यह स्टोरी है एक ऐसे बच्चे की जिसका बाप 2 साल में ही मर गया और उसकी मां ने उसे बहुत मेहनत से पाना जिसे बिजनेस में अपने बिजनेस पार्टनर से धोखा मिला लेकिन इसके बावजूद उसने सदी की सबसे लग्जरी कार बनाई Mercedes-benz है उसमें जो वर्ड है ड्राइवर थे और मां एक हाउसवाइफ जब कार्ल बेंज 2 साल के थे तो उनके डैड की डेथ हो गई और उनकी मां को अलग-अलग जगह पर काम करना पड़ा उन्हें पालने के लिए कार्ल बेंज ने अपनी मां की मेहनत को देखा और वो एक अच्छे स्टूडेंट बने 15 साल की एज में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग का एग्जाम क्वालीफाई किया और काल श्रू पॉलिटेक्निकल स्कूल में एडमिशन ले ली इंजीनियरिंग की पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद उन्होंने सात अलग-अलग जगह पर नौकरियां करी उन्होंने लोहे की कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम किया कभी वो ड्राफ्ट्समैन की तरह काम करते और कभी डिजाइनर बन जाते जॉब करते-करते वो अपने एनवायरमेंट को देखते और उन्हें एक चीज क्लियर हो गई और वो यह थी कि आगे चलके

जो हॉर्स कैरेजेस हैं यानी घोड़ा गाड़ी वो नहीं होंगे और ऐसी कार बनाई जाएंगी जो खुद बखुदा नहीं थी कार्ल बेंज ने 27 साल की एज में अपनी नौकरी छोड़ दी और एक मैकेनिक को अपना बिजनेस पार्टनर बना दिया इस बिजनेस पार्टनर का नाम था ऑगस्ट रिटर और इन दोनों ने मिलकर एक लोहे का कारखाना खोला अपने फ्री टाइम में मिस्टर बेंस हमेशा ऐसी कार बनाने में लगे रहते जो खुद बखुदा दे दिया काल को पता नहीं चल रहा था कि वो क्या करें क्योंकि उनके बिजनेस पार्टनर और गस्त रिटर के पास भी कंपनी के शेयर्स थे और इसी वजह से कार्ल इस कंपनी को नहीं छोड़ सकते थे क्योंकि उनका खाने पीने का सारा पैसा इसी लोहे के कारखाने से आता था लेकिन इस बुरी सिचुएशन में एक लड़की ने उनकी मदद करी और इस लड़की का नाम था बथा रिंगर जो कि आगे चलकर उनकी वाइफ बनी अब हुआ ये कि बथा के घर वालों ने उसके दहेज के लिए कुछ पैसे सेव किए हुए थे अब बर्थ ने क्या किया कि इन पैसों में से उसने कुछ पैसे लिए और उससे ऑगस्ट रिटर के सारे शेयर्स खरीद लिए जिसकी वजह से अब उस लोहे के कारखाने के सिर्फ दो मालिक थे बथा और मिस्टर कार्ल बेंज और अगले 10 सालों तक इन्होंने बहुत से पेटेंट अपने नाम किए जैसे कि एक पेटेंट उन्हें मिला कि इंजन की बैटरी को इग्नाइट कैसे किया जा सकता है दूसरा पेटेंट गियर शिफ्ट बनाने के लिए मिला तीसरा क्लच के लिए चौथा कार्बोरेटर बनाने के लिए पांचवा इंजन को ठंडा रखने के लिए छठा पेटेंट था स्पार्क प्लग पर और सात सावा स्पीड रेगुलेटर के लिए इतने पेटेंट्स लाने के बाद भी यह कंपनी पैसे नहीं कमा रही थी जिसकी वजह से मिस्टर कार्ल बेंच क्या करते कि वह कंपनी के कुछ शेयर्स इन्वेस्टर को बेच देते और उसके बदले में पैसे लेते और ये प्रोसेस चलता रहा और एंड में कार्ल बेंच के पास सिर्फ कंपनी के 5 पर बचे जिसकी वजह से जो सारे बाकी के इन्वेस्टर्स थे उन्होंने काल को डिमोट कर दिया यानी छोटी पोजीशन पर लगा दिया और काल बहुत दुखी हुए मिस्टर बेंच को पता चल चुका था

कि इस कंपनी में रहकर उनके सपने पूरे नहीं हो सकते और उन्होंने ये कंपनी छोड़ दी और दोबारा से वह जीरो पर आ गए कुछ हफ्तों के बाद बेंज दो भाइयों से मिले जिनका नाम था मैक्स रोस और फ्रेडरिक विल्हेम जो कि दोनों एक साइकिल शॉप के ओनर थे इन तीनों ने मिलकर एक नई कंपनी बनाई जिसका नाम रखा गया बेंस एंड सी इस कंपनी को जल्दी सक्सेस मिल गई बेंस को यहां पर बहुत टाइम मिल रहा था अपने इंजन पर काम करने के लिए और 1885 में उन्होंने एक ऐसी कार बनाई जो खुदबुदा या और इसे नाम दिया गया बेंस पेटेंट मोटर वैगन इसकी मैक्सिमम स्पीड 16 किमी पर आवर थी अब ये जो मॉडल वन था इसे कंट्रोल करना बहुत ही डिफिकल्ट था और एक बार पब्लिक डेमोंस्ट्रेट हो रही थी और ये मॉडल जाके सीधा दीवार से टकरा गया जिसकी वजह से जो मॉडल था ये बहुत ही कम बिका अगले ही साल यानी 188 में इन्होंने मॉडल टू निकाला और 2 साल के बाद मॉडल थ्री मिस्टर बेंस की वाइफ बथा को यकीन था कि ये मॉडल 3 बहुत अच्छा है और इसे ज्यादा बेचने के लिए इसकी पब्लिसिटी की जानी चाहिए लेकिन मिस्टर बेंज इससे राजी नहीं थे वो जानते थे कि यह मॉडल वन कितना कहीं टकरा गया तो ये दोबारा से मॉडल्स नहीं बिकेंगे इसलिए वो इसकी पब्लिसिटी नहीं कर रहे थे फिर 4थ अगस्त 1888 को बथा ने कुछ डिसाइड किया वो रात को छुपके से अपने पांच बच्चों के पास गई उनमें से दो बच्चों के कान में उसने कुछ कहा और आके वापस अपने हस्बैंड के साथ लेट गई अब अगली सुबह उसने जो किया उसके बारे में किसी ने भी नहीं सोचा था कि बथा एक ऐसा स्टेप उठा सकती [संगीत] है बथा बेंस अगले दिन छुपके से उठी उसने अपने दो बेटे रिचर्ड और यूजन को साथ में लिया गरा से बेंज मॉडल 3 निकाली और कार स्टार्ट की और अपनी मां के पास निकल गई जो कि 106 किमी दूर था

रास्ते में जब कई लोगों ने उसे देखा तो वो डर के मारे भूत भूत चलाने लग गए किसी को पता नहीं चल रहा था कि ये चीज क्या है जो खुद चली जा रही है और उसे चलाने के लिए कोई हॉर्स नहीं लेकिन मिसेस बेंच फिर भी चलती रही उस वक्त मॉडल 3 में सिर्फ 45 लीटर फ्यूल ही आता था उसने ्र जो कि पेट्रोलियम सॉल्वेंट था उसे खरीदने के लिए गाड़ी को एक फार्मेसी की दुकान में रोका क्योंकि उस जमाने में कोई पेट्रोल पंप नहीं था उस फार्मेसी की दुकान से लिग्रॉइन खरीदा और उसे कार में डाल दिया सबसे इंटरेस्टिंग बात तो यह है कि जर्मनी में ये जो फार्मेसी की दुकान थी इसे आज फर्स्ट फ्यूल स्टेशन ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है यानी सबसे पहला पेट्रोल पंप इसके अलावा उस वक्त कौन से अच्छे रोड थे इसलिए बीच-बीच में गाड़ी खराब हो जाती बार-बार बथा कार को रोकती बच्चों को नीचे उतारती कार को अपने हेयर पिन से रिपेयर करती और दोबारा से कार का कुछ किलोमीटर कंप्लीट करती बीच में उनकी कार ब्रेक्स पूरे तरीके से घिस गई थी क्योंकि वो लकड़ी की थी तो बथा ने कार को एक मोची की दुकान प रोका और लेदर की ब्रेक्स लगवाई इस 106 किमी को कवर करने के लिए बथा और उसके दो बेटों को 12 घंटे का समय लगा वहां पहुंचकर उन्होंने टेलीग्राम से अपने हस्बैंड को बताया कि वो अपने मां के घर पहुंच चुकी है

थोड़े दिनों के बाद वह इसी कार में वापस काल बेंच के पास आई इस ट्रिप से इन दोनों के बिजनेस को बहुत पब्लिसिटी मिली इवन कि ब्रेक की इंप्रूवमेंट्स के बारे में भी बथा ने काल को बताया जिसकी वजह से इस डिजाइन को चेंज कर दिया गया और इस तरीके से पहली बार एक वाइफ ने अपने हस्बैंड की इन्वेंशन को दुनिया के सामने [संगीत] लाया बता की इस एक्टिविटी से कंपनी को बहुत पब्लिसिटी मिली और इनका इंटरनल कंबशन इंजन बहुत बिका और बच दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबिल कंपनी बन गई और 18997 2 कार्स बेची ये नंबर उस वक्त के लिए बहुत बड़ा है क्योंकि सारे लोग सिर्फ घोड़ा गाड़ी यूज करते थे और सिर्फ अमीर लोग ही इन कार्स को अफोर्ड कर पाते थे इस वक्त बेंच की कंपनी बहुत अच्छी चल रही थी लेकिन एक और कंपनी थी जो इनकी कंपट बन गई और वो बेंच की तरह ही बहुत अच्छी कार्स बना ली थी इस कंपट का नाम था डाइमर मोटर्स अब इसमें दो पार्टनर्स थे गली डाइमर और विल्हेम मेबैक अब ये दोनों थे तो इंजीनियर्स ही लेकिन जो डाइमर थे वो एक बहुत अच्छे बिजनेसमैन भी थे वो जानते थे कि अपने बिजनेस से मैक्सिमम प्रॉफिट कैसे निकालना है लेकिन यह समझ और उतने अच्छे बिजनेसमैन मिस्टर कार्ल बेंस नहीं थे 1887x की गाड़ियों से भी अच्छी दिख रही थी और इसके बाद डायमंड मोटर्स ने बनाई अपना मास्टर पीस जो कि था 35hp अब इस कार का नाम [संगीत] डाइमर मोटर कंपनीज के मालिकों ने यह बात मान ली और यह मॉडल बहुत ही फेमस हुआ इसके बाद जर्मनी के इकोनॉमिक हालात अच्छे नहीं थे जिसकी वजह से दोनों बेंस और डाइमर की कार्स नहीं बिक रही थी अब इन दोनों कंपनीज ने डिसाइड किया कि इन्हें मर्ज कर जाना चाहिए और इन्होंने एक्चुअल में किया भी ऐसा ही और इस कंपनी को नाम दिया गया डाइमर बेंच कंपनी इसके बाद जितने भी मॉडल्स इन दोनों कंपनी ने निकाले उन्हें डामर बेंज कहने के बजाय इन्होंने mercedes-benz कहा

जैसे कि [संगीत] और इन सारे मॉडल्स को एक बहुत ही फेमस डिजाइनर ने डिजाइन किया था जिसका नाम था फर्डिनेंड पश आई होप पश नाम आपने जरूर सुना होगा अप्रैल 1929 में कार्ल बेंस की डेथ हो गई जब वो 84 इयर्स के थे और इसके बाद एंट्री हुई डल्फ हिटलर [संगीत] की हिटलर को mercedes-benz इतनी पसंद थी कि वो खुद भी उसमें ट्रेवल किया करते थे लर चाहता था कि पूरी दुनिया को पता चले कि जर्मनी की कार्स ही सबसे बेस्ट है इसलिए उसने डायर बेंच कंपनी को कहा कि तुम ऐसी कार बनाओ जो दुनिया में सबसे तेज हो और हुआ भी ऐसा ही जितने भी उस वक्त वर्ल्ड में कार रेसेस हुई उसमें से मैक्सिमम रेस बेंस की कार ने जीती एक और कंपनी उस वक्त ये कार रेस जीत रही थी जिसका नाम था ऑटो यूनियन लेकिन ये भी जर्मनी की ही कंपनी थी फिर 1939 में वर्ल्ड वॉर सेकंड स्टार्ट हो गई सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान हिटलर ने जर्मनी की मैक्सिमम कंपनीज को कहा कि वो अब सिर्फ आर्मी के लिए प्रोडक्ट्स बनाएंगी इसलिए डाइमर बेंस कंपनी ने भी अपना मेन प्रोडक्शन बंद कर दिया और नाज जर्मनी के लिए व्हीकल्स और ट्रक्स बनाना स्टार्ट कर दिया हिटलर ने जब बच कंपनी को और ट्रक बनाने के लिए कहा तो पहले तो बेंच कंपनी ने विमेन वर्कर हायर करे लेकिन जब इससे भी

बात नहीं बनी तो जो ज्यूज प्रिजनर थे उन्हें वर्कर बना के उनसे जबरदस्ती काम करवाया एक टाइम पर 63000 प्रिजनर बेंच कंपनी के लिए काम कर रहे थे जब जर्मनी वॉर हार गई तो इन कंपनीज की इमेज बहुत खराब हो गई कि इन्होंने प्रिजनर से जबरदस्ती काम करवाया है जो कि डाइमर बच कंपनी ने एक सेट भी किया जो भी जर्मनी के अलावा फॉरेन में इनके मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स थे वो इनसे ले लिए गए और सिर्फ जर्मनी वाले मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स इनके पास बचे अब इसके बाद इस कंपनी ने अपनी इमेज बिल्ड करना स्टार्ट किया इन्होंने पहले एंबुलेंस बनाई और उसके बाद पुलिस के लिए व्हीकल्स

बाद में दोबारा से कॉमन लोगों के लिए इन्होंने गाड़ियां बनाना स्टार्ट कर दिया अगर मैं फाइनेंशियल ईयर 2022 की बात करूं तो उन्होंने 24 लाख गाड़ियां बेची जिसकी टोटल वैल्यू थी 13640 बिलियन इंडियन जो कि tata.com क्लियर कर दिया हो या फिर कोई यूनिकॉर्न बना दी हो अगर हम सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद की बात करें तो उन्होंने एक के बाद एक लग्जरी कार लॉन्च की है जैसे कि 1950 में w17 220 जो कि एक फुल साइज लग्जरी कार है ग्रंड टूर लग्जरी कार w16 300 w121 1990 w12 220 एसी 1960 में w 1112 300 ए w100 600114 w115 200 एक् 1970 में r17 एए

क्लास c107 एएल स क्लास w123 मिड साइज एग्जीक्यूटिव कार 1980 में w123 एग्जीक्यूटिव क्लास कार w201 1990 कंपैक्ट एग्जीक्यूटिव कार 1990 में w 1668 a क्लास w210 e क्लास w 463 g क्लास w 1663 m क्लास w140 s क्लास 2000 में w 1669 a क्लास w 245 b क्लास w204 c क्लास c216 स क्लास और 20110 में w 415 सन w 176 a क्लास r21 ए क्लास w2s क्लास c117 स x16 g ए एक् इसके अलावा 2020 में लेटेस्ट h 247 जीए क्लास w 223s क्लास w20 6c क्लास r501 ई कई एसयूवी सील w14 e क्लास वैसे क्या आपको पता है कि इंडिया में हर 1000 में से 750 गुजराती कार ओन करते हैं इसका मतलब है इंडिया में सबसे ज्यादा कार्स गुजरातियों के पास हैं तो अगर आप यह जानना चाहते हैं कि गुजराती सबसे अमीर क्यों है तो आप इस वीडियो को जरूर देख सकते हैं और हां 200 से ज्यादा फ्री बुक सरीज के लिए आप गग एप्लीकेशन डाउनलोड कर सकते हैं जहां पर हर हफ्ते हम एक फ्री बुक समरी ऐड करते हैं यानी अगर आप एक साल में 52 बुक समरी सुनते हैं तो तब तक हम 52 और बुक समरी डाल चुके होंगे तो मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में जय हिंद

By Naveen

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