इंडिया के उड़ीसा राज्य के पूरी में चमत्कार की एक ऐसी कहानी है जिसे समझ पाना साइंस के बस की बात नहीं है साइंस ज्योग्राफी फिजिक्स केमिस्ट्री और दुनिया के सारे ग्राउंड्स ऑफ बिलीव्स यहां सब फेल हो जाते हैं हिंदू मान्यता में चार धाम होते हैं बद्रीनाथ धाम द्वारकाधीश धाम रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी और यह कहानी है जगन्नाथ पुरी की जहां पे आज भी श्री कृष्ण का वास्तविक दिल धड़कता है इस मंदिर के कुछ ऐसे रहस्य हैं जिनके बारे में सुनकर किसी के भी होश उठ जाएंगे वेस्टर्न कल्चर फॉलो करते-करते हम एक ऐसे मोड़ प तो आ चुके हैं जहां लोग भगवान के होने ना होने

पर सवाल उठाने लगे हैं पर यही सवाल अब मैं आपसे इस वीडियो के बाद पूछूंगी आइए देखते हैं हर मंदिर में जहां मूर्तियां मेटल या स्टोन से बनती हैं वहीं जगन्नाथ मंदिर में भगवान की मूर्तियां लकड़ी से से बनी हुई है ऐसा क्यों आइए बताती हूं 3102 बीसी में जारा नाम के एक शिकारी ने शिकार करते हुए गलती से तीर श्री कृष्ण के पैर पर चला दिया जिससे श्री कृष्ण की मृत्यु हो गई जारा ने श्री कृष्ण का देह संस्कार किया पूरे रीति रिवाजों के साथ पर जब उनकी चिता शांत हुई तो जारा ने देखा कि एक चमकने वाली मेटल की चीज अभी तक जली नहीं थी जारा को यह समझ नहीं आया था कि यह है है क्या तो उसने उसे उठाया और उसे बेचने निकल गया पर उसको खरीदना तो दूर किसी ने उसे हाथ भी नहीं लगाया फिर आखिरकार जारा ने हार थककर उस मेटल की चीज को एक लकड़ी पर रखा और उसे पानी में बहा दिया गुप्त साम्राज्य के समय अवंती के राजा इंद्रा दूम जो कि विष्णु जी के बहुत बड़े भक्त थे उन्हें एक दिन सपने में आकर विष्णु जी ने एक नदी में डुबकी लगाने को कहा और यह कहा कि एक लकड़ी के तने में तुम्हें उस नदी में मैं मिलूंगा इस सपने को देखकर अगले ही दिन राजा डुबकी लगाने चले गए डुबकी लगाते वक्त राजा को नदी में

थोड़ी ही दूर एक लकड़ी का तना भी दिखा बिना देर किए राजा तने तक पहुंचे और उस तने को महल में ले आए फिर राजा ने कुछ बहुत नामी काश्तकारों को बुलाया पर उनमें से कोई भी उस लकड़ी से एक मूर्ति नहीं बना पाया कई दिन बीत जाने के बाद एक काश्तकार महल में आया और उसने राजा से कहा कि यह मूर्ति मैं बनाऊंगा पर मेरी एक शर्त है राजा ने काश्तकार से उसकी शर्त पूछी क्योंकि राजा किसी भी शर्त को मानने के लिए तैयार थे तो काश्तकार ने कहा कि यह मूर्ति बनाने के लिए मुझे पूरे 21 दिन का समय चाहिए और मैं चाहता हूं कि 21 दिन से पहले ना तो कोई मुझसे बात करे ना मिले और ना ही मेरे किसी भी काम में विलंब डाले राजा ने खुशी-खुशी ये शर्त मंजूर कर ली मूर्ति बनाने का काम शुरू हुआ रोज मूर्ति बनने की आवाजें भी आती थी पर धीरे-धीरे वह आवाजें बंद हो गई अवंती की रानी को लगा कि शायद भूख प्यास से काश्तकार मर चुका है इसीलिए उन्होंने जहां मूर्ति का काम चल रहा था उस कमरे के दरवाजे को खुलवाने की इज्जत की और राजा को उनकी बात माननी पड़ी जैसे ही दरवाजा खुला तो उन्होंने यह देखा कि वहां कोई काश्तकार था ही नहीं सिर्फ और सिर्फ तीन मूर्तियां थी भगवान जगन्नाथ उनके भाई बालभारती उसी जगन्नाथ जी की मूर्ति में वह

मेटल वाली चीज भी रखी गई थी जो कि कुछ और नहीं श्री कृष्ण का धड़कता हुआ दिल था यह कोई नॉर्मल ह्यूमन हार्ट नहीं है यह एंसेट एडवांस टेक्नोलॉजी का क्लियर सबूत है यह हार्ट एनर्जी ट्रांसमिट करता है और हम सबने यह तो पढ़ा ही है दैट स्टोंस एंड मेटल्स आर गुड कंडक्टर्स ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एंड वुड इज अ बैड कंडक्टर ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इसीलिए आइडल्स इन द जगन्नाथ टेंपल आर मे अप ऑफ वुड सिर्फ यही नहीं हर 12 साल में एक बार भगवान की नई मूर्ति स्थापित की जाती है और भगवान के दिल को उस मूर्ति में शिफ्ट किया जाता है यह किया इसलिए जाता है क्योंकि जो एनर्जी

ट्रांसमिटिंग डिवाइस इफ वी टॉक साइंटिफिकली उस मूर्ति में होता है वह इतनी एनर्जी ट्रांसमिट करता है दैट द वुड गेट्स डिप्लीटेड विद टाइम और इसीलिए उसे बदलने की जरूरत होती है पर इसे बदलने का प्रोसेस भी इसी की तरह बहुत इंटरेस्टिंग है हर 12 साल में एक दिन ऐसा होता है जिस दिन मंदिर में किसी को एंट्री नहीं मिलती पूरे पूरी शहर की बिजली काट दी जाती है मंदिर के मेन पंडित की आंखों पर पट्टी और हाथों में बड़े और मोटे ग्लव्स पहनाए जाते हैं और 100% अंधेरे में इस दिल को निकालकर नई मूर्ति में फिर से स्थापित किया जाता है जिन पंडितों ने इतिहास में यह सेरेमनी करी है उनका कहना है कि उन्होंने देखा तो कभी नहीं पर इस चीज को जिसे हम ब्रह्म पदार्थ भी बोलते हैं सेे हाथों में पकड़ने पर ऐसा लगता है जैसे जिंदा खरगोश पकड़ लिया हो माना यह भी जाता है कि अगर किसी ने ब्रह्म पदार्थ को देख लिया तो उसकी मौत उसी समय निश्चित है इसीलिए बिना आंखों पर पट्टी लगाए किसी को भी यह सेरेमनी करने की परमिशन नहीं है इस मंदिर के ऊपर एक झंडा है जो साइंटिफिक लॉ के बिल्कुल विपरीत चलता है जैसे कि हमें पता है कि जिस डायरेक्शन में हवा चलती है पतंग भी उसी डायरेक्शन में उड़ती है और झंडा भी उसी डायरेक्शन में

उड़ना चाहिए पर जगन्नाथ मंदिर के इस झंडे की बात बिल्कुल अलग है यह हमेशा हवा के ऑपोजिट डायरेक्शन में उड़ता है क्यों और कैसे आज तक कोई समझ नहीं पाया इस झंडे के साथ एक और खास बात है कि इसे रोज बदलना पड़ता है इसीलिए मंदिर के पांडु 214 फीट ऊपर लगे इस झंडे को रोज चढ़कर बदलते हैं क्योंकि कहा जाता है कि अगर किसी दिन यह झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों केलिए लिए बंद हो जाएगा मंदिर में आए भक्तों के बीच रोज प्रसाद बांटा जाता है उनके लिए वह प्रसाद बनाया जाता है और जगन्नाथ मंदिर में होने वाली हर चीज में कहीं ना कहीं भगवान की

कोई ना कोई लीला छुपी है मंदिर में रोज 500 लोगों के लिए प्रसाद बनता है और कभी-कभी भक्तों की संख्या हजारों में भी चली जाती है पर जगन्नाथ मंदिर में भक्तों के लिए प्रसाद कभी कम नहीं पड़ा दिन भर मंदिर में प्रसाद बांटा जाता है पर कहते हैं कि आज तक इस मंदिर में एक भी दाना प्रसाद ना कम पड़ा है और ना ही व्यर्थ गया है पर ऐसा एस्टिमेशन इंसानों के लिए करना तो बहुत ही मुश्किल है और यह बात यहीं खत्म नहीं होती प्रसाद बटने की मिस्ट्री तो है ही उससे बड़ी मिस्ट्री है प्रसाद बनाने की लकड़ी की आग पे सात मिट्टी के बर्तनों को एक के ऊपर एक रखकर प्रसाद

बनाया जाता है साइंस और लॉजिस कहते हैं कि सबसे पहले सबसे नीचे वाले बर्तन का प्रसाद पकना चाहिए पर पूरी के जगन्नाथ मंदिर में साइंस और लॉजिस नहीं चलते इन सात बर्तनों में सबसे पहले सबसे ऊपर रखे जाने वाले बर्तन का प्रसाद पकता है फिर उससे नीचे वाले बर्तन का और ऐसे ही सबसे नीचे रखे बर्तन का प्रसाद सबसे आखिरी में पक के तैयार होता है हां मुझे पता है आपको भी अभी कुछ नहीं समझ आ रहा होगा इसे आज तक कोई नहीं समझ [संगीत] पाया इस मंदिर की खूबसूरती शब्दों में नहीं बताई जा सकती इतना बड़ा मंदिर इतने सालों पहले बिना किसी टेक्नोलॉजी के कैसे

बनाया होगा पर क्या आपको पता है 214 फीट के इस मंदिर की डोम की परछाई आज तक कभी बनी ही नहीं आर यू शॉक्ड यू मस्ट बी बट इट इज ट्रू जगन्नाथ पूरी टेंपल के डोम्स की शैडो बनती ही नहीं है कभी भी एट एनी टाइम ऑफ द डे और हमारी फेवरेट साइंस इस बात का भी लॉजिक नहीं ढूंढ पाई द मिस्ट्री इज नॉट ओवर हियर जैसा कि हमें पता है कि कुछ बिल्डिंग्स आर्किटेक्चर्स एंड एरियाज नो फ्लाई जोनस होते हैं मतलब वहां ड्रोन एयरप्लेंस या कोई भी मैन मेड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट पहुंचाने की या उड़ाने की परमिशन नहीं पर पक्षियों को तो हम नहीं रोक सकते उन्हें समझाना तो

बहुत मुश्किल है ना पर अगर हम जगन्नाथ टेंपल की बात करें तो वहां पर ऐसा कुछ है जो शायद पक्षियों को पता है और हमें नहीं क्योंकि इस मंदिर के ऊपर कोई भी ड्रोन कोई भी एयरप्लेन या कोई भी पक्षी कभी उड़ता ही नहीं आपने देखा होगा ना मंदिर के डोम्स पे या बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स पे बर्ड्स को बैठे हुए कभी जगन्नाथ पुरी जाएंगे तो देखिएगा दैट बर्ड्स डोंट रेस्ट ऑन द रूफ ऑफ जगन्नाथ टेंपल आप कभी भी किसी भी पक्षी को जगन्नाथ टेंपल की छत पे या उसके डोम्स पे बैठा हुआ नहीं देखेंगे पर कंफ्यूज करने वाली बात यह है कि कैसे एक बेजुबान पक्षी

यह जानता है कि इस मंदिर के ऊपर से उड़कर नहीं जाना ऑल ऑफ दिस थिंग्स साउंड सो एक्साइटिंग राइट अगर आपको यह कहानी जानने में और सुनने में मजा आ रहा है और आप ऐसी ही नई-नई चीजें और कहानियां जानना चाहते हो तो नेकेड ट्रुथ को सब्सक्राइब करना मत भूलना हम आपके लिए बार-बार कुछ नया लाते [संगीत] रहेंगे आइए फिर से चलते हैं जगन्नाथ मंदिर की मिस्ट्रीज की तरफ सुदर्शन चक्र यह नाम तो आपने सुना ही होगा सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का अस्त्र है यह अधर्म का विनाश करता है जगन्नाथ मंदिर के टॉप पर एक सुदर्शन चक्र है और उसे आप जिस भी डायरेक्शन से देखोगे उसकी फेसिंग आप ही की

तरफ होगी भगवान जगन्नाथ जिनके नाम का मतलब ही जगत के नाथ हैं इनके मंदिर में लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था और प्यार भगवान के लिए लेकर आते हैं पर इस मंदिर में सिर्फ हिंदुओं को दर्शन करने के अनुमति है किसी भी और धर्म के इंसान को दर्शन बाहर से ही करवाए जाते हैं और दर्शन करवाकर भेज दिया जाता है जैसे कि हमारी एक्स प्राइम मिनिस्टर इंदिरा गांधी जी वह भी जगन्नाथ पुरी गई थी दर्शन करने पर क्योंकि वह फारसी हैं और हिंदू नहीं और उन्हें उनका सरनेम फिरोज गांधी से मिला है इसीलिए इंदिरा गांधी को भी दर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई सिर्फ यही नहीं 2005 में थाईलैंड की

प्रिंसेस महाचक्र सिंधो को भी जगन्नाथ पूरी टेंपल में एंट्री नहीं दी गई थी क्योंकि यहां फॉरेनर्स अलाउड नहीं है उनके लिए अरेंजमेंट्स की गई थी और दर्शन बाहर से ही करवाए गए 12वीं सदी से बने हुए इस मंदिर को स्विट्जरलैंड की एक महिला ने 1 करोड़ 78 लाख रप का चढ़ावा भी चढ़ाया यह मंदिर में चढ़ाया गया अभी तक का सबसे बड़ा चढ़ावा है पर फिर भी क्योंकि वह हिंदू नहीं है दर्शन उन्हें भी बाहर से ही करने [संगीत] पड़े हमारे ही धर्म की इतनी सारी बातें हैं जिसके बारे में हमें कुछ पता ही नहीं हम आंखें बंद करके किसी भी कल्चर को किसी

भी ट्रेंड को फॉलो करते जा रहे हैं हम भूल गए हैं कि हम एक ऐसे धर्म से जुड़े हैं जिसने दुनिया में संस्कृति सभ्यता परंपरा और संस्कार को हमेशा जिंदा रखा है यह सनातन धर्म है और अब हमें धर्म को बचाना है हर साल पुरी में जगन्नाथ जी की रथ यात्रा भी निकलती है यह नौ दिन का त्यौहार होता है जिसमें भगवान श्री जगन्नाथ देवी सुभद्रा और भगवान बालभारती है माना जाता है कि यह यात्रा इसलिए निकलती है क्योंकि भगवान इन नौ दिनों में प्रजा के बीच आकर प्रजा के सुख दुख को खुद देखते हैं और इस यात्रा में लाखों करोड़ों भक्तों की भीड़ हर साल इस यात्रा का

हिस्सा बनती है जगन्नाथ पूरी मंदिर की मिस्ट्रीज यहां खत्म नहीं होती और भी बहुत सारी कहानियां हैं जो हम नहीं जानते जैसे कि हर साल भगवान 15 दिन के लिए बीमार पड़ते हैं और भक्तों के लिए मंदिर में दर्शन बंद कर दिए जाते हैं पर बहुत कम लोग जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है वी होप आपको यह वीडियो देखकर अच्छा लगा होगा तो अब मैं आपसे पूछना चाहती हूं आपको क्या लगता है भगवान सच में होते [संगीत] हैं

By Naveen

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