टाइटेनिक shipwreck इन्वेस्टिगेशन के दौरान रिसचर्स ने एक अजीबो गरीब चीज नोटिस की समंदर के बॉटम पर ship का अगला हिस्सा काफी अच्छी कंडीशन में जब के पिछला हिस्सा इन तहाई बुरी कंडीशन में और वो भी 2000 फिट दूर पड़ा था बेशक 100 सालों तक समंदर के बॉटम में पड़े रहने पर लोहा और स्टील गर्ल सब जाता है लेकिन अगर ये दोनों एक ही ship का हिस्सा थे और एक ही वक्त में दुबे थे तो फिर अगले और पिछले हिस में इतना ज्यादा फर्क क्यों रिसचर्स का मानना है की एक्सीडेंट वाली रात आइसबर्ग से टकराने के अलावा भी टाइटेनिक के साथ कुछ हुआ था जिसने उसके पिछले हिस को ज्यादा नुकसान पहुंचा पर सवाल है 1912 में जी रात टाइटेनिक के साथ हादसा पेस आया था उसे वक्त वो कनाडा के न्यू फाउंडलैंड से 700 किलोमीटर दूर अंधेरे समंदर के बिशन बीच अकेली मौजूद हादसे के वक्त इसमें टोटल 2240 passengers थे जिसमें से 1500 लोग अपनी जान गाव बैठे वो जिसको अनसिंकेबल कहा जाता था वो कुदरत की ताकत के सामने देखते ही देखते कल समंदर की नजर हो गई इस हादसे के चश्मद गवाह eye विटनेस सिर्फ वो लोग थे जो किसी तरह ship से निकालकर अटलांटिक ओसियन के ठंडा पानी में कूद गए थे

आइसबर्ग टकराने से लेकर ship के डूबने तक जो कुछ भी हुआ उसका रिकॉर्ड उन आई विटनेस के शिवा और किसी के पास नहीं था जो की खुद ठंडा पानी से लड़ने में मसरूफ थे पहले रेस्क्यू ship आरएमएस carpaithia भी टाइटेनिक डूबने के डेड घंटे के बाद वहां पहुंची थी वो भी खुशकिस्मती थी की उनको टाइटेनिक का इमरजेंसी मैसेज मिल गया वरना जो लोग ठंडा पानी में जिंदगी और मौत की जंग लाड रहे थे उनकी जान भी नहीं बजती और टाइटेनिक के हादसे के बड़े में आज तक किसी को भी मालूम ना पड़ता इन्वेस्टिगेशन के दौरान पहले तो किसी को भी मालूम नहीं था की शिव के साथ हुआ क्या है लेकिन फिर बचाने वालों ने बताया की शिव की एक आइसबर्ग से टक्कर हुई थी इन भयानद को मौके पर मौजूद आइसबर्ग को देखकर कंफर्म भी किया गया जी पर टाइटेनिक का रेड पेंट अभी तक लगा हुआ था हादसे के बाद आई फिटनेस और एविडेंस को देखते हुए इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में बताया गया की टाइटेनिक के राइट साइड पे आइसबर्ग ने 300 फुट बड़ा सुर्ख छोड़ दिया था यानी टाइटेनिक की पुरी साइड का 1/3 हिस्सा फैट गया पर दूसरी तरफ आई विटनेस का कहना था की शिव को डूबने में करीब ढाई घंटे लगे थे इन्वेस्टिगेटर का मानना है की अगर आइसबर्ग ने वाकई टाइटेनिक पर 300 फुट बड़ा सुराग छोड़ था तो इसको ढाई घंटे में नहीं बल्कि चंद मिनट में ही डब जाना था पर सच्चाई क्या थी यह उसे वक्त किसी को भी मालूम ना पद सका सच्चाई जन के लिए जरूरी था की टाइटेनिक शिव को ढूंढा जाए कई सालों टाइटेनिक की तलाश जारी रही और हर गुजरते साल ये mystery और ज्यादा संगीन होती थी

आखिरकार 73 इयर्स के बाद जब टाइटेनिक का मलबा मिला तो ये मरीन इंडस्ट्री के लिए एक बहुत बड़ा ब्रेक थ्रू था वो सारे सवाल जो टाइटेनिक अपने पीछे छोड़कर गई थी उनके जवाब बाद ढूंढने का वक्त ए चुका था अटलांटिक ओसियन की 4000 मी गहराई में पिछली कई दवाइयां से टाइटेनिक क| मलबा कल अंधेरे में मौजूद था कई एक्सपीडिशंस अरेंज किया गए जिन्होंने शिव रे ला तादाद फोटोस कैप्चर की ओशनिक एक्सप्लोरर पी हा नाशले ने 30 से ज्यादा मर्तबा टाइटेनिक के मलबे का दौरा किया है लेकिन उन्होंने 300 फुट बड़ा सुराग एक बार भी नहीं देखा अलबत्ता टाइटेनिक की इस प्रोफाइल फोटो में 30 फुट का यह एरिया जाहिर करता है की यहां पर कोई चीज आकर लगी थी इसका एरिया सिर्फ 11 स्क्वायर फिट बांदा है और कैलकुलेशन के हिसाब से देखा जाए तो इसमें से 1970 गैलन पानी हर सेकंड वेट टाइटेनिक के अंदर जमा हो सकता था इसी स्पीड से पानी भरने का मतलब है की पुरी शिव में पानी टोटल ढाई घंटे में भर| होगा और आई विटनेस के मुताबिक टाइटेनिक को डूबने में भी 2.5 घंटे ही लगे थे यानी एक मिस्त्री तो सॉल्व हो गई की टाइटेनिक में 300 फुट बड़ा सुर्ख नहीं था बल्कि ये सिर्फ 30 फिट बड़ा क्रैक पड़ा था पर ये अकेली ही एक मिस्त्री नहीं थी अभी और भी काफी कुछ जानना बाकी था टाइटेनिक शिव पर इन्वेस्टिगेशन के दौरान रिसचर्स को यह समझ नहीं ए रहा था की शिव का अगला हिस्सा जिसे पाव कहते हैं वह इसके पिछले हिस यानी स्तन से ज्यादा अच्छी हालात में कैसे पड़ा है और इन दोनों के दरमियां इतना ज्यादा फैसला क्यों है इस मिस्त्री को सुलझाने के लिए हाय टेक सोनार स्कैनिंग टेक्नोलॉजी का सहारा लिया गया आरोहिज ने टाइटेनिक शिव रेक्साइड की लाखों फोटोस कैप्चर की और फिर उनको कंप्यूटर ग्राफिक की मदद से एक 3d अल में कन्वर्ट किया इस मॉडल में वो तमाम डीटेल्स भी थी जिनको नॉर्मली इस गहराई में कोई आम कैमरा या इंसानी आंख नहीं देख शक्ति मॉडल में देखा जा सकता है की 392 फिट लंबी स्तन के तमाम डेस्क एक दूसरे के अंदर ऐसे घूस हुए हैं जैसे ये स्टील की नहीं बल्कि कागज की शॉप हो मुख्तलिफ पार्ट्स शिवा से अलग होकर आसपास बिखरे हुए हैं सिर्फ इसमें लगे दो किसी घर की साइज जितने बड़े इंजन हैं जो इसके साथ जुड़े हुए हैं इसी मॉडल में एक और हम इशारा भी छुपा है वो इशारा जो स्तन की इस हालात के बड़े में बता रहा है 110 साल पहले स्टोन जब ओसियन फ्लोर से आकर टकराया तो उसके निशाना आज तक यहां छापे हुए हैं जिनको सिर्फ 3d मॉडल के जारी ही देखा जा सकता है इन निशाना से जाहिर होता है की स्थान जी वक्त ओसियन फ्लोर से टकराया तो वह एंटी क्लॉक वाइस घूम रहा था संस्थान इन निशा बहुत से अंदाज़ लगा सकते हैं की स्टोन उसे वक्त हैरतअंगे स्टोर पर 80 कि पर आर की स्पीड से पानी के अंदर जा रहा था शिव का पिछला हिस्सा जब इतनी स्पीड से पानी की गहराई में जा रहा था तो पानी से पैदा होने वाली फोर्सेस ने शिव के लूज पार्ट्स को उखाड़ दिया और जब वो 4 किमी नीचे ओसियन फ्लोर से टकराया तो इसके सारे टैक्स एक-दूसरे के अंदर दास गए दूसरी तरफ जैसा की आप देख सकते हैं की बहुत क्षेत्र फ्रंट क्षेत्र का डिजाइन हाइड्रो डायनेमिक है यानी ये पानी को आसानी से कैट सकता है ठीक इस तरह जैसे शॉप पानी पे फ्लूट करते वक्त पानी को काटकर अपना रास्ता बनती है यही वजह है की बहुत क्षेत्र स्टोन के मुकाबला में ना ही रोते कर रहा था और ना ही पानी की फोर्सेस इस पर डायरेक्टली अटैक कर रही थी आखिरकार 110 साल पहले होने वाले हादसे की एक और मिस्त्री को भी उलझा दिया गया लेकिन एक और सवाल भी है है जिसका जवाब ढूंढना बहुत जरूरी है वह यह टाइटेनिक शिव दो हसन में किस वक्त अलग हुई जैसा की आपने जाना के शिव के दो हसन में टूटने की खबर आई विटनेस ने दी थी सालों से यह माना जा रहा है की टाइटेनिक डूबने से पहले ही दो हसन में डिवाइड हो गई थी ये खबर काफी हद तक सच भी है लेकिन ये पूरा सच नहीं जब बहुत क्षेत्र में पानी भर गया तो वो पानी के अंदर चला गया जिसकी वजह से स्टर्न क्षेत्र का पूरा वेट पॉइंट यानी सेंटर पर पद रहा था यह सेंटर पॉइंट इतना ज्यादा वजन बर्दाश्त ना कर सका और टूटकर दो हसन में डिवाइड हो गया पर सुंदर स्कैनिंग से बनाया गया 3d मॉडल कुछ अलग कहानी ही बता रहा है जी हां देखा जाए तो टाइटेनिक के अंदर मौजूद सु समाज दूर-दूर तक ओसियन फ्लोर पे बिखरा हुआ है इसमें कॉफी कस डिनर प्लेट्स बैक बेंचेज और लोगों का पर्सनल समाज भी है इसमें से 90% टर्म्स स्टोर्स क्षेत्र के हैं टोटल 10000 से भी ज्यादा आइटम्स इस पूरे एरिया में फाइल हुए हैं जो करीब 3.2 स्क्वायर किलोमीटर का एरिया बंता है अगर तो ये क्षेत्र पानी के ऊपर ही बहुत क्षेत्र से अलग हो जाता तो इसका मतलब है की ओसियन फ्लोर पर पहुंचने पहुंचने इसका मालाबार 3.2 स्क्वायर किलोमीटर नहीं बल्कि इससे भी ज्यादा बड़े एरिया पर फैलता जैसा की आप इस एनीमेशन में भी देख सकते हैं लिहाजा एक्सपट्र्स का मानना है की ये क्षेत्र टूट तो पानी के ऊपर ही गया था लेकिन यह बहुत क्षेत्र से अलग ओसियन फ्लोर के करीब आकर हुआ है और फिर रोते होता होता अपनी डायरेक्शन बादल गया और 2000 फिट दूर जाकर आज आरएमएस टाइटेनिक की बॉडी पुरी तरह से रस्ट हो चुकी है संस्थाओं का मानना है की ओसियन की इस गहराई में ऑक्सीजन बहुत कम होता है जिसकी वजह से रस्टिंग प्रोसेस भी बहुत स्लो होता है लेकिन जंग के कुछ सैंपल उसको निकालकर जब टेस्ट किया गया तो मालूम पड़ा की जंग बैक्टीरिया से रिलीज होने वाले ऑक्सीजन की वजह से लगा है एक्सपट्र्स का मानना है की जी तेजी से इस पे जंग लगता जा रहा है आने वाले चंद सालों में टाइटेनिक के सारे फ्लोर्स एक दूसरे पर गिर जाएंगे और फिर ये अपनी असली शक्ल हमेशा के लिए को देगी |

By Naveen

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *