बल्कि और भी कई संगीन आरोप हैं।
जबरन नसबंदी
बाबा पर आरोप है कि उन्होंने अपने कुछ अनुयायियों को जबरन नसबंदी करवाई ताकि वे शादी न कर सकें और आजीवन डेरा में ही रह सकें। कई पीड़ितों ने अदालत में गवाही दी कि उन्हें बाबा के समर्थकों ने धोखे से ऑपरेशन करवाने के लिए मजबूर किया।
वित्तीय अनियमितताएँ
डेरा सच्चा सौदा के आर्थिक मामलों में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ पाई गई हैं। बाबा और उनके सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने अपने अनुयायियों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की और डेरा की संपत्ति का दुरुपयोग किया।
अन्य विवाद
बाबा राम रहीम पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का भी आरोप है। 2007 में, उन्होंने एक धार्मिक कार्यक्रम में सिख गुरु गोबिंद सिंह की तरह पोशाक पहनकर एक नाटक किया, जिससे सिख समुदाय में भारी आक्रोश फैल गया। इसके चलते पंजाब और हरियाणा में कई जगहों पर हिंसा भड़क उठी।
न्याय की जीत और पीड़ितों की आवाज
बाबा राम रहीम के खिलाफ मामलों में न्याय की जीत उन सभी साहसी व्यक्तियों की मेहनत और संघर्ष का परिणाम है जिन्होंने डर के बावजूद सत्य के लिए लड़ाई लड़ी। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और रंजीत सिंह जैसे लोगों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भी न्याय की मशाल को जलाए रखा।
वर्तमान स्थिति
बाबा राम रहीम वर्तमान में रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहे हैं। उनके अनुयायी अब भी उनकी निर्दोषता का दावा करते हैं और उनके समर्थन में कई बार विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं। डेरा सच्चा सौदा का संचालन अब भी जारी है, लेकिन बाबा के जेल जाने के बाद इसका प्रभाव कम हो गया है।
बाबा राम रहीम के कृत्यों का पर्दाफाश भारतीय समाज में धर्म और आस्था के नाम पर हो रहे अपराधों को उजागर करता है। यह घटना इस बात की भी याद दिलाती है कि कैसे प्रभावशाली व्यक्ति अपने अनुयायियों की आस्था का दुरुपयोग कर सकते हैं और अपने स्वार्थ के लिए उन्हें शोषित कर सकते हैं। लेकिन सत्य की जीत और न्याय की प्राप्ति उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
बाबा राम रहीम के कांडों का खुलासा एक ज्वलंत उदाहरण है कि अपराध चाहे कितना भी संगीन और प्रभावशाली व्यक्ति द्वारा ही क्यों न किया गया हो, अंततः उसे न्याय के कटघरे में आना ही पड़ता है।