24 feb 2022 को रशियन ट्रूप्स ने यूक्रेन पर चारों तरफ से हमला कर दिया रशियन प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया को साफ-साफ बता दिया की अगर किसी ने इस मामले के बीच में पढ़ने की कोशिश की तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा रशियन हेलीकॉप्टर और फाइटर जेट्स को यूक्रेन की कई सिटीज के ऊपर लो फ्लाइंग करते और कई makamaat पर रॉकेट फायर करते भी देखा गया और इनमें पुतिन का में टारगेट यूक्रेनियन कैपिटल की था इस अनएक्सपेक्टेड अटैक में जहां कई 100 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे वही लाखों यूक्रेनियन अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए जान बचाने के लिए कई लोग बेसमेंट में जा छुपे और कुछ नए मेट्रो स्टेशंस में बना रहने को बेहतर समझा देखते ही देखते घूंघट जोर से बनाया जा रहा था उसको एबल्ड मीरपुर दोबारा अपने हिसाब से बनाना चाहता है और वह भी ताकत के बलबूते पर लेकिन आखिर क्यों यूक्रेन से 27 टाइम्स ज्यादा एरिया पर फैले हुए रसिया को इतने छोटे यूक्रेन से आखिर क्या खतरा है रशियन प्रेसिडेंट को यूक्रेन में क्या इंटरेस्ट है

और अगर वो ऐसा नहीं करेगा तो उसको क्या कुछ खोना पड़ेगा ये मामला अच्छी तरह और आसान अल्फाज में समझने के लिए पस्त में हुए चंद vakyaat का समझना बहुत जरूरी है आज से करीब 100 साल पहले तक यूक्रेन रूस का ही हिस्सा हुआ करता था जब ये पूरा एरिया pichhali कई सदियों से romanoff डायनेस्टी के होल्ड में था 1900 की शुरुआत में ही लोग अपने रशियन किंग से तंग ए गए और आखिरकार जब बर्दाश्त का लेवल क्रॉस हो गया तो 1979 में रशियन रिवॉल्यूशन ने रोमनोव डायनेस्टी को उखाड़ कर रशियन एम्पायर का तख्त उलट दिया लोग इन राजा maharajaon के सिस्टम से तंग ए चुके द और अब यहां एक नई हुकूमत बनाने का वक्त ए चुका था इस नई हुकूमत को बनाने के चक्कर में रशियन रिवॉल्यूशनिस्ट आपस में ही लड़ पड़े और पूरा रूस सिविल वॉर में पद गया जब सिविल वॉर खत्म हुई तो 1922 में रूस और यूक्रेन समेत 13 अलग-अलग रिपब्लिक को मिलाकर सोवियत यूनियन बनाया गया यानी यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक या फिर यूएसएसआर यूक्रेन जिसको रशियन अंपायर से आजादी मिले अभी 5 साल ही गुजरे द वो अब यूएसएसआर का हिसाब बन चुका था उनके लिए यह ऐसा ही था जैसे किसी परिंदे को एक पिंजरे से निकलकर दूसरे में दल दिया गया हो खैर वक्त गुजरता गया और यूएसएसआर दिन-ब-दिन मजीद ताकतवर होता गया वर्ल्ड वॉर 2 के बाद उस आर का होल्ड इस एरिया में और ज्यादा मजबूत हो गया यूरोप के एक हिस्से में सोवियत यूनियन जब के दूसरा हिस्सा वेस्टर्न पावर्स के होल्ड में था इन वेस्टर्न पावर्स में कनाडा और यूके समेत अमेरिका भी शामिल था वर्ल्ड वॉर 2 तो खत्म हो चुकी थी लेकिन यूनाइटेड स्टेटस और सोवियत यूनियन के दरमियां पॉलिटिकल दुश्मनी अंदर ही अंदर चलती रही और इस दुश्मनी का सबसे बड़ा रीजन इन दोनों पावर्स के दरमियां बहुत इंपॉर्टेंट डिफरेंस था

वो डिफरेंस ये था की सोवियत यूनियन ने अपनी साइड पे कम्युनिस्ट गवर्नमेंट बना राखी थी यानी कंट्री में जितना भी बिजनेस या ट्रेड होगा वो किसी एक शख्स के हाथ में नहीं दिया जाएगा बल्कि हर शख्स को उसकी जरूरत के हिसाब से शेयर किया जाता था जब के यूनाइटेड स्टेटस का साथ देने वाली कंट्रीज में कैपिटल लिस्ट सिस्टम चल रहा था jismein कोई भी प्राइवेट इंडिविजुअल यहां कंपनी अपना बिजनेस करके जितना चाहे प्रॉफिट जेनरेट कर सकती है अब मसाला यह था की अमेरिका चाहता था की पुरी दुनिया में हमारा सिस्टम लागू हो जब के सोवियत यूनियन चाहता था की पुरी दुनिया में [संगीत] इन दोनों पावर्स के दरमियां ओल्ड वॉर स्टार्ट हो गई जंग में वेपंस और फोर्स का इस्तेमाल तो नहीं हुआ लेकिन अंदर ही अंदर सोवियत यूनियन और अमेरिकन पावर एक दूसरे पे पॉलिटिकल हमले करते रहे मामला इतना बढ़ गया की दोनों पावर्स को अपने मिलिट्री alance और ज्यादा मजबूत करने पड़े 1949 में अमेरिका को सपोर्ट करने वाली कंट्रीज ने नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यानी नेटवर्क बनाई jismein ये तय पाया की नेतो में शामिल किसी भी कंट्री पे अगर हमला हुआ तो बाकी सारी नेटवर्क कंट्रीज मिलकर उसका साथ देंगे नाटो का बन्ना सोवियत यूनियन के लिए हर तरह से खतरनाक था क्योंकि अगर सारी नेटवर्क कंट्रीज एक दूसरे को डिफेंड कर सकती हैं तो वो सारी मिलकर सोवियत यूनियन पर हमला भी कर सकती हैं जब सोवियत यूनियन ने नाटो की यह पावर देखी तो उन्होंने भी आपस में कुछ ऐसा ही फैक्ट साइन किया जिसको वारसा पैक का नाम दिया गया इन दोनों पावर्स ने आपस में एक दूसरे को बचाने के लिए ऑर्गेनाइजेशंस तो बना ली लेकिन अंदर ही अंदर और अभी भी चलती रही क्योंकि आखिरकार दोनों की आईडियोलॉजी में इतना ज्यादा फर्क जो था पूरे 42 इयर्स तक यह कोल्ड वॉर ऐसे ही चलती रही jismein दोनों पावर्स का टारगेट एक दूसरे को कमजोर करना था और आखिरकार एक साइड को कमजोर होना ही पड़ा 1991 में यूक्रेन जैसी रिपब्लिक ने खुद को सोवियत यूनियन से अलग करने का mutalaba कर दिया यानी उस सहर में शामिल अलग-अलग रिपब्लिक अब आजाद मुल्क बन्ना चाहते द 15 रिपब्लिक को मिलाकर बनाया जाने वाला सोवियत यूनियन अब 15 अलग-अलग इंडिपेंडेंस कंट्रीज में बट गया और इसके साथ ही इनका बनाया हुआ वॉर्स ऑफ फैक्ट भी बाप बनकर उद गया यूक्रेन आखिरकार एक बार फिर से आजाद मुल्क बनने में कामयाब हो गया सोवियत यूनियन से आजादी पाने वाली कंट्री अब अपने फैसले खुद कर सकती थी lihaja सबसे पहले इन्होंने अपने ऊपर टोपी गई कम्युनिस्ट गवर्नमेंट को उठा फेंका था जो पहले सोवियत यूनियन की वजह से काफी स्ट्रांग था वह अब दुनिया की नजर में कमजोर पद चुका था दूसरी साइड पर कोल्ड वॉर खत्म होने की बावजूद भी वेस्टर्न पावर्स की aligines टच से मस्त ना हुई बल्कि इनकी ताकत में izaafa ही होता गया 1999 में सोवियत यूनियन से आजादी पाने वाली तीन कंट्रीज पोलैंड चेक रिपब्लिक और हंगरी ने पास पलट दिया और नाटो से जा मिले नाटो में शामिल होने का ट्रेंड दिन बाद इन मजीद बढ़ता गया

और 2004 में सात और कंट्रीज ने भी नाटो को ज्वाइन कर लिया यानी जो रिपब्लिक पहले रूस का साथ दे रही थी वो अब नाटो की alance का हिस्सा बन गई और यह वह वक्त था जब पहली बार रूस का बॉर्डर नाटो के साथ फेस तू फेस ए चुका था अब सिर्फ तीन कंट्रीज ही बची थी जिन्होंने नेटवर्क को ज्वाइन नहीं किया बेलारूस यूक्रेन और जॉर्जिया इनमें से यूक्रेन और जॉर्जिया काफी अच्छे से नेटवर्क को ज्वाइन करना चाहती थी लेकिन यह बात रूस वो हजम ना हुई रसिया ने उसी वक्त खतरा लिया की अगर ये दोनों कंट्रीज भी नेत्रों से जान ली तो उसका ब्लैक सी पे जाने का एक्सेस किसी भी वक्त रोका जा सकता है नाजरीन यहां आपको बताते चलें की उस और सऊदी अरब के बाद रूस दुनिया का तीसरा बड़ा मुल्क है जो ऑयल और गैस प्रोड्यूस करके इंटरनेशनल मार्केट में ब्लैक सी के जरिए ही एक्सपोर्ट करता है और यही वजह थी की रूस यूक्रेन और जॉर्जिया की नाटो में samuhuliyat को अपोज कर रहा था लेकिन यूक्रेन की नाटो में शामिल होने की ख्वाहिश फिर भी जारी रही ना सिर्फ इतना बल्कि 2013 में यूक्रेन ने यूरोपीय यूनियन में शामिल होने की भी ख्वाहिश की याद रहे की इस वक्त यूक्रेन के प्रेसिडेंट पेट्रोल परेशन को द जिनको रूस का दोस्त और काफी करप्ट समझा जाता था हैं उसे टाइम पर जब यूरोपीय यूनियन के साथ डील साइन करने का वक्त आया तो यूक्रेन के प्रेसिडेंट ने रसिया से बेल आउट पैकेज के नाम पर भारी रकम ली और यूरोपीय यूनियन के पदार्थ डील साइन करने से इनकार कर दिया यह कहकर के यूक्रेन रूस का हर मामले में साथ देगा ये कहा जाए की रसिया ने यूक्रेनियन प्रेसिडेंट को यूरोपीय यूनियन में शामिल ना होने के लिए ब्राइब किया तो ये गलत नहीं होगा जब ये खबर मीडिया पर आई तो यूक्रेन में हजारों प्रोटेस्टर्स सड़कों पर निकल आए और उनका सिर्फ एक ही मुतालबा था के यूक्रेन को यूरोपियन यूनियन का हिस्सा बनाया जाए प्रोटेस्टर्स का प्रेशर दिन बाद दिन बढ़ता गया और आखिरकार यूक्रेनियन प्रेसिडेंट ने उन पर क्रैकडाउन स्टार्ट कर दिया jismein 100 से भी ज्यादा लोग मारे गए ये देख कर प्रोटेस्ट और ज्यादा वायलेंट हो गए और मामला इस हद तक जहां पहुंचा की यूक्रेनियन प्रेसिडेंट को अपनी पोस्ट छोड़ कर रसिया भगाना पड़ा प्रेसिडेंट का भाग जाना जहां प्रोटेस्टर्स के लिए जीत का मुकाम था वहीं पुतिन इसको अपनी हर मैन रहा था लिहाजा अब पोर्टल ने ताकत का इस्तेमाल करना शुरू किया सबसे पहले रशियन आर्मी ने ब्लैक सी में फैले हुए यूक्रेनियन कंट्रोल्ड पेनिनसुला पर कब्जा किया उसके बाद रूस के बॉर्डर से लगे यूक्रेन के दो रीजंस डॉन्स और luhans पर सेपरेटिस्ट की मदद से कब्जा जमाया रसिया ने सेपरेटिस्ट ग्रुप की खूब जमकर मदद की जिन्होंने इन दोनों रीजंस को यूक्रेन से अलग करने की डिमांड कर डाली पूरे आठ सालों तक इन दोनों रीजंस में बहुत खून रेजी हुई jismein 14000 से भी ज्यादा लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे जब के 20 लाख यूक्रेनियन ये रीजंस छोड़ने पर मजबूर हो गए असल में और lohans की यूक्रेन से आजादी हर तरह से भूटान के हक में थी और यही वजह थी की पूतन इनको भरपूर सपोर्ट कर रहा था नवंबर 2021 में भूटान के इरादे खुल कर सामने ए गए सैटेलाइट इमेज में देखा गया की लाखों रशियन ट्रूप्स को यूक्रेन के बॉर्डर पर मूव कर दिया गया है और इसके कुछ ही हफ्ते बाद footane अपनी डिमांड की में डिमांड थी की इस एरिया में एक्सपेंड ना करें और अपनी मिलिट्री को उसी हद तक वापस लेकर जाए जो 1997 में हुआ करती थी यानी रूस से बहुत दूर भूटान की ये डिमांड्स वेस्टर्न लीडर्स ने फॉरेन रिजेक्ट कर दी और अपनी फोर्सेस को और ज्यादा बढ़ा दिया दूसरी तरफ रशियन ट्रूप्स यूक्रेन को चारों तरफ से gherne में masruf रहे और बॉर्डर पे हैवी मिलिट्री ड्रिल्स भी करते रहे 21st feb 2022 को पूतन ने लाइव आकर डोनर्स और lohans के रिपब्लिक को अलग देश एक्सेप्ट कर लिया और इसके साथ ही रशियन ट्रूप्स इन दो रीजंस में पीस कीपिंग के नाम पर इंटर हो गए दूसरी तरफ यूक्रेन के प्रेसिडेंट की ने भी एक वीडियो पैगाम में रसियन को मैसेज दिया की जंग में अगर नुकसान हुआ तो वह और किसी का नहीं बल्कि दोनों कंट्रीज के लोगों का होगा वेस्टर्न लीडर्स का कहना है की यूक्रेन एक इंडिपेंडेंट कंट्री है और हम किसी को भी नेट में शामिल होने से रोक नहीं सकते इस मामले के दो दिनों बाद 24 feb 2022 को पूतन ने स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन के नाम पर पूरे यूक्रेन पर खुलकर हमला कर दिया यूरोपीय कमीशन प्रेसिडेंट यूके प्राइम मिनिस्टर और उस प्रेसिडेंट ने रूस के इस एक्शन को कंडोम किया और कहा के भूटान और रूस को इसका हिसाब देना पड़ेगा पुरी दुनिया में एंटी वॉर प्रोटेस्टर्स यूक्रेन की हक में नारेबाजी करते देखे गए हत्या के खुद रसिया में भी हजारों प्रोटेस्टर्स यूक्रेन के हक में बाहर निकल आए नाटो की रिस्पांस फोर्स हिस्ट्री में पहली बार हरकत में ए गई और अमेरिका में अपने ट्रूप्स को ईस्टर्न यूरोप के बॉर्डर पर भेज दिया पुरी दुनिया यूक्रेन को सपोर्ट तो कर रही है लेकिन रूस से डायरेक्ट नहीं हो रही क्योंकि रूस के पास दुनिया की सबसे बड़ी न्यूक्लियर वेपंस की कलेक्शन मौजूद है और भूटान पहले ही धमकी दे चुका है की अगर किसी ने बीच में पढ़ने की कोशिश की तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा फिजिकल होने के बजाय अब अमेरिका समय दूसरी कंट्रीज ने रूस पर सैंक्शंस लगाना शुरू कर दी है जिससे रूस की इकोनॉमी को काफी ज्यादा नुकसान होगा और शायद ऐसा करने से पुतिन को लगाम दी जा सके.

By Naveen

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