आपने आज तक खाली वक्त में जेसीबी की खुदाई और जेसीबी पर बने मींस तो खूब देखे होंगे मगर क्या आप कंस्ट्रक्शन साइट पर खड़ी पीले रंग की जेसीबी मशीन के बारे में सब कुछ जानते हैं कि आपको जेसीबी का बेसिक फुल फॉर्म ही पता है अगर आप यह सब नहीं जानते तो आज का यह वीडियो आपके लिए बेहद खास होने वाला है जिसमें हम आपको जेसीबी की मैन्युफैक्चरिंग से लेकर इसके इतिहास से भी वापिस करवाएंगे बस आप हमारे साथ अंत तक बने रहेगा तो चलिए फिर शुरू करते हैं आज का वीडियो जैसी भी बड़े-बड़े कामों को आसानी से और कम वक्त में पूरा करने के लिए बनी इस मशीन का इस्तेमाल आज पूरी दुनिया में होता है खासकर खुदाई के लिए लेकिन इससे पहले कि हम आपको यह बताया कि बड़ी-बड़ी शास्त्री इसमें जेसीबी कैसे मैन्युफैक्चर की जाती है उससे पहले जरा इसके बारे में थोड़ी बेसिक जानकारी दे देते हैं जैसे कि इसका फुल फॉर्म जिसके बारे में सही ढंग से बहुत ही कम लोग जानते हैं तो इसका पूरा नाम है जो सिर्फ सीरियल बम फोड़ दरअसल हैवी से है वीक पूरा करने के लिए तैयार की गई दानव रूप इस मशीन की शुरुआत साल 1995 में हुई थी और इसे तैयार करने वाले शख्स का नाम था जो सेंट्रल बैंक पर जिनके नाम पर ही जेसीबी का नामकरण किया

गया है जैसी बैंक फॉर एक्टिविटीज लिमिटेड नाम से यह ब्रिटिश कंपनी आज भी बहुत फेमस है जो 300 से ज्यादा मशहूर का प्रोडक्शन करती है इसकी वर्ल्डवाइड लगभग 20 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स है और जेसीबी इंडिया के देशों में पांच का ट्रीस और एक डिजाइन सेंटर भी है जेसीबी ग्रुप की छठी फैक्ट्री इस समय गुजरात के वड़ोदरा में बन रही है साथ ही कंपनी ने भारत में बनी मशीनों का निर्यात 110 से ज्यादा देशों में किया है और सबसे खास बात इन्हें जेसीबी के वन ग्लोबल क्वालिटी स्टैंडर्ड्स के अनुसार डिज़ाइन किया गया है अब इतनी पुरानी कंपनी है तो स्वभाविक है कि काम बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से किया जाता होगा इसलिए जेसीबी को बनाने के लिए एक प्रॉपर मैन्युफैक्चरिंग लाइन बनाई गई है मतलब कि एक कंप्लीट वर्कशॉप इस वर्कशॉप में जेसीबी के हर एक काम को अलग अलग किया जाता है कि एक ही छत के नीचे इसमें सबसे पहले आती है असेंबली लाइट जेसीबी का मेन बॉडी पार्ट लो राम और दूसरे हिस्सों को तैयार किया जाता है जेसीबी बनाने के लिए सबसे पहले लोहे की एक मोटी शीट को मैग्नेटिक स्क्रीन की मदद से एक कटिंग मशीन तक पहुंचाया जाता है जहां वह मशीन इस सीट को कंप्यूटर में बने डिजाइन के हिसाब से काटती है इसके बाद लोहे के टुकड़ों को

एक कन्वेयर बेल्ट की मदद से फैक्ट्री के दूसरे कंपार्टमेंट में पहुंचाया जाता है जहां इन्हें स्क्रीन की मदद से एक स्टैंड पर रखा जाता है यहां पहले धनतेरस के नारों को घिस आ जाता है जिससे कि वह स्मूद हो जाए और आगे के काम में दिक्कत ना देव अब्राहिम हो जाने के बाद इन मैथिली को कंप्यूटर में मौजूद डिजाइंस के हिसाब से थोड़ा और मोड़ा जाता है फिर अगले प्रोसेस में पहले से बने सांसो में इन सारे टुकड़ों को अच्छे से पेट और फिर फोल्ड कर लिया जाता है फिर जब सब पार्ट कनेक्ट हो जाते हैं तो अब बारी आती है इन्हें सही तरह से रंगने की जो की वर्कशॉप एक अलग हिस्से में किया जाता है यहां ज्यादातर हिस्से को मैनुअली ही प्रिंट किया जाता है ताकि पेड़ चीन पर अच्छी तरह से लग जाए वैसे क्या आपने कभी नोटिस किया है कि जेसीबी क्रेन या फिर कंस्ट्रक्शन साइट पर इस्तेमाल होने वाली मशीनों का रंग पीला ही क्यों होता है तो इसके पीछे का कारण है वे सिर्फ रिलेटिव दरअसल पीले रंग की वजह से खुदाई वाली जगह आसानी से अधिक जाती है फिर चाहे दिन हो या फिर रात इस रंग की वजह से दूर से ही पता चल जाता है कि वह कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है वहीं अंधेरे में भी दिखने की वजह से दूर से इसका पता लगाया जा सकता है वर्कशॉप में सीक्वेंस

वाइज तैयार की गई नानी साइकिलिंग लाइन में हर काम बहुत तेजी से किया जाता है क्योंकि यहां एक शिफ्ट में 100 से ज्यादा मशीनें बनाकर तैयार की जाती है अब आपने गौर किया होगा कि जैसी भी कई तरह की होती है शहरों में अतिक्रमण हटाने के लिए थोड़ी अलग और पहाड़ों में सड़क बनाने या फिर लैंडस्लाइड हटाने के लिए अलग तरह की जेसीबी का इस्तेमाल किया जाता है जैसे जेसीबी एक्सकैवेटर्स यहां जेसीबी लोडर और जेसीबी बैकहो लोडर भी है जो सबसे ज्यादा कौन है अब इसमें से किसी ने तो वजनदार रबर के बने इतने बड़े स्टार लगे होते हैं तो वहीं जैसी डीएक्टिवेट में टैंक की तरह लोहे के पहिए होते हैं इसलिए जेसीबी क्विंटल के लिए जेसीबी की पौडी तैयार हो जाती है तो अगले हिस्से में पहियों को लगाया जाता है इस मैच के बेटे को आगे बढ़ाने के लिए एक बड़ी चीज होती है जिन्हें पहियों पर चढ़ाया जाता है इसके बाद नेक्स्ट प्रोसेस में ऊपरी के अभिनय को शामिल किया जाता है जिसमें ड्राइवर के केबिन के साथ-साथ ट्रांसमिशन और इन जैसी चीज़ों को भी अटैच किया जाता है इसके बाद फुली असेंबल किया बिन को चेसिस पर फिट किया जाता है अब जेसीबी के सबसे मैन कॉम्पोनेंट जिसे आम भाषा में हल या फिर टेक्निकल लैंग्वेज में जेसीबी भूमि कहा जाता है उसे तैयार किया

जाता है जेसीबी के सुर आंखों में अच्छे से ग्रीस लगाया जाता है और उसमें हाइड्रॉलिक पंप को फिट किया जाता है इसके बाद असेंबल हो चुके वह को एक्सकेवेटर के साथ अटैच कर दिया जाता है और अंत में डिस्चार्ज करने से पहले एक टेक्नीशियन पूरी मशीन की अच्छे से जांच कर लेता है इन सब कुछ सही मिलता है तो इसे ड्राइविंग और पावर स्ट्रैंथ की टेस्टिंग के लिए कि ग्राउंड में उतारा जाता है टेस्टिंग के दौरान चेक किया जाता है कि मशीन का हर पाठ सही से काम कर रहा है या नहीं और मशीन में कहीं कोई कमी तो नहीं है जिसे बदलने की जरूरत है लेकिन जब कोई कमी नहीं मिलती तो एक परफेक्ट जैसी भी हर तरह का लोढा ने के लिए तैयार हो जाती है वैसे बता दे कि मार्केट में आने के बाद से ही जैसी बैकफुट एक्टिविटीज लिमिटेड कंपनी ने लगातार नई नई मशीनें बनाई है और कई निवेश भी किया है कंपनी ने जो पहला बैकहो लोडर बनाया था वह 1953 में बनाया था जो नीले और लाल रंग का हुआ करता था लेकिन इसके बाद इसे अपडेट किया गया और साल 1964 में एक बैकहो लोडर बनाया गया जो पीले रंग का था इसके बाद से तो लगातार पीले रंग की ही मशीनें बनाई जा रही है और यहां तक कि दूसरी कंपनियां भी कंस्ट्रक्शन साइट पर इस्तेमाल होने वाली मशीनों का रंग पीला ही रख रही है इसलिए आने वाले वक्त में अगर आपको जेसीबी का कोई नया स्वरूप देखने को मिले तो चौंकिएगा मत बस इस कंपनी और इसके ग्लास को एक सलाम की जाएगा|

By Naveen

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