और ट्रांसलेट एयरलाइन की फ्लाइट 236 टोरंटो से लिस्बन की तरफ जा रही थी यह आदि रात का सम था और जहाज अटलांटिक ओसियन के बीचों-बीच 39000 फिट के एल्टीट्यूड पे क्रूज कर रहा था यह सिचुएशन पायलेट्स रोज फेस करते हैं और इसमें कुछ भी एब्नार्मल जैसा नहीं था पर जहाज में एक चीज ऐसी थी जो चंद लम्हों में ही साड़ी सिचुएशन को बदलने वाली थी यहां आपको बताते चलें की अटलांटिक ओसियन के ऊपर 39000 फिट के एल्टीट्यूड से भी दूर-दूर तक जमीन नजर नहीं आई वहां कैप्टन को अचानक मालूम पड़ा की जहाज का फ्यूल अब खत्म होने वाला है ये दोनों पायलेट्स के लिए एक बहुत ही खौफनाक सिचुएशन थी क्योंकि अटलांटिक ओसियन के ऊपर फ्यूल खत्म होने का सिर्फ एक ही मतलब है और वो है मौत ईटीवी की वीडियो में एक बार फिर से खुश हूं नजरे ये वाक्य पेस आया था 23rd अगस्त 2001 को टोरंटो पर्सन एयरपोर्ट पे और ट्रांसिट एयरलाइन के एअरबस a330 को से लिस्बन जान के लिए प्रिपेयर किया जा रहा था ये साथ घंटे की नॉन स्टॉप फ्लाइट होने वाली थी और इसीलिए इसमें 48 मैट्रिक तन फ्यूल डाला गया और प्रिपरेशन के बाद इसमें बोर्डिंग का अमल शुरू कर दिया गया इस वक्त लोकल टाइम के हिसाब से रात के 9:00 बाज रहे थे फ्लाइट 236 में 293 पैसेंजर और दो पायलट समेत 13 करू मेंबर्स स्वर हो गए फ्लाइट कैप्टन 48 इयर्स ओल्ड रॉबर्ट पीछे थे जिनको 16000 हॉर्स का फ्लाइट एक्सपीरियंस था फर्स्ट ऑफिसर 28 सलाद दीगर थे और इनके पास भी ₹5000 घंटा का एक्सपीरियंस था जिसमें से 400 घंटे इन्होंने यही जहाज एअरबस a330 फ्लाई किया था जहाज की बात की जाए तो ये उसे वक्त का स्टेट ऑफ डी आर्ट एअरबस का a330 मॉडल था जो सिर्फ दो ही साल पुराना था कल मिलकर बात यह है की ना ही पायलेट्स के एक्सपीरियंस में कोई कमी थी और ना ही जहाज में किसी किम का कोई फॉल्ट था तमाम फ्लाइट चेक्स कंप्लीट करने के बाद पायलेट्स फ्लाइट 236 को रनवे तक लेकर गए और एटीसी की परमिशन से इन्होंने जहाज को टेक ऑफ कर दिया टेकऑफ के बाद पायलट ने जहाज का रुख अटलांटिक ओसियन के उसे पर लिस्बन की जैब किया चंद ही मिनट में जहां अपने क्रूजिंग एल्टीट्यूड 39000 फिट तक जापान इस तरह की लॉन्ग फ्लाइट्स पे पायलेट्स का ज्यादा कम नहीं होता क्योंकि ज्यादातर कम ऑटो पायलट सिस्टम ही करता है पायलट सिर्फ सिचुएशन मॉनिटर करते हैं और कंट्रोल टावर को अपनी लोकेशन और अपडेट्स से आगा करते रहते हैं फ्लाइट 236 को टेक ऑफ किया 4 घंटे गुर्जर चुके थे अभी तक सब कुछ नॉर्मल चल रहा था और पैसेंजर केबिन में ज्यादातर लोग रात होने की वजह से सो रहे थे जहाज अटलांटिक ओसियन के ठीक सेंटर में पहुंच चुका था और यही वो लम्हा था जब जहाज में एक मसाला हो गया कनाडा टाइम के हिसाब से रात के 1:00 बजे पायलट ने जहाज के इंजन नंबर 2 यानी जहाज के राइट इंजन में एक एब्नार्मल रीडिंग नोटिस की इंजन में तेल का प्रेशर ज्यादा शो हो रहा था तेल की क्वांटिटी कम और तेल टेंपरेचर भी लो इंडिकेट हो रहा था इस तरह का एरर पायलेट्स अपने करियर में पहले बार देख रहे थे उन्होंने फॉरेन फ्लाइट मैन्युअल खोल और इस अजीब एरर के बड़े में जन की कोशिश की नॉर्मली जब जहाज ऑपरेशन होता है तो वक्त के साथ तेल टेंपरेचर बढ़ता है लेकिन यहां वो लो टेंपरेचर इंडिकेट कर रहा था जो की किसी भी तरह नॉर्मल नहीं था उनको फ्लाइट मैन्युअल में इस एरर के बड़े में कोई इनफॉरमेशन ना मिल साकी पायलेट्स ने कनाडा में और ट्रांसिट के मेंटेनेंस यूनिट से कांटेक्ट किया और उनको इस एरर के बड़े में आगा किया बदकिस्मती से मेंटेनेंस यूनिट को भी इस एरर के बड़े में मालूम नहीं था उन्होंने पायलट को कहा की वो इस एरर को मॉनिटर करते रहे वो थोड़ी डर बाद उनसे दोबारा कांटेक्ट करेंगे अगर यह जहाज के राइट इंजन में तेल की फॉल्टी रीडिंग शो हो रही थी लेकिन परवाज में किसी किम का भी कोई मसाला नहीं था पायलेट्स यह सोचकर रिलैक्स हो गए की शायद कोई फॉल्टी सेंसर तेल की गलत रीडिंग्स दे रहा है लेकिन आधे घंटे के बाद कैप्टन के सामने एक और एडवाइजरी मैसेज डिस्प्ले हुआ यह मैसेज तेल से रिलेटेड नहीं बल्कि फ्यूल से रिलेटेड था कमर्शियल एयरलाइंस का फ्यूल उनके विंग्स में इक्वली डिसटीब्युटेड होता है और ये नोटिस किया गया की फ्लाइट 236 के दोनों विंग्स में एक जितना फ्यूल नहीं है राइट विंग में फ्यूल की क्वांटिटी लेफ्ट के मुकाबला में कम थी अब नॉर्मली ये मसाला भी इतना सीरियस नहीं होता क्योंकि इस मसाले को फ्लाइट के दौरान ही फिक्स किया जा सकता है कैप्टन ने इस मसाले को फिक्स करने के लिए क्रॉस फीड वाल्व खोल दिया जिससे लेफ्ट विंग से फ्यूल राइट विंग में जाना शुरू हो गया और मिंटो में अब वापस दोनों विंग्स में फ्यूल की क्वांटिटी बराबर हो चुकी थी इस बात को अभी 10 मिनट ही गुजरे थे की कैप्टन को लो फ्यूल की वार्निंग दिखाना शुरू हो गई यह एक ऐसा मसाला था जिसको कोई भी पायलट फेस नहीं करना और वो भी पैसेंजर से भरे जहाज में पायलट ने देखा की राइट विंग में दोबारा से फ्यूल कम हो गया है और अब दोनों विंग्स को मिलकर भी इतना फ्यूल भी नहीं है जिससे लिस्बन पहुंच जा सके अब की बार मामला सीरियस हो चुका था अटलांटिक ओसियन के बीचों-बीच प्लेन को डाइवर्ट करने के ज्यादा ऑप्शन भी मौजूद नहीं थे हकीकत में इनके पास एक ही ऑप्शन था और वो था इस ओवर आयरलैंड ये आईलैंड्स अटलांटिक ओसियन में मौजूद पुर्तगाल टेरिटरी का हिस्सा है जहां तरसेहरा नामी आयरलैंड पर एयरपोर्ट मौजूद है कैप्टन ने पहले फुर्सत में सेनारिया एटीसी से रफ्ता किया और उनको बताया की वो इस एयरपोर्ट पे फ्यूल शॉर्टेज की वजह से लैंड करने जा रहे हैं पर अभी तक पायलट को भी कंफर्म नहीं था की वो इस एयरपोर्ट तक पहुंच भी पाएंगे यहां फिर उनको ओसियन में ही लैंड करना पड़ेगा इस वक्त जहाज में साथ तन फ्यूल बच्चा था यानी करीब 7000 क देखने में तो यह बहुत ज्यादा है लेकिन अल में यह a330 फ्यूल कैपेसिटी का सिर्फ 6% फ्यूल था और वह भी बहुत तेजी से कम होता जा रहा था पर सवाल यह है की आखिर फ्यूल कम ही क्यों हो रहा था क्या इस बार भी कोई फॉल्टी सेंसर गलत रीडिंग दे रहा था यहां फिर अल में फ्यूल की कमी थी फ्यूल का कम होना सिर्फ एक सूरत में मुमकिन है की कहानी ना कहानी से फ्यूल लिक हो रहा हो यह पता लगाने के लिए कैप्टन ने फ्लाइट गुरु को इंस्ट्रक्शंस दी के विंग की ट्रेनिंग आगे यानी विंग के पिछले हिस को जाकर मॉनिटर करें अगर तो फ्यूल लिक हो रहा होगा तो जरूर वहां से कोई इंडिकेशन मिलेगी पर अंधेरे की वजह से एक गुरु को ऐसी कोई इंडिकेशन ना मिल साकी अब कंडीशन ये थी की हर 5 मिनट में 1 तन फ्यूल खत्म हो रहा था कैप्टन को आप क्लियर हो गया की फ्यूल कहानी ना कहानी से लीग जरूर हो रहा है उनके पास अब सिर्फ 25 मिनट का फ्यूल बाकी बच्चा था जिससे एयरपोर्ट तक भी पहुंचाना मुमकिन नहीं था इस दौरान कैप्टन और फर्स्ट ऑफिसर लगातार मेंटिने इंटरनेट और एटीसी से कांटेक्ट में थे मेंटेनेंस यूनिट ने कैप्टन को इंस्ट्रक्शंस दी की वह फ्यूल लीकेज को कंफर्म करने के लिए जहाज को 39000 से 20000 फिट तक लेकर इनकार कर दिया क्योंकि पायलट का मानना था की अगर फ्यूल लीकेज कंफर्म भी हो गई तो जहाज को वापस ऊपर लेकर जाना पॉसिबल नहीं होगा एटलिस्ट उनके पास अभी 39000 फिट्स पर ग्लाइडिंग का ऑप्शन दो बाकी है अगले चंद मिनट में सारे शक दूर हो गए जब जहाज के राइट इंजन में आज भड़क उठी ये देख कर जहाज में अफरा-तफरी मैच गई और पैसेंजर जो अभी तक सुकून की नींद सो रहे थे उनके सुकून को खौफ के बादलों ने धक दिया जहाज में अब 4:30 तन फ्यूल और सिर्फ एक इंजन बच्चा था इस एक इंजन पर जहाज का क्रूस करना पॉसिबल नहीं था लिहाजा अब आहिस्ता आहिस्ता एलटीटी कम होना शुरू हो गया दूसरी तरफ दशहरा एयरपोर्ट पर इमरजेंसी नफीस हो गई फायर ट्रक और इमरजेंसी क्रो ने हर तरह की सिचुएशन से निपटाने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी जहाज जो के तरसेरा एयरपोर्ट से अभी भी 240 किलोमीटर दूर था उसमें अब सिर्फ 600 क का फ्यूल बच्चा था इतने में वही हुआ जिसका डर लगा हुआ था जहाज का लेफ्ट इंजन फूल थ्रस्ट पर चलने की वजह से जल गया और अब फ्लाइट 236 बगैर इंजन के अटलांटिक ओसियन के ऊपर ग्लाइड करने लगी यहां पर कैप्टन का जहाज को 20000 फिट तक ड्रॉप ना करने का फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ दोनों इंजन बैंड होने की वजह से अब जहाज के अंदर अंधेरा छ गया क्योंकि इंजन की वजह से ही जहाज का इलेक्ट्रिकल सिस्टम भी चला है खुशकिस्मती से जहाज का ऑटोमेटिक टरबाइन बाहर निकाल आया जो की और स्पीड से सिर्फ इतनी इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट करता है जिससे कॉकपिट के इंपॉर्टेंट इक्विपमेंट्स चल सके अब दशहरा एयरपोर्ट 120 किलोमीटर दूर था जहाज 30000 फिट तक नीचे ए गया था और कैप्टन को यह डिस्टेंस सिर्फ ग्लाइड करके पर करना था पैसेंजर केबिन में अंधेरा और पी ड्रॉप साइलेंस ने एक खौफ का सम बनाए रखा था ऐसी खामोशी जो शायद किसी आफत का इशारा दे रही थी वर्स्ट कैसे ये था की अगर जहाज एयरपोर्ट तक ना पहुंच पाया तो उसको ओसियन में ही लैंड करना पड़ेगा इसी वजह से करू ने पैसेंजर को पानी में लैंडिंग के हवाले से रिपेयर करना शुरू कर दिया ओसियन में लैंडिंग हर तरह से खतरनाक होती है क्योंकि अगर तो पैसेंजर इंपैक्ट से बैक भी गए तो पानी में डब सकते हैं और अगर पानी में नहीं दुबे तो ठंडा पानी की वजह से हाइपोथेमिया से मा सकते हैं अब नॉर्मली बगैर इंजन के पैसेंजर प्लेन को फ्लाइट करना बहुत मुश्किल होता है सब कुछ प्लेन के पिच कंट्रोल पे डिपेंडेंट था जिसको पायलट मैन्युअल स्टिक से कंट्रोल कर रहे थे एल्टीट्यूड 2000 फिट पर मिनट के हिसाब से ड्रॉप हो रहा था यानी अगले 15 मिनट में यहां तो जहाज एयरपोर्ट पर पहुंचेगी यहां फिर जब प्लेन का डिस्टेंस तटेरा एयरपोर्ट से 15 किलोमीटर र गया तो इसका एल्टीट्यूड 13000 फिट था और नॉर्मली इतने डिस्टेंस पर एल्टीट्यूड 3000 फिट रखना होता है अब अगर तो पायलट ने नोज टाइप करके अपना एलटीटी कम किया तो प्लेन की स्पीड बहुत तेज हो जाएगी और इससे सिचुएशन में क्रश लैंडिंग के मकान बहुत ज्यादा होते हैं इसीलिए पायलट ने जहाज को वहीं एक 360 चक्कर लगवाया ये चक्कर जब कंप्लीट हुआ तो एयरपोर्ट से डिस्टेंस उतना ही था जबकि एल्टीट्यूड 5000 फिट तक ड्रॉप हो चुका था यह एलटीटी रोड अभी भी ज्यादा था पर इतना ज्यादा नहीं की एक और 360 लगाया जा सके इसीलिए पायलट ने जहाज की पोजीशन रनवे की सीध में की और इसको चंद एस डांस लगवाएं एस डांस की वजह से जहाज का रनवे से डिस्टेंस माजिद भाड़ गया और उसको एल्टीट्यूड कम करने का माजिद टाइम मिल गया नॉर्मल हालात में लैंडिंग के वक्त लैब्स ओपन रखें जाते हैं जिससे ड्रग पैदा होता है और इंजन थ्रस्ट बड़ा दिया जाता है जिससे प्लेन की नोज ऊपर हो जाति है पर फ्लाइट 236 के पास इंजन थ्रस्ट तो था नहीं इसीलिए ये लैंडिंग नॉर्मल लैंडिंग से बहुत अलग और बहुत खतरनाक भी थी पायलट के पास प्लेन को लैंड करने का सिर्फ एक ही चेस था या तो आर या तो पर आखिरकार प्लेन एक जोर के झटका से रनवे पर लगा और 12 में से आठ टायर्स बर्स्ट हो गए प्लेन को रोकने में थोड़ी मुश्किल तो जरूर पेस आई लेकिन फाइनली वो स्किट करता रुख ही गया प्लेन रुकते ही उसके लैंडिंग गियर में आज भड़क उठी जी पर एयरपोर्ट गुरु ने फौरन काबू का लिया फ्लाइट 236 एवियशन हिस्ट्री का वो पहले और आखरी पैसेंजर प्लेन था जिसने बगैर इंजन के सबसे ज्यादा टाइम तकलाइड करने का रिकॉर्ड बनाया राइट इंजन में फ्यूल लीकेज के हवाले से जब इन्वेस्टिगेशन हुई तो मालूम पड़ा की टोरंटो में टेक ऑफ से पहले मेंटेनेंस गुरु ने इंजन का एक पाठ चेंज किया था लेकिन वह किसी और प्लेन का था लेस फाइटिंग की वजह से उसमें वाइब्रेशन हुई जिसने करीब से गुजराती फ्यूल लाइन को बर्स्ट कर दिया इस वाक्य के बाद ही एअरबस ने एक नया सिस्टम इंस्टॉल किया जिससे फ्यूचर में पायलेट्स को दोहराने परवाज फ्यूल लीकेज का भी पता पद सकेगा एक साल बाद कैप्टन रॉबर्ट पीछे और फर्स्ट ऑफिसर डाक दीगर को एअरबस a330 पर डेड स्टिक लैंडिंग परफॉर्म करने के लिए सुपीरियर ऐयरमैनशिप अवार्ड से नहा सकते हो |

By Naveen

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