सेवंथ दिसंबर 1941 यह इतिहास का वह आखरी दिन था जिसके बाद दुनिया का नक्शा हमेशा के लिए बदलने जा रहा था उस नेवी की बेस पर एक आफत टूटने वाली थी जिसका अंदाज़ किसी को भी नहीं था बैटलशिप में मौजूद एक अफ्रीकन अमेरिकन बच्ची टॉरस मिलर सूरज निकलते ही नेवी ऑफिसर्स को नाश्ता सर्व करता है और उसके बाद उनकी लॉन्ड्री कलेक्शन के कम पे ग जाता है सुबह के ठीक 757 पे दौरेरिस को एक सायरन सुने देता है वह सायरन जो शायद कोई सर्विस में सुना ही नहीं चाहता वो फौरन बाहर निकलता है और यह देखकर हैरत ज्यादा र जाता है की पूरा आसमान जापानी बॉमबर एयरक्राफ्ट से भारत हुआ है पलक झपके ही पुरी लेवल बेस पे तो जैसे कोई कयामत टूट पड़ी हो क्योंकि जापानी एयरक्राफ्ट्स ने चुन-चुन कर अमेरिकन शिप को तबाह करना शुरू कर दिया यह हमला उस की पर्ल हार्बर बेस पर किया गया था

और आज हम जानेंगे की जापान ने अमेरिका जैसे मुल्क पर हमला करने की इतनी बड़ी हिम्मत क्योंकि थी डर स्मॉलर नामी एक बावर्ची को अमेरिका का सबसे बड़ा अवार्ड क्यों दिया गया और अमेरिका ने जापान पर न्यूक्लियर हमला क्यों किया था गेम टीवी की वीडियो में एक बार फिर से खुश हूं नजरे हमारी इस इंटरेस्टिंग कहानी की शुरुआत 1941 में होती है जब वर्ल्ड वार 2 में अमेरिका ने चीन को बचाने के लिए अपना सब कुछ दावा पर लगा दिया था जी हां वही चीन जिसके खिलाफ आज 2023 में अमेरिका खुला कर बात करता है वह कुछ यूं था की वर्ल्ड वार 2 को स्टार्ट हुए 3 साल गुर्जर चुके थे जिसमें एक साइड पे जर्मनी और इटली थे जबकि दूसरी साइड पे ब्रिटेन नीदरलैंड्स और फ्रांस थे इस जंग में अमेरिका का कोई पार्ट नहीं था अमेरिका पुरी तरह से न्यूट्रल था क्योंकि वर्ल्ड वार वन में हुए नुकसान की वजह से अमेरिका खुद को यूरोप और एशिया में होने वाली जंग से बिल्कुल अलग रखना चाहता था पर एक मुल्क था जो अमेरिका को मुसलसल सताए जा रहा था और वह था जापान के पास नेचुरल रिसोर्सेस कम होने की वजह से वो अपने आप पड़ोस के मालिकों पर धड़ाधड़ कब्जा जमा रहा था ताकि वो अपनी नेचुरल रिसोर्सेस की डिमांड्स पुरी कर सकें कोरिया ताइवान और चीन के बड़े इलाकों पर जापान कब्जा कर चुका था

1945: Atomic bomb damage in Hiroshima. (Photo by Hulton Archive/Getty Images)

पेसिफिक ओसियन में ही जापान के करीब फिलिपींस मलेशिया और इंडोनेशिया पर भी इसकी नजर थी पर मसाला यह था की मलेशिया ब्रिटिश कॉलोनी थी इंडोनेशिया नीदरलैंड्स की और फिलिप न्यूट्रल रहने वाले अमेरिका की कॉलोनी थी इन कंट्रीज को जापान का दूसरे मुल्कों पर कब्जा करना बिल्कुल भी ठीक नहीं ग रहा था क्योंकि जबान के पीछे अल में हिटलर का हाथ था और हिटलर ब्रिटेन और अमेरिका का दुश्मन था जापान की यह हरकतें देखकर जुलाई 1941 में अमेरिका ने जापान को मिल देना बैंड कर दिया जापान के पास खुद का तेल नहीं था बल्कि उसकी डिमांड का 80% तेल वो अमेरिका से ही इंपोर्ट करता था अमेरिका ने उसके सामने यह कंडीशन राखी के पहले उसको चीन में अपना कब्ज छोड़ना पड़ेगा फिर जाकर उसको तेल दिया जाएगा जापान के लिए यह एक बहुत ही मुश्किल फैसला था एक तरफ अगर वो चीन से अपना कब्जा छोड़ देता तो पुरी दुनिया समझती की इसमें हिटलर की सपोर्ट की बावजूद अमेरिका के सामने अपने घुटने टेक दिए हैं दूसरी तरफ तेल था जिसके बगैर जापान का हॉल वैसे ही कमजोर पद जाना था जापान ने फैसला किया की वह चीन से अपने फोड़ दी वापस नहीं बुलवाएगा बल्कि अंदर की अंदर उसने प्लेन बनाया की वो तेल के लिए इंडोनेशिया पर कब्जा करेगा लेकिन ये कम इतना आसन नहीं था जैसा की हम पहले भी जान चुके हैं की इंडोनेशिया उसे वक्त नीदरलैंड्स की कॉलोनी थी और वहां तक पहुंचने के लिए जरूरी था की पहले फिलिपींस पर कब्जा किया जाए जो की अमेरिका की कॉलोनी थी जापान को अच्छी तरह मालूम था की अगर उसने फिलिपींस पर हमला किया तो उसकी जवाबी करवाई पेसिफिक ओसियन में ही मौजूद अमेरिकन लेवल बेस पर्ल हार्बर से की जाएगी लेकिन क्योंकि जबान के पास अब तेल रिजर्व्स तेजी से खत्म होते जा रहे थे और उनके पास हमला करने के शिवा और कोई ऑप्शन नहीं बच्चा था फिलिपींस पर नहीं बल्कि बलहर पर जी हां जापानी मिलिट्री लीडर ने फैसला किया की वह अमेरिका की पर्ल हार्पर बेस पे एक सरप्राइज अटैक करके पुरी बेस को ही उदा डालेंगे ताकि उसके बाद जापान आसानी से फिलिपींस पे कब्ज कर सके जवान अब चुपके से पर्ल हार्बर पर अटैक करने की तैयारी में ग चुका था उसने अपनी फ्लीट तैयार करना शुरू कर दी जिसमें दो बैटलशिप 39 सबमरीन 30 डिस्ट्रॉयर और हेल्थएंगे 414 बॉम्बर एयरक्राफ्ट थे इन एयरक्राफ्ट्स को 6 एयरक्राफ्ट करियर्स के जारी पर्ल हार्बर की तरफ रावण किया गया दूसरी तरफ अगर पर्ल हार्बर पर खड़ी अमेरिकन फोर्स का अंदाज़ लगाया जाए तो इसमें आठ बैटलशिप 59 एंटी एयरक्राफ्ट शिप कर सबमरीन और ₹390 एयरक्राफ्ट थे देखा जाए तो अमेरिका के पास जापान का हमला नाकाम बनाने के लिए काफी फोर्स मौजूद थी लेकिन इसके लिए जरूरी था की इनको पहले से इस हमले की इनफॉरमेशन मिल जाए पर जापान या अटैक हर तरह से सीक्रेट रखना चाहता था इसीलिए जापानी कमांडर ने फैसला किया की हमले से पहले वो किसी किम की भी वायरलेस कम्युनिकेशन से दूर रहेंगे जापान से निकालने वाली फोर्स करीब 8000 किलोमीटर का फैसला ते करके अब पी बराबर से सिर्फ 370 किलोमीटर दूर थी और यही वह पॉइंट था जहां से एयरक्राफ्ट्स को हमला करने के लिए टेक ऑफ करवाया गया सबसे बड़ा हमला होने वाला था जिसमें अमेरिका अभी तक शामिल ही नहीं था सेवंथ दिसंबर 1941 की सभा को 757 पे 350 जापानी एयरक्राफ्ट ने पर्ल हार्बर पे दो अलग-अलग ग्रुप में धावा बोल दी अमेरिकंस जो इस हमले से बिल्कुल ला इलम थे उन पर तो जैसे कयामत ही टूट पड़ी थी जापानी के पहले ग्रुप ने गोलू की बारिश कर दी थी 45 मिनट्स तक यह पाल हर बार पर हमला करते रहे और फिर वापस चली गई पहले तो यूं लगा शायद हमला खत्म हो चुका है लेकिन 10 मिनट बाद बंपर एयरक्राफ्ट का दूसरा ग्रुप आया और बेस को भी गली बर्स बरसाकर तबाह कर दिया पूरे 1 घंटे और 15 मिनट तक ये हमला जारी रहा जिसमें जापान का पालना हर तरह से भारत है की 20 वेसल 8 बैटलशिप और 300 से भी ज्यादा प्लांस को खड़े-खड़े तबाह कर दिया गया था जमीन को आज और आसमान को कल धोने के बादलों ने छुपा दिया था इसी दौरान अमेरिका की एक बैटलशिप में अफ्रीकन अमेरिकन भावरची डर स्मृति भी था जिसका जिक्र हमने वीडियो की स्टार्टिंग में किया था लॉन्ड्री कलेक्शन के दौरान टॉरस को एक सायरन सुने दिया यह खौफनाक सायरन सुनकर जब तक वह बाहर आता एक जापानी टारपीडो मिसाइल उनकी शिव पर ए लगा जिसमें शिव कैप्टन समेत बहुत ऑफिसर्स जख्मी हो गए डर स्नेहा अकेले ज़ख्मियों को सेफ जगह पे शिफ्ट किया और फिर एंटी एयरक्राफ्ट मशीन गण पे जाकर खुद जापानी एयरक्राफ्ट्स पर पलट कर वार किया उसने बगैर ट्रेनिंग के टोटल छह जापानी तैयार है मार्ग आए थे जबकि इस हमले में जापान था जिसको बाद में नेवी क्रॉस दिया गया अवार्ड उस नेवी का सबसे बड़ा चक्की यूनाइटेड स्टेटस में मेडल ऑफ ऑनर के बाद दूसरा बड़ा अवार्ड है एक घंटे 15 मिनट हमलावर होने के बाद जापानी एयरक्राफ्ट तो वापस चले गए लेकिन वो अब अमेरिका को भी वर्ल्ड वार 2 में धकेल चुके थे वही अमेरिका जो इस हमले से पहले वर्ल्ड वार 2 में शामिल ही नहीं था.

अमेरिका ने पर्ल हार्पर पर हमले के अगले ही दिन जापान को सबक सीखने का फैसला कर दिया और उनके खिलाफ खली जंग का ऐलान भी कर दिया अगले 3 मीना तक अमेरिका अपनी नवल बेस को वापस रिस्टोर करने में लगा रहा खुशकिस्मती से कई शॉप्स शैलो वाटर में डूबी थी जो रिपेयर के काबिल भी थी 4 मीना के बाद अमेरिका ने जापान पर वैसे ही हमला किया जैसे उन्होंने पहल हर्बल पे किया था जी हां अप्रैल 1942 में आमिर खान ने जापान के कैपिटल टोक्यो पर बंबू की बरसात कर दी यह अमेरिका का वर्ल्ड वार 2 में किया जान वाला पहले हमला तो था लेकिन इसके बाद अमेरिका ने बस नहीं की अगले 4 सालों तक जापान और अमेरिका की शहीद लड़ाई चलती रही जिसमें अब अमेरिका का पालदा भारी था जबान इस जंग में बहुत कमजोर हो चुका था लेकिन वो किसी सूरत हर नहीं मां रहा था अमेरिकंस के सामने सुरेंद्र नहीं कर रहा था आखिरकार अगस्त 1945 में अमेरिका ने जापान के खिलाफ अपना आखिरी कार्ड इस्तेमाल कर ही डाला सिक्स्थ अगस्त 1945 को सुबह के 8:00 बजे जापान के हिरोशिमा शहर के ऊपर एक बोईंग बी 29 सुपर फोर्ट्रेस एयरक्राफ्ट देखा गया इस जहाज ने 4400 क वजी लिटिल बाय नामी बम हिरोशिमा के ऊपर गिरा डाला एक्जेक्टली 43 सेकेंड्स के बाद एक जोरदार धमाका हुआ और सब कुछ व्हाइट हो गया उसके बाद एक फायर बाल जमीन से आसमान की तरफ गया जिसने जमीन का टेंपरेचर 5000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच दिया यह हिस्ट्री का पहले न्यूक्लियर अटैक नंबर 80% से मिट्टी का देर बना दिया जापानी मिलिट्री लीडर्स के तो जैसे पैरों तले जमीन ही खिसक गई थी अभी वो कुछ और समझते के तीन दोनों के बाद नाइंथ अगस्त को अमेरिका ने जापान के शहर नागासाकी पर भी न्यूक्लियर बम कर दिया ये मार्क थ्री बम था जिसका कोड नाम फैट मां रखा गया था 4670 क वजनी इस बम ने कितने ही पूरे शहर को सफाई हस्ती से ही मित डाला.

By Naveen

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