कि बिहार पूर्वी हिंदुस्तान का हो राज्य जिसका जिक्र आते ही अक्सर लोग एक गरीब और पिछड़े राज्य की तस्वीर अपने दिमाग में बना लेते हैं लेकिन आपको एक बात जानकर हैरानी होगी कि यहां के जमुई की मिट्टी सोना उगलती है और दिलचस्प बात यह है कि जगह एक-दो नहीं बल्कि देश का फ्लोर प्राइस एंड सोने का भंडार अपने गर्भ में लिए बैठी है ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे इतने सालों तक इतना बड़ा खजाना सरकार और लोगों की नजरों से छिपा रहा और फिर सबसे पहले किसे यहां मौजूद सोने की भनक लगे आज इन्हीं सब सवालों का जवाब हम यहां जानेंगे बस आप वीडियो को स्किप किए अंत तक देखिएगा

तो बात है जिस नंबर 2021 कि जब अचानक बिहार का जमुई जिला रातोंरात लाइमलाइट में आ गया देश के सभी छोटे-बड़े न्यूज़ चैनल्स कैमरा लेकर यहां पहुंच गए और अखबारों के पन्ने कई दिनों तक इस शहर के बारे में बताते-बताते थक गए वहीं दुनिया की नजरें भी इस जगह के बारे में जानने के लिए और भी ज्यादा व्याकुल नजर आए दरअसल हुआ चीटियों कि संसद का सत्र चल रहा था ऐसे में किसी एक सांसद के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय खनन मंत्री प्रद्युत जोशी ने बता दिया कि जमुई से लेकर मठिया गांव के सोनू ब्लॉक में सूर्य का बहुत बड़ा भंडार है वह यह है 150 मिलीयन टाइम्स आफ गोल्ड बस फिर क्या था यह सुनने की देर थी और सब पहुंच गई यह जानने कि आखिर इतना सोना यहां आया कहां से और इतना ही नहीं स्थानीय लोगों ने तो करमटिया का नाम ही बदल दिया और कर दिया सोन मटिया यानी आज तक जिन इलाकों से नक्सलियों की बंदूक के बार उगलती थी वहां की धरती अब सोना उगलने वाली है लेकिन सबसे पहले हैरान करने वाली बात यह है कि जिस लाल पंजर मिट्टी के नीचे इतना बड़ा सोने का भंडार है उसे सबसे पहले किसी वैज्ञानिक या फिर स्थानीय आदमी ने नहीं बल्कि चीटियों ने खोजा था हालांकि यह बात अलग है कि सरकार को इसका ठीक तरह से पता लगाने में 40 साल लग गए और तब जाकरइसकी पुष्टि हुई कि बिहार देश का सबसे बड़ा 100 में का भंडार यह बैठा है दरअसल बताया जाता है कि करीब चार दशक पहले यहां एक बड़ा बरगद का पेड़ हुआ करता था जिसके नीचे हर दिन चरवाहे दिन के वक्त धूप से बचने के लिए जमा हुआ करते थे अब पहले तो किसी ने ज्यादा गौर नहीं किया लेकिन एक रोज देखा कि चीटियों का एक लंबा-चौड़ा काफिला वहां अपना घरौंदा यानि हिल तैयार कर रहा था जो देखने में तो काफी आम सी घटना थी मगर चीटियां जिस मिट्टी का इस्तेमाल यहां अपने घर बनाने के लिए कर रही थी वह काफी अलग थी क्योंकि वह काफी चमकदार थी और मिट्टी के रंग से भी बहुत

अलग थी ऐसे में जैसे ही वहां मौजूद कुछ लोगों की नजर उन चमकिले कणों पर पड़ी तो उनकी बांछें खिल गई कहा जाता है कि कुछ लोगों ने तो धातु के इन आंकड़ों को काफी दिन तक खट्टा किया और फिर सुनार के पास भेज दिया जिससे उन्होंने खूब पैसे कमाए साथ ही माना जाता है कि उस वक्त जींस सोने के कणों को बेचा गया उनकी क्वालिटी एक ग्रेड की थी यानी उम्मीद है कि यहां मौजूद बाकी सोना भी काफी अच्छी क्वालिटी का होगा वैसे यहां मौज कि सोने की दास्तां को महाभारत काल से भी जोड़कर देखा जाता है ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में राजा कर्ण मुंगेर के कर्म चोरा में सवा मन सोना दान करते थे और जो सवा मन सोना दान के लिए जाता था वह कहीं और से नहीं बल्कि जमुई के सोनो ब्लॉक ही जाया करता था हलाकि यह बात कितनी सच है और कितनी फसाना असल में किसी को नहीं मालूम क्योंकि स्थानीय स्तर पर जितने मुंह उतनी बातें कोई कुछ और बताता है तो कोई कुछ और लेकिन एक बात जो सच है वह यह कि कुछ दशक पहले सोने के खजाने का राज ज्यादा दिनों तक रास नहीं रह पाया और यह बात जंगल में लगी आग की तरह पूरे इलाके में तेजी से फैल गई अब पहले तो सोने वाली बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया मगर जब गांव के लोगों ने खुद मिट्टी में मौजूद सोने के कणों को पानी की मदद से छानकर निकाला तो उन्हें भी विश्वास हो गया वहीं जैसे ही चमकीली धातु वाली बात यहां के प्रशासन के कानों तक पहुंची तो अधिकारियों के भी कान खड़े हो गए बस फिर तो सरकारी काम के पूरा तत्वों से लेकर खनन विभाग लोग यहां पहुंच गए और अपनी कार्रवाई शुरू कर दी मीडिया में छपी खबरें बताती है कि 1992 से लेकर 986 तक यहां सरकारी अमला एक्टिव रहा सबसे पहले उन्होंने इस जगह को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया और स्थानीय लोगों को यहां से दूर रखा और तब जाकर जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने यहां खुदाई किए लेकिन बाद में कहा गया कि सोने

के लिए की जा रही खुदाई में आने वाला खर्च काफी ज्यादा होगा और यह मौजूद सोना बहुत गहराई में है और कम मात्रा में है ऐसे में ही घाटे का सौदा रहेगा इसलिए कुछ वक्त बाद इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया लेकिन साल 2010 और 11 में जमुई के सोने को लेकर प्रशासन की नींद एक बार फिर टूटी और खुदाई का काम फिर शुरू हुआ इस बार समूह की धरती के गर्भ में छिपे सोने को जांचने और भंडार की मात्रा जानने के लिए सैंपल भी हटा दिया गया लेकिन उस वक्त इसके क्या नतीजा रहे इसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है मगर साल 2020 आते-आते 1 अप्रैल के महीने में साई एक बार फिर सक्रिय हुई और जमीन की ऊपरी सतह का नमूना इकट्ठा किया गया जिसके बाद एक फाइनल रिपोर्ट तैयार की गई और भारत सरकार इस कंफ्यूजन पर पहुंची थी समूह में देश का 4% स्वर्ण भंडार है अब जरा हम आपको जमुई के करमटिया जिसे अब लोग सोंग मटिया कहते हैं कि बारे में बताएं तो यह जगह सोनो प्रखंड मुख्यालय से आठ और जमुई जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर है पंजर और बिना आबादी वाली इस जमीन पर मालिकाना हक चुरहट पंचायत के लोगों का है ऐसे में अब जब से यहां सोने का भंडार होने की बात पर सरकारी मुहर लगी है तब से चूर दत्त के लोगों की खुशी अलग लेवल पर पहुंच गई है उनका कहना है कि इस जगह का नाम शुरू होने का एलिमेंट्स अब पूरी तरह से टूट हो गया है अब बस उस वक्त का बेसब्री से इंतजार है जो यहां से सोना निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी वैसे यहां एक बात और क्लियर कर दें कि ना सिर्फ सोनू ब्लॉक में बल्कि जमुई के दूसरे ब्लाक में भी कई तरह के खनिज पाए जाते हैं जिसमें मायका के अलावा दो क्विक समेत कई दूसरे बेशकीमती पत्थर शामिल है और सबसे खास बात यह है कि आधुनिक तकनीक की वजह से सरकार के लिए खुदाई करवाना पहले के मुकाबले काफी सस्ता सौदा हो गया है ऐसे में इस बात की संभावना आएं और ज्यादा बढ़ गई है कि अब सोने की खुदाई में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा और यह जल सोने के खनन का काम शुरू हो जाएगा तो चलिए दोस्तों बिहार में मौजूद स्वर्ण भंडार के बारे में पता था यह वीडियो यहीं खत्म होता है उम्मीद है आपको यह पसंद आया होगा आप अपने जूनियर रिव्युस हमें कमेंट करके बता सकते हैं |

By Naveen

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