उस में यू टर्न नेशनल पार्क को सैटेलाइट से देखा जाए तो यहां ब्लू कलर की कोई अनोखी चीज नजर ए रही है इस व्यू को थोड़ा और करीब कर लेने तो कैनियंस के बीचो-बीच एक शानदार नजर देखने को मिलता है ब्लू येलो और ग्रीन कलर के टोटल 23 बॉन्ड हैं जो इस जगह की खूबसूरती को बी इंतहा पढ़ा रहे हैं पर इस वीराना में जहां सारे पहाड़ और चाटने ब्राउन कलर की है वहां ये खूबसूरत ब्लू पोर्नस कर क्या रहे हैं क्या यह नासा का कोई सीक्रेट प्रोजेक्ट है यहां फिर कोई स्विमिंग ताल हकीकत में इसका जो अल मकसद है वो इससे कहानी ज्यादा फेसिनेटिंग है इन खूबसूरत ब्लू पोर्नस को समझना के लिए हमें 1500 साल पेस्ट में जाना होगा जब इंसानों ने पहले बार पॉर्न फायर की मदद से एक यूनिक केमिकल एलिमेंट ढूंढना था जी हां वही बोनफायर जो हम सर्दियों में जलाकर खुद को ग्राम रखते हैं तरीका है सिर्फ चंद लड़कियों को आज लगानी है लेकिन इस बार करमाइश के लिए नहीं बल्कि पीछे बचाने वाली ऐश यानी रख के लिए यह आगे हम एक पोट में डालकर इसमें कुछ पानी डालेंगे क्योंकि ऐश में बहुत से केमिकल कंपाउंड होते हैं लेकिन कुछ पानी में डिसोल्व होकर पानी का कलर कुछ ऐसा बना देते हैं अब हम इस पानी को फिल्टर करके इसको धूप में सुखना के लिए रख देंगे जब पानी इवेपरेट हो जाएगा तो पीछे कुछ इस तरह के क्रिस्टल बैक जाएंगे ये वो केमिकल एलिमेंट है जो इंसान कई सदियों से इस्तेमाल करते ए रहे हैं और क्योंकि ये एक पोर्ट और ऐश की मदद से बनाया गया है इसी वजह से इसका नाम पोटाश रखा गया पहले लोग पोटाश को इस्तेमाल बनाते थे कपड़ों को रंग करते थे और ग्लास प्रोडक्ट्स की प्रोडक्शन में भी पोटाश इस्तेमाल होता था जैसा की एनिमल फैट को पगला कर इसके ऊपर पोटाश डालने से ये लिक्विड साबुन बन जाता है इसी तरह ग्लास के प्रोडक्शन में पोटाश डालने से ग्लास का मेल्टिंग पॉइंट कम हो जाता है और इसको पसंद की शॉप देना बहुत आसन हो जाता है इंसानों की भारती हुई पापुलेशन के साथ देखते ही देखते पोटाश की डिमांड इतनी ज्यादा बाढ़ गई की और 1788 में पोटाश की प्रोडक्शन के लिए हजारों फैक्टरीज बन चुकी थी इन फैक्टरीज में सिर्फ लड़कियां जाली जाति थी वो भी सिर्फ ऐश जमा करने के लिए और 1790 में सैमुअल हापकिंस नामी एक इन्वेंटर ने पोटाश की प्रोडक्शन में एक नया तरीका इन्वेंट किया जिससे पोटाश के लिक्विड को धूप में नहीं बल्कि भट्टी में किया जाता था इस नए तरीके से पोटाश की प्रोडक्शन में बहुत कम टाइम लगे लगा यह अमेरिकन हिस्ट्री का पहले पेटेंट था जिसको फर्स्ट अमेरिकन प्रेसिडेंट जॉर्ज वाशिंगटन ने साइन किया था इस पैटर्न की वजह से पोटाश को बहुत ज्यादा हाइट मिली और अब अलग-अलग साइंटिस्ट इस पर मुख्तलिफ एक्सपेरिमेंट करना शुरू हो गए पर इन्हीं सबके बीच एक एक्सपेरिमेंट ऐसा था जो दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए बदलने वाला था पैटर्न साइन होने के चंद सालों के बाद 18-07 में हम फ्री देवी नामी साइंटिस्ट ने नाम पोटाश को एक बोट में डाला और उसको बैटरी से करंट दिया उन्होंने नोटिस किया की पोटाश में छोटे-छोटे मेटल के बॉल्स बन रहे हैं और फिर अगले ही लम्हे अचानक से वो ब्लास्ट करके फैट गए देवी ने दुनिया को एक नया एलिमेंट ढूंढ कर दिया पर इस एलिमेंट का नाम क्या था अब क्योंकि यह पोटाश से ही निकाला था इसीलिए टीवी ने इसको पोटाश यह का नाम दिया जी हां पोटेशियम काफी लोग पोटैशियम का नाम सुन सुनते हैं तो खुबानी किशमिश यहां फिर केला उनके दिमाग में आता है बेशक ये फ्रूट्स इंसानों के लिए पोटेशियम का अच्छा सोर्स है लेकिन इसमें पूरे पोटेशियम नहीं है पूरे पोटेशियम बहुत ज्यादा रिएक्टिव होता है वो किसी भी चीज से फौरन रिएक्ट कर लेट है जैसा की हम फ्री टीवी के एक्सपेरिमेंट में पोटेशियम ने हवा में मौजूद वाटर पेपर से रिएक्ट किया और फैट गया इसी तरह पूरे पोटेशियम को तेल में डुबोकर रखते हैं ताकि वो हवा में मौजूद वाटर वेपर से रिएक्ट ना करें इसके बाय प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल करके आज दुनिया में इतनी चीज बनाई जा रही हैं की अगर उनको गिने पे आए तो शायद ये वीडियो छोटी बाढ़ जाए बैटरी से लेकर फर्टिलाइजर्स तक और ग्लास से लेकर गण पाउडर तक पोटेशियम अब दुनिया की मजबूरी बन चुका है तो पोटेशियम नाइट्रेट बंता है जो की गण पाउडर और फायर वर्क का में इनग्रेडिएंट है हम फ्री डेरी की डिस्कवरी के बाद पोटाश यह पोटेशियम से तो काफी चीज बनाई जान लगी लेकिन सबसे बड़ा मसाला खुद पोटाश की मैन्युफैक्चरिंग का था क्योंकि देवी के डिस्कवरी के बाद अगले कई सालों तक इसको लड़कियां जलाकर ही बनाया जा रहा था डिमांड के बढ़ाने की वजह से बात यहां तक पहुंच गई की यूरोप और उस के पूरे पूरे जंगलात को काटा जान लगा और ये चीज एनवायरनमेंट के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी थी फिर 1861 में जाकर जर्मनी ने पोटाश की प्रोडक्शन का एक नया सोर्स ढूंढ निकाला वो कहानी और नहीं बल्कि एक खास किम के पत्थर के अंदर था और यह पत्थर जर्मनी के पास बहुत ज्यादा थे जर्मनी की यह नई खोज बहुत फायदेमंद साबित हुई इस तरीके से पोटाश की प्रोडक्शन ना सिर्फ सस्ती पड़ती थी बल्कि इससे दरख्तों की भी बचत हो गई अब उनके पास इतना ज्यादा पोटाश था की उन्होंने इसको इधर उधर फेंकना शुरू कर दिया जिससे इसके फायदे निकाल कर सामने ए गए पोटाश को जमीन पर फेंकने से ये नोटिस किया गया की फसल की ग्रोथ बहुत जल्दी हो रही है और वो भी कम पानी देने से अक्सर फार्मर्स को पानी का बहुत बड़ा मसाला राहत था लेकिन पोटाश डालने से कम पानी में भी फासले फल फूल जान लगी कुछ ही सालों में जर्मनी पोटाश का नंबर वन एक्सपोर्टर बन गया 1910 में यानी वर्ल्ड वार वन से सिर्फ 4 साल पहले जब पुरी दुनिया जर्मनी के पोटेज पे डिपेंडेंट हो चुकी थी जर्मनी ने अपना पहले वार पेस की एक्सपोर्ट बैंड करके किया जर्मनी के इस हमले का सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका को हुआ यही वो वक्त था जब उस कांग्रेस ने अमेरिका में ही पोटाश के डोमेस्टिक सोर्सेस ढूंढने के लिए फंड एलोकेट किया जिम एक लोकेशन युटुब में मोब सिटी के करीब थी और मसाला यह था की यहां पोटाश के पत्थर सरफेस पर नहीं बल्कि जमीन से 350 फिट नीचे मौजूद थे पहले तो उस ने यहां प्रॉपर माइंस कोड़ी और 3500 फुट नीचे से पोटाश के पत्थरों को बाहर निकाला जान लगा सब कुछ दोबारा से ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन फिर 1963 में एक हादसा हुआ जिसने सब कुछ बादल कर रख दिया पोटाश के लिए खुद ही गई मीन के अंदर मीथेन गैस लिक हो गई और ओपन फ्लेम से कांटेक्ट के बाद उसमें आज भड़क उठी पोटाश की मीन एक जोरदार धमाके से लारा छोटी इस अफसोस ना खडसे में 18 माइनर्स अपनी जान गाव बैठे अगले ही साल एक कनाडा मीनिंग कंपनी ने जमीन से पोटाश निकालना का एक नया तरीका डिस्कवर किया उन्होंने युटुब में ही 3500 फुट नीचे तक एक सॉफ्ट कोड़ी और उसमें प्रेशराइज्ड पानी डाला पोटाश के डिपॉजिट्स उसे पानी में मिक्स हो जाते थे और फिर दूसरी शर्ट से वो पानी ऊपर आकर एक पॉन्ड में भारत जाता था यही वो से पॉन्ड है जिसको हम आज मुख्तलिफ कलर्स में देख सकते हैं अगर आप यह सोच रहे हैं की इनका ब्लू कलर इसमें मौजूद पोटाश की वजह से है तो आप गलत है पानी का कलर ब्लू करने के लिए इसमें कॉपर सल्फेट मिलाया जाता है ताकि खड़े-खड़े पानी में बैक्टीरिया की ग्रोथ भी ना हो और क्योंकि ब्लू कलर सनलाइट को ज्यादा अट्रैक्ट करता है जिससे इवेपरेशन भी तेज हो जाति है सूरज की गरमाइश इन बॉन्ड को इवेपरेट करती है और पीछे बचत है पूरे पोटाश युटुब के इस लोकेशन में टोटल 23.s हैं जो 400 एकड़ के एरिया पर फाइल हुए हैं एक-एक पॉन्ड को इवेपरेट होने में करीब 6 से 8 महीने लगता हैं जैसे जैसे पानी कम होता जाता है यह पॉर्न ब्लू से ग्रीन और फिर येलो हो जाते हैं और आखिर में यह व्हाइट क्रिस्टल की फॉर्म में पोटाश बजना है जिसको ट्रक्स में लोड करके भेज दिया जाता है को इंसान सदियों से अपने प्रैक्टिकल उसे में लेकर आते रहे हैं और सदियों से ही ये इंसान का मेजर अर्निंग सोर्स भी रहा है एक एस्टीमेट के मुताबिक मोब सिटी में जमीन के नीचे करीब दो बिलियन टोंस पोटाश मौजूद है एक तन की कीमत 330 डॉलर है यानी सिर्फ यह लोकेशन ही अमेरिका को 660 बिलियन डॉलर्स कंकर दे शक्ति है