भारत की एक ख़ास नदी जिसमे सोना पाया जाता है।
दोस्तों क्या आप जानते है जो सोना आज कल न न बल्कि कई सालो से मार्किट में अपने दामों से तबाही मचा रहा है उसे आम सी नदी में ढूंढा जा सकता है ? क्या आप जानते है ऐसी कौनसी नदी है जिसमे सोना पाया जाता है क्या आप जानते है वहाँ के लोग उस सोने का किस तरह से इस्तेमाल करते है या फिर उसको किस तरह से ढूंढा करते है ? अगर नहीं तो चलिए जानते है ।
दोस्तों आज के समय में सोना एक ऐसी चीज है जो आम लोगो में ख़रीदा जाना तो एक नामुमकिन सी बात है ,, क्योकि सोने की कीमत और इम्पोर्टेंस तो आज हर कोई जनता है की इसकी हाई रेट तो आसमान छू रही है,, हा ये बात भी सच है कि बाजारों में मिलने वाला ज्यादतर सोना माइंस से आता है और इस सोने को ढूंढ़ने के लिए खदानों का यूज़ किया जाता है , लेकिन आपको बतादे भारत में एक ऐसी नदी भी है जहाँ से लोग मछली नहीं बल्कि सोना लेने आते है जी हाँ सोना , इस नदी का नाम स्वर्ण रेखा नदी है।
अगर भई पुराने समय कि बात करे तो दोस्तों एक समय ऐसा भी था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योकि भारत एक ऐसा देश था जहाँ पर टनो के हिसाब से सोना और हीरे जेवरात देखने को मिलते थे जी हाँ पुराने समय के मंदिरो में कई टन सोना और कई हीरे जेवरात रखे हुए थे , आपको बतादे कि सभी हीरे और सोने हमारे भारत के नदियों और खदानों में ही पाए गए थे लेकिन जैसा कि आप सब जानते है जब अंग्रेजो का राज था तब उन्होंने यहाँ से जाते समय सारा सोना अपने अंडर में कर लिया था और अपने साथ लेकर चले गए थे।
दोस्तों हम जिस स्वर्ण रेखा नदी की बात कर रहे है ये झारखण्ड के छोटा नागपुर क्षेत्र में बहने वाली एक ख़ास और अनोखी नदी है ,इस नदी को एक ख़ास और काफी ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योकि ये नदी न केवल उनको पानी कि सुविधा दिया करती है बल्कि उनको रोजगार भी देती है जिसकी वजह से ये लोग अपना जीवन का गुजर बसर करते है। यहाँ पर रहने वाले लोग इस नदी को नंदा नदी के नाम से बुलाते है और ये कई सालो से यहाँ के लोगो के रोजगार की वजह बानी हुई है इसलिए यहाँ के लोग इस नदी को अपनी खुशनसीबी समझते है।
असल में कई सालो से इस नदी कि रेत में से सोना निकाला जा रहा है। यहाँ पर रहने वाले लोग रोज सुबह इस नदी में जाया करते है और इस नदी कि रेत में से सोना ढूंढा करते है और उससे कुछ पैसे कमाया करते है। इस तरह का काम ये लोग पीढ़ियों से करते चले आ रहे है इस काम की वजह से ही इनकी कई पीढ़ि यही रही और आज भी ये लोग इस काम को कर रहे है।
यहाँ पर रहने वाले परिवारों के सभी आदमी , औरत और साथ ही बच्चे भी सारा दिन रेत को छानकर सोना निकाला करते है , वैसे तो ये लोग अपने इस काम को पूरे साल ही किया करते है लेकिन बरसात का मौसम आने पर नदी में बाढ़ आ जाती है जिसकी वजह से इन लोगो को अपना ये काम 2 महीने के लिए रोकना पड़ता है।अब भई आप सोच रहे होंगे की जब हर रोज सोना निकाला जा रहा है तो भई इनकी कमाई भी खूब होती होगी तो दो महीने में इनका क्या बिगड़ने वाला है , लेकिन दोस्तों आपको बतादे ऐसा कुछ भी नहीं है क्योकि दिन भर की कड़ी मेहनत करने के बाद एक व्यक्ति को सिर्फ एक या दो सोने के छोटे कण ही मिल पाते है , जो बेहद ही छोटे होते है , यानि अगर अनुमान लगाया जाये तो एक इंसान को पूरे महीने में 40 से 50 छोटे छोटे इस तरह के कण ही मिल पाते है।
अब इनकी दिनभर की मेहनत की मजदूरी की बात करे तो भई इनको इतनी कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी उतने पैसे नहीं मिल पाते जो असल मायने में इन्हे मिलने चाहिए और ये सब अपने इस काम को छोड़ कोई दूसरा काम भी नहीं कर सकते है क्योकि ये uneducated होने की वजह से कोई दूसरे काम में हाथ नहीं बढ़ते है इसी वजह से ये लोग पीढ़ियों से गरीब के गरीब ही रहे गए है लेकिन ये बात भी सच है की जो बिज़नेस मैन इन लोगो से सोना ख़रीदा करते है वो लोग अच्छे खासे पैसे वाले करोड़ पति बन गए है।
इन बिज़नेस मैन लोगो की चाल ये रहती है की वो लोग इन सभी मजदूरों से इन सोने के कणो को 50 से 70 रु के ख़रीदा करते है और इन कणो को सोने की मार्किट में ले जाकर 500 से 700 रु एक कण के बेच दिया करते है , जिसकी वजह से ये कणो को खरीदने वाले तो अच्छे खासे पैसे वाले बन गए ही लेकिन यहाँ के रहें वालो का आज तक यही हाल है।
इसके अलावा हम इस नदी के आसपास की मिटटी की बात करे तो वहाँ भी सोने के कई कण पाए जाते है , इसलिए यहाँ के लोग अक्सर यहाँ की चट्टानों की मिट्टी को इकठ्ठा कर लेते है और उनको अपने घर ले जाते है उसके बाद ये लोग इस मिट्टी को पानी से धो लेते है और कपड़े से छानने के बाद सोना निकाल लिया करते है , लेकिन भई सोचने वाली बात तो ये है की जिस नदी में इतना सोना पाया जाता है वहाँ रहते हुए भी आज तक ये लोग गरीब के गरीब है ।
अब दोस्तों इस नदी की बात करे तो ये सालो से पानी के साथ सोने के कणो को बहाती चली आरही है , ये नदी झारखण्ड , उड़ीसा और वेस्ट बंगाल में बहती है, आज तक किसी को भी नही पता चल पाया की आख़िर इस नदी में पाए जाने वाले सोने के कण कहां से आते है , लेकिन कई लोगो का ये मानना है की ये नदी कई ऐसी ऐसी चट्टानों से होकर निकलती है ,, जहाँ पर सोना पाया जा सकता है और शायद चट्टान में मिलने वाले ये सोने के कण पानी के तेज बहाव की वजह से पानी और रेत के साथ बहने लगते है।
सोने के कणो के साथ बहने वाली ये नदी असल में देखा जाये तो 474 KM लम्बी है ,, इसकी शुरूआत रांची से 16 KM दूर है। इसके अलावा नदी से लगे हुए तमर और सरांदा जैसे कुछ ख़ास इलाके है जहाँ पर ये सोने के कणो को निकालने का काम किया जाता है। यही नहीं इसके अलावा एक दिलचस्प बात ये भी है की इस नदी की एक सहायक नदी भी है , जिसमे इस तरह से ही सोना पाया जाता है। इस नदी को लोग खरकई (KHARKAI) नदी के नाम से जानते है।
इस खरकई नदी की बात करे तो भई इस नदी में भी सोना ढूंढ़ने वालो की कमी नहीं है छोटे छोटे बच्चों से लेकर बड़े बड़े लोग भी यहाँ सोना ढूंढ़ने का काम किया करते है। इस सहायक नदी में भी सोने के कणो को ढूंढ़ने के लिए उतनी मेहनत की जाती है जितनी मेहनत लोगो को स्वर्ण रेखा नदी में कणो को ढूंढ़ने में लगती है और यहाँ भी लोग मुश्किल से 50 से 60 कण ही महीने में निकाल पाते है यही नहीं कभी कभी तो महीने में 30 कण निकलना भी मुश्किल हो जाते है।
वेल दोस्तों ये तो हमने जान लिया की इस नदी में से सोना निकाला जाता है और यहाँ के रहने वाले लोग किस तरह से इस सोने के कणो को बेचकर अपना गुजर बसर करते है लेकिन अब हम बात करने जा रहे है की भई आखिर इस नदी में ये सोना आता कहां से है तो चलिए जानते है लेकिन उससे पहले आपने अभी तक हमारी वीडियो को लाइक नहीं किया है तो जल्दी से लाइक कर दो यार और चैनल पर नए है तो सब्सक्राइब करना बिलकुल भी न भूले।
दोस्तों हमारे भारत देश में कई सारी ऐसी ऐसी नदी है जो काफी ज्यादा बड़ी और चौड़ी है जिनमे कई तरह के मिनरल्स , मेटल्स और कई तरह के natural रिसोर्सेज पाए जाते है ,, ये रिसोर्सेज स्वर्ण रेखा नदी के हिसाब से कई ज्यादा पाए जाते है ,, लेकिन कुछ भी हो इन सभी नदियों में से इस तरह का असली सोना तो आज तक नहीं पाया गया ,, जब इस नदी के लिए कई रेसर्च हुई थीं तब जियोलॉजिस्ट का तो ये अनुमान था की ये सोने के कणो का सारा खेल लैंडस्केप का ही है।
इस नदी में सोना मिलने का सारा सम्बन्ध उसकी ज्योग्रफिक्स से जुड़ा हुआ है असल में ये नदी ऐसी कई सारी बड़ी बड़ी चट्टानों से होकर गुजरती है जहाँ पर ये सोने के कण मिलते है ,, इस बात को मानने वाले यहाँ के रहने वाले लोग है जिनका कहना है की नदी के आसपास वही चट्टानों में ये MORUONG मिट्टी पाई जाती है इस मिट्टी को जब पानी से साफ़ किया जाता है तब उसमे भी सोने के कण पाए जाते है तो भई इस बात से ये तो साफ़ है की चट्टानों में भी सोने के कण मिले हुए है। यही वजह है जो सदियों से स्वर्ण रेखा नदी में सोने के कण पाए जाते है और आज तक ये सोना खतम नहीं हुआ है यही नहीं इसके अलावा लोगो का ये भी मानना है की स्वर्ण नदी में सोने के ये कण खरकई नदी से आकर मिलते है लेकिन इस बात को आज तक कोई साबित नहीं कर पाया है।
दोस्तों ये थी आज की हमारी स्वर्ण रेखा नदी की सच्चाई जिसके पानी में लोग ज्यादतर मछलियां नहीं बल्कि खासकर सोने के कण को ढूंढ़ने के लिए आते है।