वियतनाम वॉर के दौरान आर्मी के हाथ एक ऐसा केमिकल आ चुका था जिसको वह जख्म हों के जख्मों पर स्प्रे करते तो उनकी ब्लीडिंग फौरन बंद हो जाती थी फिर बेशक जखम कितना ही गहरा क्यों ना हो इस केमिकल ने हजारों लोगों की जान बचाई थी और आपको यह बात जानकर हैरत होगी कि यह केमिकल आज हर घर में जरूर पड़ा होता है डेली लाइफ में इस्तेमाल होने वाली कई ऐसी चीजें हैं जो किसी मकसद से नहीं बल्कि गलती से इन्वेंट हो गई थी सबसे पहले हम नजर डालते हैं

कोका कोला

किसको मालूम था कि तलवार का एक वार दुनिया की सबसे फेमस सॉफ्टड्रिंक बनाकर छोड़ेगा जी हां यह बात है ईयर पें बर्टन ने मॉर्फिन का इस्तेमाल शुरू कर दिया यह एक एडिक्टिव ड्रग है जो उस वक्त सिर्फ तब इस्तेमाल की जाती थी जब कोई भी मेडिसन काम ना कर रही हो वह जखम तो उनका ठीक हो गया लेकिन एक और मुसीबत गले पड़ गई उनको अब मॉर्फिन की लत लग चुकी थी और वह इससे जान छुड़ाना चाहते थे उस वक्त अल्कोहल और कोकेन को खराब नहीं समझा जाता था और उसको कोई भी खरीदकर इस्तेमाल कर सकता था उन्होंने अपने लिए एक ऐसी दवाई बनाई जिसमें कोला नट्स और डम याना नामी प्लांट्स का रस डाला और उसके ऊपर कोकेन और अल्कोहल का मिक्सचर भी यह एक अल्कोहलिक ड्रिंक के साथ-साथ पेन किलर के तौर पर भी काम करती थी जिसको पेंटेंस फ्रेंच वाइन कोका का नाम दिया गया यानी उन्होंने एक आदत को छोड़ने के लिए दूसरी आदत को अपना लिया था करीब 20 सालों के बाद 1864 खिलाफ एक कानून पास हुआ लोकल फार्मेसी स्टोर के मालिक ने पम बटन को बोला कि उनको अब अपनी फ्रेंच वाइन कोका में से अल्कोहल और कोकेन को निकालना होगा इसी मकसद से डॉक्टर पें बटन ने कुछ एक्सपेरिमेंट्स किए जिसमें सिर्फ कोला नट्स और कोका के पत्तों के मिक्सचर से एक सिरप बनाया वह मुख्तलिफ एक्सपेरिमेंट्स करके फार्मेसी स्टोर के मालिक को टेस्ट करवाते लेकिन गलती से उन्होंने एक एक्सपेरिमेंट में सिरप के साथ कार्बो टेड वाटर भी डाल दिया फार्मेसी के मालिक को यह इतना अच्छा लगा कि उन्होंने इसको सर दर्द नहीं बल्कि रिफ्रेशिंग ड्रिंक के तौर पर बेचने का मशवरा दिया अब क्योंकि यह ड्रिंक कोला और कोका लीव्स को मिलाकर बनाई गई थी इसी वजह से इसको कोका कोला का नाम देकर रिफ्रेशिंग ड्रिंक के तौर पर बेचा जाने लगा दुनिया की पहली कोका कोला सिर्फ फाइव सेंट्स में बिकी थी और पें बटन जानते थे कि एक दिन यह नेशनल ड्रिंक जरूर बनेगी अपनी बीमारी और बैंक रप्स की वजह से उन्होंने अपनी इस ड्रिंक का फार्मूला फेमस बिजनेस टाइकून ऐसा ग्रीक स्कैंडल को सिर्फ $38 में बेच दिया आज कोकाकोला की मार्केट वैल्यू 260 अरब यूएस डॉलर है जो करीब 2100 अरब बनती है

नंबर फाइव

क्या आपको मालूम है कि वियतनाम वॉर के दौरान एक ऐसा केमिकल था जिसने हजारों जख्मी सिपाहियों की जान बचाई थी डॉक्टर्स फर्स्ट एड के तौर पे इस केमिकल को सिपाहियों के जख्मों पर स्प्रे करते थे जिससे जख्म फौरन सूख जाता था और ब्लीडिंग बंद हो जाती थी यह केमिकल कोई और नहीं बल्कि सुपर ग्लू थी जो आज हर घर में मौजूद है और सबसे इंटरेस्टिंग यह कि सुपर ग्लू भी गलती से ईजाद हुई थी वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान सोल्जर्स को सबसे बड़ा मसला था कि जब वह अपनी गन से फायर करते थे तो निशाना ठीक जगह पर नहीं लगता था इस मसले को हल करने के लिए यूएस आर्मी को एक ऐसे निशाने की जरूरत थी जो बिल्कुल साफ प्लास्टिक का बना हो ताकि उसके बीच से सब कुछ आसानी से नजर आ सके इस क्लियर प्लास्टिक को बनाने के लिए केमिकल इंजीनियर्स की एक टीम हायर की गई जिसमें डॉक्टर हैरी कवर भी थे ये लोग क्लियर प्लास्टिक बनाने के चक्कर में एक ऐसा केमिकल बना बैठे जो जरूरत से ज्यादा एडसिस यानी चिपकने वाला था सयानो एक्रेलाइजेशन काम ना आ सका 9 सालों के बाद 1951 में डॉ हैरी कवर कोडेक कंपनी में जॉब कर रहे थे जब यहां जेट इंजन की कैनोपी यानी उसके कवर बनाने के लिए कुछ एक्सपेरिमेंट्स किए जा रहे थे इस मौके पर डॉक्टर हैरी कुवर ने एक बार फिर से सयानो एक्रेलाइजेशन डेक के किसी दूसरे केमिस्ट का रिफ्रैक्टोमीटर टूट गया था तब डॉक्टर हैरी कवर को आईडिया आया कि उनके पास ऑलरेडी इसका सॉल्यूशन है और वह कोई और नहीं बल्कि सयानो एक्रेलाइजेशन [संगीत] की जरूरत है और ना ही जोर लगाने की 1958 में यह केमिकल कोडेक ने ईस्टमैन 910 के नाम से बेचना शुरू कर दिया जिसको बाद में सुपर ग्लू का नाम दे दिया गया चीजों को जोड़ने के साथ-साथ सुपर ग्लू को फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन में फिंगरप्रिंट रिकॉर्ड करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा सुपर ग्लू को गर्म करने पर इसके जो फ्यूम्स बनते हैं वह ना दिखने वाले फिंगरप्रिंट से रिएक्ट कर जाते हैं और मिनटों में जब सुपर गलू सूख कर सख्त हो जाती है तो उसमें फिंगरप्रिंट के निशान छपे होते थे इन सभी इस्तेमाल के साथ-साथ पहले सुपर ग्लू कट्स में ब्लीडिंग बंद करने के लिए फर्स्ट एड के तौर पर भी इस्तेमाल होती रही है लेकिन इस मेथड को घर पर कभी ट्राई ना करना नंबर फोर ब्लड प्रेशर चेक करना हो बच्चों के शूज को टाइट करना हो या फिर मोबाइल लैपटॉप के चार्जर की वायर को लपेट कर बंद रखना हो हर घर में हुक एंड लूप टेप का इस्तेमाल जरूर होता है जिसे अक्सर वेल्क्रो भी कहा जाता है लेकिन क्या आपको मालूम है कि इसकी इन्वेंशन का आईडिया एक ऐसे मौके पर हुआ था जब 1941 में जॉर्ज डी मेस्टर नामी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर एल्प्स के पहाड़ों पर अपने कुत्ते के साथ हाइकिंग पे निकले थे वॉक के दौरान बर्डोक प्लांट के सीड्स उनके सॉक्स कपड़ों और उनके कुत्ते से बार-बार चिपक रहे थे उन्होंने नोटिस किया कि सिर्फ हल्का सा टच होने पर ही बर्डोक इनके कपड़ों से चिपक जाता है वह कुछ बीज अपने साथ घर ले गए जहां उनको माइक्रोस्कोप से देखा मालूम पड़ा कि इस सीड के कांटों की टिप एक हुक की तरह बनी हुई है जो कपड़ों पर मौजूद छोटे-छोटे लूप्स में आसानी से फस जाती है यह प्लांट कुदरती तौर पर ही ऐसे बना है कि यह अपने सीड्स को पास से गुजरने वाले जानवरों के जरिए फैलाता है जॉर्ज डी मेस्ट्रेल को यह तरीका काफी हैरान कुन लगा वह इस तरीके को इस्तेमाल करके कुछ यूजफुल बनाना चाहते थे लिहाजा उन्होंने अपनी इस इन्वेंशन को 1955 में पब्लिक किया और अपने नाम से रजिस्टर भी करवा दिया हुक एंड लूप टेप दो हिस्सों में आती है एक में सिर्फ हुक्स होते हैं और दूसरी टेप में नायलॉन के लूप्स बने होते हैं यह दोनों आपस में टच करते ही वैसे ही चिपक जाते हैं जैसे बर्डोक सीड्स कपड़े पर चिपक हैं आज वेलक सात कंट्रीज में बनाया जाता है और इस कंपनी में करीब 00 एंप्लॉयज काम करते हैं

नंबर 3

वर्ल्ड वॉर 2 से पहले घरों में हीटर की जगह कोयले को इस्तेमाल किया जाता था लेकिन इसकी वजह से पूरे घर में काले धुए की लेयर चिपक जाती थी तभी प्ले डो को इन्वेंट किया गया जिसको इस्तेमाल करके कालक को हटाया जाता था लेकिन वर्ल्ड वॉर 2 के बाद नेचुरल गैस को हीटर के तौर पे इस्तेमाल किया जाने लगा नोआ और जोसेफ की प्ले डो की इन्वेंशन अब किसी काम नहीं आ रही थी लेकिन कुछ सालों के बाद 1950 में जोसेफ ने देखा कि उसकी बहन जो कि एक स्कूल टीचर थी वो यह प्ले डो अपने स्टूडेंट्स को मुख्तलिफ चीजों के मॉडल्स बनाने के लिए दे रही थी वहीं से उनको आईडिया आया और उन्होंने रेबो क्राफ्ट्स कंपनी रजिस्टर करवाकर उसको बच्चों के खेलने के लिए बेचना शुरू कर दिया नंबर टू पेसमेकर और पेनिसिलिन के अलावा मेडिकल इंडस्ट्री में ब्लड थिनर्स की इन्वेंशन भी असल में इत्तफाक से हो गई थी यह बात है 1920 की जब जानवरों में एक अजीब बीमारी नोटिस की गई इस बीमारी में उनको इंटरनल ब्लीडिंग होने लगती जिससे हट्टेड जानवर भी मर जाते थे तहकीक से मालूम पड़ा कि घास के ऊपर जम जाने वाले एक खास फंगस खाने की वजह से उनका ब्लड काफी पतला हो गया है जब उस फंगस को डिटेल में समझा गया तो उसके अंदर एक खास केमिकल पाया गया जो असल में उनके खून को काफी पतला कर देता था इस केमिकल को बाद में व फरिन का नाम दिया गया लेकिन इससे पहले कि यह हार्ट अटैक और स्ट्रोक के पेशेंट्स को दिया जाता अगले 30 सालों तक यह चूहे मारने की दवा के तौर पे इस्तेमाल किया जाने लगा 1950 के बाद व फरिन को इंसानों पर भी इस्तेमाल करने का फैसला किया गया इस जान बचाने वाली मेडिसिन को जिन पहले पेशेंट्स पर इस्तेमाल किया गया उनमें यूएस प्रेसिडेंट ड्वाइट डी आइजनहावर भी थे जिनको 1955 में हार्ट अटैक हुआ था और वा फरीन के इस्तेमाल से उनकी जान बचाई गई और

नंबर वन

इंसानों की सबसे बड़ी कामयाबी आग को जलाना थी जब से इंसान आग को जलाना सीखा है यह हमेशा इस प्रोसेस को आसान करने की कोशिश करता रहा है माचिस से पहले आग जलाना एक बहुत ही मशक्कत वाला काम हुआ करता था कोई पत्थर रगड़ करर आग लगाता तो कोई लकड़ी की स्टिक को दूसरी लकड़ी पर रखकर उसको ड्रिल की तरह चलाता था ईयर 1827 में एक ब्रिटिश फार्मेसिस्ट जॉन कर कुछ केमिकल्स के साथ एक्सपेरिमेंट कर रहे थे वो जिस स्टिक से केमिकल्स मिक्स कर रहे थे उन्होंने वह गलती से अपने रूम में बॉन फायर के बराबर रख दी अचानक लकड़ी पर लगे केमिकल में फौरन आग लग गई इसी के बाद उनको मैच स्टिक्स बनाने का आईडिया आया था यह केमिकल पोटेशियम क्लोरेट और एंटीमनी सल्फाइड का मिक्सचर था जॉन वॉकर की यह इन्वेंशन इतनी ज्यादा कामयाब हुई कि तब से लेकर आज तक हर घर में माचिस जरूर होता है लेकिन जॉन वकर ने अपनी यह इन्वेंशन पेटेंट नहीं करवाई थी लोगों ने उनके फार्मूले को कॉपी करके माचिस के नए-नए वर्जस बनाना शुरू कर दिए 189 में जब उनकी मौत हुई उसके बाद से ही उनको मैच स्टिक का इन्वेंटर माना जाने लगा.

By Naveen

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