देश के किस एरिया में कितनी आबादी रहती है। यानी जनसंख्या घनत्व सभी देश के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा और रूस में उनकी जनसंख्या की 80 से 90 फीसदी आबादी उनके एक हिस्से में रहती है और बाकी हिस्से में मात्र 10 से 20 फीसदी लोग ही रहते हैं। तो कुछ वैसे ही अमेरिका में भी उसकी 80 फीसदी से ज्यादा आबादी उनके पूर्व हिस्से में रहती है और एक अदृश्य रेखा अमेरिकी जनसंख्या घनत्व को भी बताती है कि किस तरफ ये ज्यादा है और किस तरफ कम है। लेकिन यह अदृश्य रेखा मात्र रात में सेटेलाइट व्यू से ही देखने पर आसानी से दिखाई देती है। जैसे इस मैप में आप देख सकते हैं अमेरिका का पूर्वी हिस्सा सितारों से रोशनी की तरह टिमटिमा रहा है जबकि पश्चिमी हिस्से में थोड़ी सी रौशनी दिखाई देती है जो यह बताता है कि अमेरिका के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में जनसंख्या घनत्व का आंकड़ा कितना ज्यादा अलग अलग है। लेकिन जिस तरह चीन में जनसंख्या अदृश्य रेखा बताने वाले का नाम हो लाइन है, वैसे ही अमेरिका में अदृश्य रेखा का कोई भी नाम नहीं है। अब अमेरिका की आबादी 330 मिलियन से ज्यादा है और आबादी के मामले में अमेरिका दुनिया के तीसरे नंबर पर आता है तो इसमें से अमेरिका के 250 मिलियन से ज्यादा लोग उनके पूर्वी हिस्से में रहते हैं, जबकि सिर्फ 71 मिलियन लोग ही उनके पश्चिमी हिस्से में रहते हैं। तो अमेरिका जैसे विकसित देशों में ऐसी क्या समस्या है कि ज्यादातर अमेरिकी लोग उनके पूर्वी हिस्से में ही रहना पसंद करते हैं?


आज हम इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे कि अमेरिका में 80 फीसदी लोग उनके पूर्वी हिस्से में ही क्यों रहते हैं? अमेरिका की यह अदृश्य रेखा क्या है और इसके अलावा भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा आपको हमारे साथ। तो आखिरी तक बने रहिएगा। दोस्तों अगर हम इस वजह के बारे में जानें तो आपको इसके लिए अमेरिका के मैप को एक बार देखना बहुत जरूरी है। अगर आप अमेरिका के मैप को देखेंगे तो इसमें आप जब स्टेट्स को देखेंगे तो उसमें आप जानेंगे कि इन स्टेट्स को स्क्वायर की शेप में डिवाइड किया गया है और हम आपको यह भी बता दें कि यह कोई सोचा समझा प्लान नहीं था। दरअसल अमेरिका का प्लान तो कुछ और ही था। तो फिर ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से अमेरिका को अपने राज्य को डिवाइड कर स्क्वायर शेप में करना पड़ा। चलिए इसके बारे में जानते हैं। दोस्तों इसके पीछे की वजह छुपी है अमेरिका के फास्ट एक्सपेंशन में। अब दोस्तों अमेरिका पैसे दे देकर टेरिटरी खरीदता रहा है और इस एक्सपेंशन में भी अमेरिका ने एक पैटर्न दिखाया है जिसे वेस्ट वारो एक्सपेंशन कहा जाता है। तो दोस्तों जब अमेरिका 4 जुलाई 1776 को इंडिपेंडेंट हुआ तब उसके पास सिर्फ ईस्ट साइड जितना एरिया था और अभी अमेरिका का बचा हुआ हिस्सा उस टाइम यूरोपियन टेरिटरी के कब्जे में था। उसके बाद यूरोपियन टेरिटरी धीरे धीरे इकोनॉमिकली कमजोर पड़ने लगी और यह सिर्फ एक जगह नहीं बल्कि पूरी दुनिया में ऐसा था। अब क्योंकि यूरोपियन टेरिटरी को पैसों की कमी होने लगी तो इसी बात का फायदा उठाकर अमेरिका ने एक एक करके इन यूरोपीय टेरिटरी को खरीदना शुरू किया। और दोस्तों सिर्फ 80 साल के अंदर अमेरिका ने यूरोपियन टेरिटरी को खरीदकर अपने देश का एक्सपेंशन कर लिया।

तो दोस्तों अब हम यह कहें कि आज के वक्त अमेरिका जैसा बड़ा देश ईस्ट के छोटे से रीजन से शुरू हुआ था तो गलत नहीं होगा। और दोस्तो यही वजह है कि आज के टाइम में अमेरिका की ज्यादातर आबादी ईस्ट साइड में रहती है। आपको बता दे कि अमेरिका को इमीग्रेंट्स के द्वारा बनाया गया देश माना जाता है। क्योंकि अमेरिका में अमेरिकन नेटिव और अफ्रीकन स्लेव के अलावा सब बाहर से ही आए हुए हैं और बाकी के लोग अमेरिका की ईस्ट साइड में आकर बस गए। तो दोस्तों अपनी कंट्री यानी की यूरोप से नाखुश थर्टी मिलियन लोग अमेरिका में इमिग्रेंट्स बनकर आए थे। अब यहां आकर अमेरिका के न्यू यॉर्क जैसी सिटी में आकर सैटल हो गए। दोस्तों हमने आपको बताया ही था कि अमेरिका इमिग्रेंट्स द्वारा बनाया गया देश है। पर आखिर ऐसा क्यों? अब यहां बात आती है दूसरे देशों की कमजोरी की। यह तो बात सब जानते हैं कि अमेरिका आईटी, बिजनेस डिवेलपमेंट, लॉजिस्टिक्स जैसे एरिया को पूरी दुनिया में लीड करता है और यही एक वजह है कि दुनिया के दूसरे देशों के लोगों की किसी और देश में माइग्रेंट करने की पहली च्वाइस है, तो वह है अमेरिका। दो तो अमेरिका के ईस्ट साइड में सारे रेगुलेशन हुए हैं और यहीं पर सारी इंडस्ट्री भी डेवलप हुई है। अब जाहिर सी बात है कि अमेरिका का ईस्ट साइड ही बाकी जगहों से ज्यादा डेवलप हुआ और जब डेवलप हुआ तो इसलिए यहां की पॉपुलेशन भी बढ़ती गई। अब भले ही अमेरिका का ईस्ट पार्ट डेवलप हुआ, लेकिन यहां के लोगों ने कभी वेस्ट साइड जाने के बारे में सोचा ही नहीं। आखिर ऐसा क्यों?


अगर हम अमेरिका की पूरी हिस्ट्री देखें तो वह है अमेरिका यूनिक लैंडस्केप फीचर्स। अगर हम अमेरिका के ईस्ट और वेस्ट पार्ट को देखें तो दोनों के ही बीच आपको एक लाइन मिलेगी। यह लाइन अमेरिका की क्लाइमेट बाउंड्री है जो मेडिटेरियन हंड्रेड डिग्री वेस्ट से होकर गुजरती है। तो दोस्तों आप चलिए इमैजिन करिए कि आप अमेरिका के ईस्ट पार्ट से ट्रैवल कर रहे हैं। तो जब आप इस पार्ट से गुजरेंगे तो आपको देखेगी हरियाली, पेड़ पौधे, खेत और लोग। लेकिन आप जैसे ही मेडिटेरियन हंड्रेड डिग्री वेस्ट की लाइन क्रॉस करेंगे तो आपको दिखेगी बंजर जमीन, सूखे खेत और दूर दूर तक किसी भी इंसान का नामोनिशान नहीं दिखेगा। इसलिए वेस्ट का मौसम सबसे बड़ी वजहों में से एक है कि लोग वेस्ट के पार्ट में रहना पसंद नहीं करते। पर यह मौसम दोनों पार्ट में इतना अलग अलग क्यों हैं? तो दोस्तों अमेरिका अपनी तीन साइड पानी से घिरा हुआ है। वेस्ट में पैसिफिक, ओशियन ईस्ट में अटलांटिक। ओशियन और साउथ ईस्ट में गल्फ ऑफ मैक्सिको, ओशियन यानी की मैक्सिको की खाड़ी। लेकिन पैसिफिक से आने वाली मॉनसून हवाओं को रॉकी माउंटेन पूरी तरह से ब्लॉक कर देते हैं, जिसे सबसे बड़ा माउंटेन सिस्टम में से एक माना जाता है। अब इससे होता यह है कि वेस्ट का नॉर्थ पार्ट एक ऐसा रीजन बन जाता है, जहां बहुत ज्यादा बारिश होती है और वहीं इस पहाड़ की दूसरी तरफ एक ऐसा रीजन होता है जहां बिल्कुल भी बारिश नहीं होती। अब इसके बाद तो जाहिर सी बात है कि पॉपुलेशन भी वहीं बढ़ेगी जहां पीने के लिए पानी हो, खेती के लिए जमीन हो और यही हमें अमेरिका में देखने को मिलता है। तो दोस्तों अब तक जिस बाउंड्री लाइन के बारे में हम बात कर रहे हैं क्या आप जानते हैं? कैसे कई सालों पहले किसी और ने डिस्कवर कर लिया था और वह कोई और नहीं बल्कि अमेरिका के महान वैज्ञानिकों में से एक जॉन वेस्ले पावेल थे। अब आप खुद ही सोचिए कि इस लाइन की खोज, वह भी कई सदियों पहले करना। जब कोई जीपीएस नहीं था, तब कितना मुश्किल रहा होगा। जॉन वेस्ले पॉवेल एक एक्सप्लोरर थे जो अमेरिका की अनछुई जगहों पर आकर वहां के हालात देखते थे। खैर, अमेरिका के वेस्टर्न पार्ट के ज्योग्राफिकल फीचर ईस्ट पार्ट के ज्योग्राफिक फीचर से बिल्कुल ही डिफरेंट है। उन्होंने बताया कि न तो वहां पानी और रहने लायक जगह है। उन्होंने प्रिडिक्ट किया था कि फ्यूचर में यहां फ्रेश वॉटर को लेकर काफी परेशानी आएगी। इसलिए उन्होंने अमेरिका को अलग तरीके से अपने राज्य बांटने के लिए कहा। दोस्तो, हम बात कर रहे हैं 1870 की, जब अमेरिका दूसरी टेरिटरी कंट्री को खरीद रहा था और तभी अमेरिका के प्रेसिडेंट थॉमस जेफरसन चाहते थे कि अमेरिका का हर स्टेट ईक्वल हो। इसलिए उन्होंने पावेल का आइडिया रिजेक्ट कर दिया। अगर हम अमेरिका की सिचुएशन देखें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि जॉन के आइडिया को रिजेक्ट करके अमेरिका आज काफी भारी कीमत चुका रहा है। दोस्तों हम आपको बता दें कि दो हज़ार के बाद से अमेरिका एक हज़ार 200 साल के अपने सबसे बुरे सूखे के दौर से गुजर रहा है और यह सूखा पिछले 24 साल से खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। बता दें कि अमेरिका के एरिजोना, कैलिफॉर्निया और मैंडेटरी वायर कट्स लगा दिए गए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं कोलोराडो को नेचुरल डिजास्टर एरिया डिक्लेयर कर दिया गया है। दोस्तों बात यहीं खत्म नहीं होती बल्कि यूटा और न्यू मैक्सिको पर स्टेट इमरजेंसी लगा दी गई है। जिसमें से एक पानी के कमी को लेकर है और दूसरी जंगलों में लगने वाली आग को लेकर लगाई गई है। दोस्तों हमने आपको यह बात बताई थी कि अमेरिका के वेस्ट में कम बारिश होती है। चलिए अब हम आपको मैक्सिको और लुसियाना के बारे में बताते हैं। दोस्तो जहां लुसियाना में 60 इंच रेनफॉल होती है, वहीं टेक्सस की बात करें तो लुसियाना के आधे से भी कम हिस्से में सिर्फ नाइन इंच रेनफॉल होती है। अब बारिश के अलावा हम यहां के लेक सिस्टम की बात करें तो जितनी ईस्ट में लेक है, उतनी वेस्ट में नहीं है। इसमें नेचुरल वॉटर के रिसोर्सेज वेस्ट के मुकाबले काफी ज्यादा हैं और ऐसा ईस्ट में होने वाली ज्यादा बारिश की वजह से भी होता है। वहीं वेस्ट में ज्यादा गर्मी, कम बारिश और जंगलों में लगने वाली आग की वजह से जो भी थोड़ी सी लेक बची हुई थी, वह भी सूख गई है। लेकिन जिस बात को लेकर अमेरिका की चिंता बढ़ती जा रही है, वह है अमेरिका की जीवनदायी नदी कही जाने वाली कोलोराडो रिवर। आपको बता दें कि 40 मिलियन लोगों के पानी की मांग को पूरा करती है। अब यह नदी सूखती जा रही है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह नदी दो हज़ार 30 तक पूरी तरह सूख जाएगी। और दोस्तों आज अमेरिका की हालत ऐसी है कि अमेरिका की ईस्ट और वेस्ट पार्ट आपस में लड़ रहे हैं और यह लड़ाई किसी और वजह से नहीं बल्कि पानी की वजह से है। और यह बात सिर्फ अमेरिका के लिए नहीं बल्कि यह तो पूरी दुनिया की कहानी है। आज आप जहां देखेंगे आपको वहां पानी की परेशानी से जूझते हुए लोग मिल जाएंगे। अब चाहे अफगानिस्तान हो, इजिप्ट हो, कंबोडिया हो या फिर जैसे कुछ दूसरे नेशंस हों, ये सारे के सारे नेशंस पानी की कमी की वजह से अपने घुटनों पर आ गए हैं। भारत में हर साल साफ पानी न मिलने की वजह से करीब 2 लाख लोगों की मौत हो जाती है। यही नहीं, दो हज़ार 30 तक देश की लगभग 60 करोड़ आबादी को जलसंकट का सामना करना पड़ सकता है। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस समय 1952 के मुकाबले पानी की अवेलेबिलिटी एक तिहाई रह गई है। जल का स्तर लगातार गिर रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जल का स्तर हर साल एक फीट नीचे जा रहा है। पानी की कमी के आगे तो बड़ी से बड़ी सुविधाएं भी नहीं टिक पाई। तो आपको क्या लगता है दुनिया की सुपरपावर कही जाने वाली अमेरिका के पास कोई चांस है कि वह इस परेशानी से लड़ पाए? क्या अमेरिका इस क्राइसिस में सर्वाइव कर पाएगा? आपको क्या लगता है?
अपनी राय हमें जरूर बताइएगा।

By Naveen

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