कि क्या आपको मालूम है कि साढ़े आठ रुपए खर्च करके बनाया जाने वाला फॉर्मूला वन ट्रैक सिर्फ एक छोटे से फ्लॉप की वजह से आज बिल्कुल नाकारा पड़ा हुआ है और पिचानवे अरब रुपए खर्च करके बनाया जाने वाला एयरपोर्ट सिर्फ नौ लाख रुपए में क्यों भेज दिया गया. आज आप दुनिया के चंद ऐसे मेगा प्रोजेक्ट्स के बारे में जानेंगे जिनको बनाने के लिए तो अरबों डालर खर्च किए गए थे लेकिन आज उनको कोई इस्तमाल करना भी पसंद नहीं करता तो आइए शुरू करते हैं
नंबर 5
वेलेंसिया स्ट्रीट सर्किट यह है फॉर्मूला वन स्ट्रीट रेसिंग में इस्तेमाल होने वाला ट्रेक जो वेलेंसिया स्ट्रीट सर्किट के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर हुआ करता था एक 100 मिलीयन यूरोस यानि साढ़े आठ अरब रुपए खर्च करके स्पेन की सिटी वेलेंसिया में यह ट्रैक सिर्फ एक ही साल में बना लिया गया था पहली नजर में यह रेसिंग ट्रैक सबको काफी अट्रैक्ट कथा क्योंकि ना सिर्फ यह सीरिया के पौंड के बीच में से गुजरता था बल्कि इसका 140 मीटर सेक्शन एक खूबसूरत स्विंग ब्रिज पर भी बनाया गया था इस ट्रैक के एडवांस फीचर्स देखकर फॉर्मूला वन ने यहां 7 सालों के लिए योरपियन गृहमंत्री करने का ऐलान किया जो 2008 से 2014 तक चलना था सबको इस इवेंट का इंतजार था कि कब इस नए ट्रैक पर फॉर्मूला वन रेसिंग की जाएगी लेकिन जब 2008 में यहां पहली बार रेस की गई तो सारी हकीकत खुलकर सामने आ गई रेसिंग ड्राइवर ने शिकायत की कि इस ट्रैक का डिजाइन कुछ ऐसा बना हुआ है कि इसमें ओवर टेक करने का चांस नहीं मिलता इस प्रेड में यारा लेफ्ट डांस और 14 राइडर्स बनाए गए थे लेकिन दान से पहले रोड इतना सीधा रखा गया था जिसमें रेसिंग कार 320 किलोमीटर पर आर की स्पीड तक बढ़ सकती थी यानी डांस जिसमें रेसिंग कार्स को एक दूसरे को ओवर टेक करने का मौका मिलता है उन ट्रांसफर ड्राइवर्स को बहुत जो नौकरी लगाना पड़ती थी जिसकी वजह से यहां कई एक्सीडेंट भी रिपोर्ट हुए फॉर्मूला वन जिसने वेलेंसिया स्टीव सर्किट को 7 सालों के लिए बुक किया था सिर्फ 5 सालों के बाद ही उन्होंने अपना एग्रीमेंट तोड़ दिया और तब से लेकर अब तक यह स्प्रीट सर्किट ट्रैक किसी हांटेड फिल्म के सैट जैसा लगता है टूटे हुए लाइट पोल्स टूटी-फूटी फेंसेस और रेसिंग ट्रैक की साइड ऊपर जंगली झाड़ियों के साथ-साथ अंदर पास में भरा सालों पुराना पानी इस बात का सबूत है कि यह मेगा प्रोजेक्ट बिल्कुल बेकार पड़ा हुआ है
नंबर 4
सीओडी रियाल सेंट्रल एयरपोर्ट स्पेन यूरोप का एक ऐसा हिस्सा है जो टूरिस्ट के लिए एक हॉटस्पॉट माना जाता है हर साल पूरी दुनिया से आठ करोड़ टूरिस्ट यहां घूमने आते हैं और यह सब स्पेन के कैपिटल मड्रिड में लैंड करना पसंद करते हैं लेकिन मसला यह खड़ा हो रहा था कि स्पेन के कैपिटल सिटी में मडर एंड इंटरनेशनल एयरपोर्ट की कैपिसिटी है सिर्फ 7 करोड़ जब के यहां आने वा क्विज्जस की तादाद है आठ करोड़ इसी मसले की वजह से एक और एयरपोर्ट बनाने का फैसला किया 1.2 बिलीयन डॉलर्स यानी तकरीबन पिचानवे अभिरुचियों का खर्चा करके शिवद्वार रियाल सेंट्रल एयरपोर्ट बनाया गया हर बड़ा हट में यह नया एयरपोर्ट बना तो लिया गया था जिसका मेन मकसद मास्टर एंड इंटरनेशनल एयरपोर्ट का लोड कम करना था लेकिन जब 2009 में यह ऑपरेशन हुआ तो इसको बनाने वालों के पैरों तले जमीन ही खिसक गई जी हां कहलाया तो यह सेंट्रल एयरपोर्ट जाना था लेकिन यह किसी भी एंगल से सेंट्रल नहीं था क्योंकि यहां लैंड करने के बाद पैसेंजर्स को मंदिर जाने के लिए 30 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था जहां टोरेस ने इस नए एयरपोर्ट को बुरी तरह से रिजल्ट कर दिया था वहीं कमर्शल एयरलाइंस ने भी अपने फ्लाइट ऑपरेशंस सस्पेंड कर दिए लांच के सिर्फ दो सालों के बाद ही सेव डाल रियाल सेंट्रल एयरपोर्ट किसी वीरान बस्ती का मंजर पेश करने लगा बेशक यहां कोई पैसेंजर आना पसंद हुआ था लेकिन एयरपोर्ट को ऑपरेट करने में ही हर साल करोड़ों डालर खर्च हो जाते थे अब बात यहां तक पहुंच गई कि 2013 में इसको बेचने का फैसला किया गया लेकिन कोई आंखें इसको खरीदेगा ही क्यों आखिरकार 2019 में 95 अरब रुपए खर्च करके बनाया जाने वाला यह एयरपोर्ट सिर्फ और सिर्फ 12,000 डालर यानी नौ लाख रुपए में नीलाम कर दिया गया
नंबर 3
इंटर स्टेट एस टी हाईवे यूएस की स्टेट हवाई में एक शहर है जो होना लौंग के नाम से जाना जाता है यहां 126 किलोमीटर लंबा ऐसा हाईवे बना हुआ है जो इंतहाई खूबसूरत पहाड़ों के दरमियान से होकर गिर जाता है इन नजारों में इतनी ज्यादा कशिश है कि यहां से गुजरने वाले लोग गाड़ियां पर करके फोटोग्राफी करते हैं जिसकी वजह से इस हाइवे के कई स्पोर्ट्स पर ट्रैफिक जैम का खर्चा रहता है यह हाईवे जो इंटर स्टेट एस थ्री हवाई के नाम से जाना जाता है यह खूबसूरत होने के साथ-साथ काफी ज्यादा कंट्रोवर्सी हुई है इस हाइवे को बनाने की जरूरत 1962 में पेश आई थी कि जब यहां मौजूद यूएस नेवी की दो बेसिस के दरमियान ट्रेवल करने में बहुत मुश्किल होती थी लेकिन जब यहां यह हाईवे बनाने का प्लैन अनाउंस किया गया तो यहां के रहने वाले लोगों ने बहुत शोर मचाया क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि किसी भी वजह से इनके शहर की खूबसूरती खराब हो और वह भी सिर्फ नेवी की दो बेसिस को आपस में कनेक्ट करने के लिए यह मामला इतना बढ़ गया कि अगले 26 सालों तक इस हाइवे की कंस्ट्रक्शन का काम रुका रहा लेकिन फिर 1999 में एनवायरनमेंट के कानून में तब्दीली करके इस प्रोजेक्ट की कंस्ट्रक्शन जबरदस्ती स्टार्ट कर दी गई पूरे आर्ट सालों की कंस्ट्रक्शन के बाद 1997 में पहली बार इस हाइवे को ओपन किया गया नॉर्मली ऐसे इलाकों में रोल्स बनाने के लिए पहाड़ों को काटकर रोड्स बनाए जाते हैं लेकिन क्योंकि ऐसा करने से यहां की खूबसूरती खराब हो रही थी इस वजह से यह पूरा हाईवे स्टार्टिंग से लेकर कि एंडिंग तक बड़े-बड़े पिलर की सपोर्ट पर खड़ा किया गया था यह करने की वजह से और तो कुछ नहीं हुआ बल्कि इस प्रोजेक्ट की कॉस्ट बढ़ गई जहां इस प्रोजेक्ट के लिए ढाई सौ मिलियन डॉलर खर्च होना थे वहीं यह पूरा प्रोजेक्ट 1.3 बिलीयन डॉलर खा गया यह कुल रकम तकरीबन 100 अरब रुपयों के बराबर बनती है यानि 370 करोड़ों रुपयों का सिर्फ एक किलोमीटर 37 साल का इंतजार और ₹100 का खर्चा करने के बावजूद भी आज तक यह हाईवे इस्तमाल के काबिल नहीं समझा जाता कुछ लोगों का मानना है कि इस हाइवे से होनोलूलू डोंट तक कोई डाइरैक्ट रास्ता नहीं जाता जब के यहां के लोकल्स ने आज तक इस हाइवे को इस वजह से इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि उनका मानना है कि इस हाइवे की कंस्ट्रक्शन में गवर्नमेंट ने उनकी अ इबादतगाहों को गिरा दिया था और यही वजह है कि यह हाईवे बहुत ही कम इस्तेमाल होता है
नंबर 2
कॉस्ट सिटी यह कौन जो का पुराना कैपिटल सिटी है समंदर के किनारे बसने वाले इस शहर में 70 लाख लोग रहते हैं और यह माना जाता है कि अभियान को ऑन मस्जिद एक्सपेंड नहीं हो सकता यह सब देखते हुए 2002 में म्यांमार के एक मिलिट्री रीडर ने चुपचाप खामोशी से एक नया शहर बनवाना शुरू कर दिया उनका प्लैन था कि उनको मयनमार का कैपिटल सिटी शिफ्ट करना है माइंड मार दुनिया का पहला मुल्क नहीं था जो अपना कैपिटल सिटी चेंज करना चाहता था इससे पहले थाइलैंड अफगानिस्तान और पाकिस्तान भी अपना कैपिटल शिफ्ट कर चुके थे आखिरकार 2005 में मिल्ट्री लीडर्स ने अचानक यह नोटिस किया कि वह कैपिटल शिफ्ट करना चाहते हैं जिसका नाम ने पीटा व रखा गया था यह नया कैपिटल समंदर से दूर म्यांमार के सेंटर में बनाया गया था जिस पर Total चार बिलियन डालर यानी तकरीबन तीन सौ अरब रुपए खर्च किए गए थे नेपीताव में लोगों को अट्रैक्ट करने के लिए वह सब कुछ बनाया गया था जो किसी वुडन चेयर में होता है 20 लेन हाईवे लग्जरी होटल्स गोल्फ कोर्सेज म्यूजियम्स शॉपिंग मॉल्स और हत्या के यहां पुराने कैपिटल में पाया जाने वाला पकौड़ा भी खूब बहू अंदाज में बनाया गया था लेकिन एक बहुत ही अहम चीज यहां मिसिंग थी और वह थी आधी जी हां इस नए कैपिटल में सब कुछ था लेकिन लोग नहीं थे यहां सिर्फ गवर्नमेंट एंप्लाइज और ब्यूरोक्रेट्स रहते हैं इसके अलावा यहां ना ही बनता है और ना ही बंदे की इजाजत भी इस लेन हाईवे जो लाखों कार्यों के लिए बनाया गया था वहां किस्मत से ही कोई गाड़ी चलती हुई दिखती है यहां का इंटरनेशनल एयरपोर्ट जो 35 लाख लोग हैंडल कर सकता था पीठ टाइमिंग में भी यहां सिर्फ 10 या 12 पैसेंजर सी होते हैं इसी तरह होटल्स और शॉपिंग कंपलेक्सेस इतने वीरान होते हैं यहां जाते भी डर लगता है ₹300 से बनाया जाने वाला यह पूरा शहर आज एक ऐसा मंजर पेश कर रहा है जैसे यह भूतों झालावाड़ शहर हो
नंबर 1
यू का माउंटेन वे इस रिपोजिटरी न्यूक्लियर पावर प्लांट्स का वेस्ट मटेरियल अगर प्रॉपर तरीके से स्टोर ना किया जाए तो वह इंसानों को इतना नुकसान पहुंचा सकता है कि इसका अंदाजा लगाना भी बहुत मुश्किल है नॉर्मली अमेरिका का पूरा न्यूक्लियर वेस्ट ब्रश में भरकर रिमोट लोकेशंस में छोड़ दिया जाता है लेकिन 2002 में अमेरिका ने निवाडा स्टेट के युग का माउंटेन में 300 मीटर डिप टनल खुद कर वहां पूरे अमेरिका का न्यूक्लियर वेस्ट डंप करने का प्लान बनाया है यह प्लैन था तो बहुत अच्छा लेकिन निवाडा में रहने वाले लोगों ने इस आइडिया को बुरी तरह से पोर्स किया उनका मानना था कि जब मेवाड़ में कोई न्यूक्लियर प्लांट ही नहीं है तो फिर पूरे अमेरिका का न्यूक्लियर वेस्ट सिर्फ यहीं पर ही क्यों डंप किया जा रहा है कई सालों तक यह मामला कोर्ट में चलता रहा कि आखिर क्यू का माउंटेन में न्यूक्लियर वेस्ट जंप होना चाहिए कि नहीं आ फिर थे प्रेसिडेंट ओबामा के दौर में यह फैसला किया गया कि यू का माउंटेन में न्यूक्लियर वेस्ट डंप नहीं किया जाएगा हैरतअंगेज तौर पर 17 बिलियन डालर यानी 13 100 अरब रुपए खर्च करके बनाया जाने वाला यह प्रोजेक्ट आज एक ऐसी पोजीशन में है कि इसके आस पास भी कोई फटकना पसंद नहीं करता |